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Monday, 31 May 2021

21-04-2021(News from here and there)























 


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कुछ इधर की, कुछ उधर की

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दिनेश कुकरेती

ज ऐसा कुछ भी उल्लेखनीय नहीं हुआ, जिसका खासतौर पर जिक्र किया जा सके। सुकून वाली बात यह है कि आज हरिद्वार से लखेडा़ जी का फोन भी नहीं आया, यह पूछने के लिए कि पैसे कब भेज रहे हैं। इसके अलावा आफिस के एकाउंट सेक्शन से भी मेरे लिए अभी फोन नहीं आया है। इसका मतलब अब तक बिल पास नहीं हुआ है। हरिद्वार से लौटते हुए छायाकार साथी राजेश बड़थ्वाल ने कहा था कि फिलहाल अपने एकाउंट से भुगतान कर दूंगा। इसके बाद बिल तो पास हो ही जाना है। लेकिन, देहरादून पहुंचने पर उसने ऐसा नहीं किया। जबकि, लखेडा़ जी उसी के दोस्त हैं और उसी के भरोसे उन्होंने इस उधारी की गारंटी ली।

 खैर! फिलहाल आज मामला शांत है। इधर, कोरोना संक्रमण की गति लगातार तेज रही है। खासकर देहरादून में संक्रमण काफी बढ़ गया है। यही कारण है कि अब रुटीन बिल्कुल टाइम टेबल के हिसाब से चल रहा है। घर से आफिस और आफिस से घर। कहीं कोई नयापन नहीं। उस पर आफिस के भी तीन लोग परिवार के कुछ सदस्यों समेत कोरोना की चपेट में हैं। इससे माहौल और बोझिल हो रखा है। स्थिति यह है कि छुट्टी लेकर घर भी नहीं जाया जा सकता। बीते वर्ष भी ठीक आठ महीने बाद घर जाना हो पाया था। इस बार कब होगा, फिलहाल कह पाना मुश्किल है।

 













हमारा तो पेशा ही पब्लिक रिलेशन का है। लाकडाउन हो या कर्फ्यू लग जाए, हमें तो हर हाल में ड्यूटी करनी है। देश-प्रदेश में क्या घट रहा है, इसकी सूचना लोगों  तक पहुंचानी है। फिर भले ही स्वयं की सुध लेने को वक्त न निकल पाए। इसलिए खतरा भी हमारे साथ-साथ चलता है और हम खतरे के। खासकर फील्ड स्टाफ तो सर्वाधिक असुरक्षित है। वैसे मैं इस बोझ को सर पर रखकर नहीं चलता और तनावमुक्त रहता हूं। सीधी सी बात है, जो चीज हमारे वश में नहीं, उसके लिए चिंता करके क्यों अपना बीपी बढा़या जाए।

इसी विचार के साथ आज मैं आफिस गया और रात को रूम में भी लौटा। इस समय रात के डेढ़ बजे हैं। साढे़ ग्यारह बजे तक भोजन करने के बाद मैं पीने व नहाने के लिए पानी भी भर चुका है। तब से यू-ट्यूब पर इंडियन आइडल देख रहा हूं। इस इवेंट को मैं वर्षों से देखता आ रहा हूं। खूब मजा आता है। इस बार पवनदीप राजन व सवाई भाट को सुनना काफी आनंद देता है। अन्य प्रतियोगी भी मंझे हुए हैं। खैर! अभी रात काफी हो गई है। आप भी नींद का आनंद लीजिए। शुभरात्रि!!!

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News from here and there

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Dinesh Kukreti

Nothing remarkable has happened today, which can be specifically mentioned.  The comforting thing is that today Lakhhedji's call from Haridwar was not even received, to ask when sending money.  Apart from this, I have not received a call from the accounts section of the office.  This means the bill has not yet been passed.  Returning from Haridwar, cinematographer fellow Rajesh Baratwal had said that I will pay from my account at the moment.  After that the bill has to be passed.  However, he did not do so on reaching Dehradun.  Whereas, Lakheda ji is his friend and in his trust, he took the guarantee of this borrowing.

 Well!  At present, the matter is calm today.  Here, the speed of corona infection has been steadily increasing.  Especially in Dehradun, the infection has increased significantly.  This is the reason that now the routine is running exactly according to the time table.  Home to office and office to home.  There is no newness anywhere.  Three people from the office, including some family members, are in the grip of Corona.  This has made the atmosphere more cumbersome.  The situation is that one cannot even go home by taking leave.  Last year too, I was able to go home after eight months.  When this time will happen, it is difficult to say at the moment.

Our profession is of public relation only.  Whether there is a lockdown or curfew, we have to do duty in any case.  What is happening in the country and state, information should be conveyed to the people.  Then even if there is no time to take care of oneself.  Therefore, danger also goes along with us and we also face danger.  In particular, the field staff is the most vulnerable.  By the way, I do not keep this burden on my head and remain stress free.  It is a simple matter, why should you increase your BP by worrying about something which is not under our control.

With this thought, I went to the office today and also returned to the room at night.  It is half past one at night.  After having lunch till half past eleven o'clock, I have also filled water for drinking and bathing.  Since then I have been watching Indian Idol on YouTube.  I have been watching this event for years.  It is a lot of fun.  This time Pawandeep enjoys listening to Rajan and Sawai Bhat.  Other contestants have also been admitted.  Well!  It is too much at night.  You too enjoy your sleep.  good night!!!

Sunday, 30 May 2021

20-04-2021 (Freedom from captivity)


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कैद से मिली आजादी

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दिनेश कुकरेती

ज उठते ही अच्छी खबर मिली। मैं स्नान करने जा ही रहा था कि सती जी का फोन आ गया। बोले, आज से आफिस ज्वाइन कर लेना और जो पांच दिन घर पर रहा, उसके लिए एचआर में 'वर्क फ्राम होम' की मेल कर देना। मन को बडा़ सुकून मिला। ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो कैद से मुक्त हो गया हूं। स्नान और ध्यान-प्राणायाम करने के बाद आज मैंने दोपहर का भोजन अतिरिक्त उत्साह के साथ बनाया। ऐसा होना लाजिमी था, क्योंकि यह सारा घटनाक्रम आरटी-पीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद घट रहा था।

दोपहर का भोजन करने के बाद पांच-दस मिनट आराम किया और फिर फटाफट तैयार होकर निकल पडा़ आफिस के लिए। वहां पहुंचते ही सबसे पहले मैंने हरिद्वार टूर के बिल एचआर डिपार्टमेंट में जमा कराए। ताकि जल्द पेमेंट मिल जाए और होटल के बिल का भुकतान हो सके। बिल जमा कर मैं अपनी सीट पर बैठा ही था कि हरिद्वार से लखेडा़ जी का फोन आ गया। लखेडा़ जी ही वो सज्जन हैं, जिन्होंने होटल में हमारी उधारी की गारंटी दी हुई है। फोन भी उन्होंंने यही पूछने के लिए किया था कि हम उधारी कब चुकाएंगे।

मेरा फोन नंबर उन्होंने होटल के रिसेप्शन से ही लिया था। मेरे ही नाम से बिल भी कटा हुआ है। मैंने उन्हें आश्वस्त किया कि कल शाम को आफिस से पेमेंट मिलते ही गूगल पे कर दूंगा। लगे हाथ मैंने उनसे होटल के उस व्यक्ति का गूगल पे से लिंक किया नंबर भी ले लिया, जिसे पेमेंट भेजना है। लखेडा़ जी ने पेमेंट की स्लिप उन्हें वाट्सएप पर भेजने को कहा है। इसके बाद मैंने छायाकार साथी राजेश बड़थ्वाल को फोन कर लखेडा़ जी से बात करने को कहा। ताकि उनका हम पर  भरोसा बना रहे।

एक बात बताना तो मैं भूल ही गया था, वह यह कि बीते एक महीने से हम चार-पांच सहयोगी रोजाना दोपहर के वक्त मट्ठा पीते हैं। आज भी पिया। इसके लिए हमने आफिस में ही व्यवस्था की हुई है। महीने के आखिर में सब अपने-अपने हिस्से का पेमेंट कर देते हैं। इस बीच हरिद्वार टूर और छुट्टियों के कारण मैं इससे वंचित रह गया था। खैर! आफिस की जिम्मेदारी निपटाकर मैं अपने पुराने समय पर रूम में पहुंचा। पुराना समय मतलब, वही रात के ग्यारह बजे। फिर पानी भरने के बाद हमेशा की तरह भोजन बनाया।














इस समय रात के लगभग डेढ़ बज रहे हैं। भोजन करने के बाद से अब तक मैं यू-ट्यूब पर कुछ मनपसंद धारावाहिक और अपने पसंद के पत्रकारों के चैनल देख रहा था। अब आंखें भारी होने लगी हैं। बीच-बीच में नींद के झोंके भी आ रहे हैं। इसलिए डायरी लिखने में भी काफी मुश्किल हुई। ...तो ठीक है, आप सभी मितरों से कल मुलाकात होती है। शुभ रात्रि!!!

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Freedom from captivity

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Dinesh Kukreti

Got good news as soon as I got up today.  While I was going to take a bath, Sati ji's call came.  Said, join the office from today and mail the 'work from home' in HR for the person who stayed at home for five days.  The mind was very relaxed.  It was as if I had been freed from captivity.  Today after bathing and meditating, I made lunch with extra enthusiasm.  This was bound to happen, as all this was happening after the RT-PCR report was negative.

After having lunch, rested for five to ten minutes and then immediately got ready and left for the office.  On reaching there, I first submitted the bills of Haridwar Tour to HR Department.  So that payment is received soon and the hotel bill can be paid.  I was sitting in my seat after submitting the bill that Lakheda ji's call came from Haridwar.  Lakheda ji is the gentleman who has guaranteed our borrowings in the hotel.  He also had a phone call to ask when we will repay the loan.

He took my phone number from the reception of the hotel itself.  The bill is also chopped off in my own name.  I assured them that tomorrow evening, I will make Google payment as soon as I get the payment from the office.  Lage hand, I also took from them the number linked to Google Pay of the hotel person to whom payment is to be sent.  Lakheda has asked him to send the payment slip to WhatsApp.  After this, I called cinematographer fellow Rajesh Barthalwal and asked him to talk to Lakheda ji.  So that they can continue to trust us.

I forgot to tell you one thing, that for the past one month, we have four or five associates drinking whey every day in the afternoon.  Still drank today  For this, we have made arrangements in the office itself.  At the end of the month, everyone pays their share.  Meanwhile, I was deprived of it due to Haridwar tours and holidays.  Well!  I took the responsibility of office and reached the room at my old time.  Old time means the same at eleven o'clock at night.  Then after filling the water made the usual food.

It is almost one and a half at night.  Since having food, till now I was watching some favorite serials and channels of journalists of my choice on YouTube.  Now the eyes are getting heavier.  There are also frequent puffs of sleep.  Therefore, it was very difficult to write a diary as well.  ... Well, see you all friends tomorrow.  good night!!!

Saturday, 29 May 2021

19-04-2021 (रिपोर्ट नेगेटिव आने से मैं खुश हूं)

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रिपोर्ट नेगेटिव आने से मैं खुश हूं

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दिनेश कुकरेती

ज पांचवां दिन था अवकाश का। इस समय रात के साढे़ ग्यारह बजे हैं। साढे़ आठ बजे के आसपास आफिस से किरण भाई (समाचार संपादक) ने मेरे वाट्सएप पर एक सूची भेजी। इसमें उन लोगों के नाम थे, जिन्होंने कल हमारे साथ कोविड जांच कराई थी और पाजिटिव आए हैं। सूची में मेरा नाम नहीं था यानी मेरी रिपोर्ट नेगेटिव थी। मन को असीम शांति मिली। मैंने सीधे किरण भाई को फोन लगाया कि क्या कल आफिस आना है। इस पर उनका कहना था कि सतीजी से पूछ लूं। मैंने इस समय पूछना उचित नहीं समझा और किरण भाई से कह दिया कि कल तो वो स्वयं ही फोन कर देंगे। वैसे भी मेरे आफिस का टाइम तो अपराह्न तीन बजे का है।

इसके बात मैंने घर फोन लगाया, क्योंकि घर में रिपोर्ट को लेकर चिंता का माहौल था। लेकिन, जब बताया का रिर्पोर्ट नेगेटिव है तो पत्नी का भी प्रफुल्लित होना स्वाभाविक था। हालांकि, जब तक रिपोर्ट नहीं आई थी, तब तक मैं भी तनाव में था और वो भी। हालांकि, इसे व्यक्त दोनों में से कोई नहीं कर रहा था। सुबह योग एवं प्राणायाम करने के बाद जब मैंने घर फोन किया तो यह स्पष्ट नहीं था कि रिपोर्ट आज ही आ जाएगी। अपने हाथ में कुछ नहीं था, इसलिए इस संबंध में तनाव लेकर भी कुछ नहीं होने वाला था। यही विचारकर मैंने तय कर लिया कि लंच के बाद आज तो नेमिचंद्र शास्त्री की पुस्तक 'भारतीय ज्योतिष' के कुछ अध्याय जरूर पढूंगा।

ऐसा ही हुआ भी। मैंने पुस्तक के दो अध्याय पढ़ डाले। बाकी आराम करने व यू-ट्यूब पर पिक्चर  देखने के सिवा ऐसा कोई कार्य नहीं किया, जिसका उल्लेख किया जा सके। रात का भोजन भी अन्य दिनों की तरह नियत टाइम पर हुआ। इस समय डायरी लिखने के साथ यू-ट्यूब पर गज़ल सुन रहा हूं। हां! जिस बात का जिक्र करना मैं अक्सर भूल जा रहा था, वह यह कि अभी हमने हरिद्वार के होटल का पेमेंट नहीं किया है। इसकी वजह यह रही कि तब हमारे पास पैसे नहीं थे। इसलिए हमने जिन सज्जन के जरिये होटल में रूम लिया था, उन्हीं के नाम यह कहकर उधारी कर आए कि देहरादून पहुंचकर गूगल पे कर देंगे।

विडंबना देखिए कि देहरादून पहुंचकर हम एकांतवास और आरटी-पीसीआर टेस्ट के चक्रव्यूह में फंस गए। अब अगर कल आफिस जाना हुआ तो सबसे पहले बिल ही जमा करूंगा। ताकि जल्द से जल्द पेमेंट हो जाए और हम होटल की उधारी चुका सकें। होटल में हमारी गारंटी देने वाले सज्जन का छायाकार साथी राजेश बड़थ्वाल को दो-तीन बार फोन आ चुका है। पेमेंट के लिए कह रहा है। उसे क्या मालूम कि मैं उससे ज्यादा चिंतित हूं। बहरहाल! फिलहाल तो सुबह होने का इंतजार है। चलिए! अब सो लिया जाए। खुदा हाफिज!!

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I am happy to see the report coming negative

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Dinesh Kukreti

Today was the fifth day of holiday.  It is half past eleven at night.  Around half past eight, Kiran Bhai (News Editor) from the office sent a list to my WhatsApp.  It had the names of those people who had a Covid check with us yesterday and have come positive.  My name was not in the list i.e. my report was negative.  Peace of mind was immense.  I called Kiran Bhai directly whether the office is to come tomorrow.  On this, he said that I should ask Satiji.  I did not consider it appropriate to ask at this time and told Kiran Bhai that tomorrow he will call himself.  Anyway, my office time is at 3 pm.















I called home because of this, because there was an atmosphere of concern about the report in the house.  But, when told that the report is negative, then it was natural for the wife to be cheerful as well.  However, until the report came, I was also under stress and that too.  However, neither of the two expressed it.  After doing yoga and pranayam in the morning, when I called home, it was not clear that the report would come today.  There was nothing in his hand, so nothing was going to happen with tension in this regard.  Considering this, I decided that after lunch today, I will definitely read some chapters of Nemichandra Shastri's book 'Indian Astrology'.

The same thing happened.  I read two chapters of the book.  Apart from resting and watching the picture on YouTube, there was no such thing that can be mentioned.  Dinner also happened at the appointed time like other days.  Currently listening to the ghazal on YouTube along with writing a diary.  Yes!  What I often forgot to mention is that we have not yet paid for the hotel in Haridwar.  The reason for this was that we had no money then.  Therefore, the gentleman through whom we had taken room in the hotel, borrowed the names of those people saying that they will reach Dehradun and pay them on Google.

Ironically, after reaching Dehradun, we were caught in a cycle of solitude and RT-PCR test.  Now, if I have to go to office tomorrow, I will first submit the bill.  So that payment is made as soon as possible and we can repay the hotel borrowings.  Rajesh Barthalwal, the cinematographer of the gentleman who gave our guarantee in the hotel, has received a call two or three times.  Asking for payment.  What does she know that I am more worried about her?  However!  At present, it is waiting for morning.  Let go!  Now go to sleep  Khuda Hafiz !!!

Friday, 28 May 2021

18-04-2021 (Today, Kovid test was conducted again)

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आज फिर कराया कोविड टेस्ट
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दिनेश कुकरेती
न्य दिनों की अपेक्षा आज नींद जल्दी खुल गई थी। स्नान-ध्यान के बाद कच्चे चने व बिस्कुट का नाश्ता लिया और सवा दस बजे के आसपास चल पडा़ कोविड टेस्ट कराने घंटाघर की ओर। चलते-चलते मन में विचार आया कि बाइक प्रेस क्लब में खडी़ करके घंटाघर पहुंचा जाए। लेकिन, कोविड कर्फ्यू के कारण क्लब के गेट पर भी ताला पडा़ हुआ था। यह देख मैंने छायाकार साथी राजेश बड़थ्वाल को फोन कर पूछा कि क्या वो घंटाघर पहुंच गया है। उसके 'हां' कहने पर मैंने पूछा कि बाइक लेकर आने में कोई दिक्कत तो नहीं होगी। उसने कहा, 'सब लेकर आए हैं, वह स्वयं भी। कोई दिक्कत नहीं है, घंटाघर पूरी तरह खाली है।'

इसके बाद मुझे बामुश्किल पांच मिनट लगे होंगे घंटाघर पहुंचने में। बड़थ्वाल ने बताया कि अभी स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं पहुंची है। कब तक पहुंचेगी, यह भी किसी को पता नहीं। इस बीच दो अन्य मित्र भी वहां पहुंच गए। अब हम आठ-दस लोग वहां खडे़ थे आरटी-पीसीआर टेस्ट कराने के लिए। सवा ग्यारह बजे तक भी जब टीम नहीं पहुंची तो हमने  इधर-उधर फोन कर इसकी वजह पूछी। पता चला कि टीम को आना है, लेकिन अभी चली नहीं। इसी उधेड़बुन में दिन के बारह बज गए। सवा बारह बजे के आसपास टीम के पहुंचने पर सभी ने राहत की सांस ली।

टीम को व्यवस्थित होने में पंद्रह मिनट लगे। इसके बाद उसने जांच शुरू कर दी और दोपहर एक बजे के आसपास मैं वापस रूम में था। भूख लगी थी,  इसलिए जल्दी-जल्दी कपडे़ बदले और फिर भोजन  बनाने में जुट गया। साथ ही घर पर भी फोन करके बता दिया कि टेस्ट करा लिया है, शायद कल तक रिपोर्ट आ जाएगी। फिलहाल तब तक घर पर ही रहना है। वैसे सच कहूं तो रिपोर्ट को लेकर अंदर ही अंदर में भी चिंतित हूं। कहीं पाजिटिव रही तो...?

 दो घंटे आराम करने के बाद फिर भोजन बनाने की फिक्र। क्या बनाया जाए। इच्छा हुई कि आज मैगी बनाई जाए, ठेठ भारतीय स्टाइल में। यानी हरी मिर्च, प्याज, टमाटर मिलाकर। तरावट आ जाएगी। ऐसा हुआ भी। अब घडी़ रात के नौ बजा रही थी। पानी आने में देर थी, इसलिए घर फोन करना ही बेहतर समझा। उधर से फोन उठाते ही पत्नी ने सवाल किया, 'रिपोर्ट आ गई क्या'। मैंने कहा, 'अभी कोई जानकारी नहीं है। देखते हैं कब तक आती है'। उसने फिर भरोसा दिलाया कि सब-कुछ ठीक ही होगा।
भरोसा तो मुझे भी है, लेकिन जैसे-जैसे छुट्टी के दिन बढ़ रहे हैं, मन का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। इसी बोझ के कारण आज मैं  नेमिचंद्र शास्त्री  की पुस्तक भारतीय ज्योतिष का अध्ययन नहीं कर पाया। जबकि, सामान्य दिनों में मैं पुस्तक को पूरी पढ़ चुका होता। चलिए देखते हैं, ऊंट किस करवट बैठता है। फिलहाल तो सो लिया जाए। पानी भी भर ही लिया है। ...तो ठीक है मितरों, शुभरात्रि!!!
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Today, Covid test was conducted again
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Dinesh Kukreti
Sleep was open sooner than other days.  After bathing meditation, took breakfast of raw gram and biscuits and walked towards the clock tower to conduct the Kovid test around ten o'clock.  While walking, I got the idea that standing in the bike press club should reach the clock tower.  However, the club's gate was also locked due to the Covid curfew.  Seeing this, I phoned cinematographer Rajesh Baratwal and asked if he had reached the clock tower.  When he said 'yes', I asked if there would be any problem in bringing the bike.  He said, 'He has brought everyone, he himself.  There is no problem, the clock tower is completely empty. '

After that it would have taken me hardly five minutes to reach Ghantaghar.  Barathwal said that the Health Department team has not arrived yet.  No one knows when the time will reach.  Meanwhile, two other friends also reached there.  Now eight - ten people were standing there to conduct RT-PCR test.  When the team did not reach even till eleventh quarter, we called here and there to ask the reason for this.  It was revealed that the team had to come, but it was not yet done.  It was twelve o'clock in the day.  Everyone breathed a sigh of relief when the team arrived at around 12:15.

The team took fifteen minutes to settle.  After that he started investigating and I was back in the room around one o'clock in the afternoon.  Was hungry, so quickly changed clothes and then started preparing food.  Along with this, he also called at home and told that he has got the test done, maybe the report will come by tomorrow  Until now, stay at home.  Well to be honest, I am deeply concerned about the report inside as well.  If you are positive somewhere…?

After two hours of rest, worry about making food again.  What to make  Wish to make Maggi today, in typical Indian style.  That means adding green chillies, onions, tomatoes.  The temperature will come down.  It happened as well.  Now the clock was playing at nine o'clock.  Water was late, so it was better to call home.  On the other hand, picking up the phone, the wife questioned, 'Has the report come'.  I said, 'There is no information right now.  Let us see how long it comes'.  He again assured that everything would be fine.


I have faith too, but as the days of vacation are increasing, the burden of mind also increases.  Due to this burden, today I could not study Nemichandra Shastri's book Indian Astrology.  Whereas, on normal days I would have read the book in its entirety.  Let us see which side the camel sits on.  For the moment, you should be asleep.  Water has also been filled.  … So okay friends, good night !!!

Thursday, 27 May 2021

17-04-2021 (Mind upheaval)

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मन में उथल-पुथल

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दिनेश कुकरेती

ज छुट्टी का तीसरा दिन था। सोचा आराम से कट जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सुबह योग-प्राणायाम के बाद मैंने हल्का-फुल्का नाश्ता किया और भोजन बनाने की तैयारी में जुट गया। इसी बीच वाट्सएप पर आफिस से आए एक मैसेज ने मूड खराब कर दिया। मैसेज सूचना विभाग का है। कहा गया है कि जो मीडिया कर्मी हरिद्वार से कुंभ की कवरेज कर देहरादून लौटे हैं, वे आरटी-पीसीआर टेस्ट करा लें। उनके लिए घंटाघर स्थित आंबेडकर पार्क में आज से तीन दिवसीय कैंप लगाया गया है। टेस्ट सुबह दस से दोपहर दो बजे तक होगा।

जिस समय मैंने यह मैसेज पढा़, तब पूर्वाह्न के ग्यारह बज रहे थे। इसके बाद मन में उथल-पुथल सी मच गई। क्योंकि, कोरोना जांच कराए बिना आफिस जाना संभव नहीं था और दुर्भाग्य से पाजीटिव आ गया तो कोई पूछने वाला तक नजर नहीं आएगा। दरअसल, मैं देहरादून में अकेला रहता हूं, इसलिए हर कार्य स्वयं करना पड़ता है। अकेले रहने के कारण मैं वीकली आफ भी नहीं करता, बल्कि सारे आफ एक साथ एडजस्ट कर छुट्टी पर घर चला जाता हूं। इसलिए मकान मालिक भी असमंजस में हैं कि इस बार मैं इतनी छुट्टी क्यों कर रहा हूं। हालांकि, मैंने उन्हें बता रखा है कि बची हुई छुट्टियां एडजस्ट कर रहा हूं।











यहां मुश्किल यह है कि पाजिटिव आने की स्थिति में क्या होगा। वैसे मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं, लेकिन मानवीय स्वभाव है, आशंकित तो रहता ही है। वैसे मैं सोच रहा हूं कि इस संबंध में किसी को कोई जानकारी नहीं दूंगा। कह दूंगा कि आफिस से कुछ दिन "वर्क फ्राम होम" का आदेश हुआ है। फिर सोचता हूं क्या ऐसा करना उचित होगा। इसी उधेड़बुन में भोजन भी लेट गया। इस बीच घर से भी फोन आ गया। घर में तो बताना ही था कि स्थिति क्या है। साथ ही ये भी बता दिया कि कल टेस्ट कराऊंगा। देखते हैं क्या होता है। मेरी इस बात पर पत्नी ने आश्वस्त किया कि सब ठीक होगा, निश्चिंत रहिए। इस बात से काफी हौसला मिला।

खैर! भोजन करने के बाद मैं आराम करने के मूड में लेटा ही था कि आफिस से फोन आ गया। इसी मैसेज पर बात हुई। इसके बाद मैं यू-ट्यूब पर वीडियो देखने लगा और कब नींद आ गई पता ही नहीं चला। ठीक सात बजे नींद खुली और फिर भोजन बनाने में जुट गया। साढे़ आठ बजे तक मैं भोजन कर चुका था। अब मैं पूरी तरह फ्री था, सोचा क्यों न थोडी़ देर घर बात कर ली जाए। छुट्टियां होने के कारण घर पर भी फोन का इंतजार रहता है। लगभग पौन घंटे बात हुई होगी। टापिक वही दिन वाला ही था।















इस समय रात के साढे़ ग्यारह बजे हैं। पीने व नहाने के लिए पानी भरकर रख लिया है। अब एकाध घंटे यू-ट्यूब पर वीडियो देखूंगा, फिर देखते हैं नींद कब आती है। हालांकि, नींद की मुझे कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन भ्रम के चलते सोने में थोडा़ विलंब हो सकता है। कल महत्वपूर्ण दिन है, हो सकता है शाम तक कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट मिल जाए। खैर! अपने हाथ में कुछ नहीं है। जो होगा, देखा जाएगा। शुभरात्रि!!!

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Mind upheaval

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Dinesh Kukreti

Today was the third day of the holiday.  Thought will cut easily, but it did not happen.  After yoga-pranayam in the morning, I had a light breakfast and started preparing for cooking.  Meanwhile, a message from the office on WhatsApp spoiled the mood.  The message is from the information department.  It has been said that media personnel who have returned to Dehradun from Haridwar by coverage of Kumbh, should undergo RT-PCR test.  A three-day camp has been set up for them in Ambedkar Park, clock tower.  The test will be from ten in the morning to two in the afternoon.

At the time when I read this message, it was eleven o'clock in the morning.  After this there was uproar in the mind.  Because it was not possible to go to the office without conducting a corona examination and unfortunately if someone came positive, no one would even be able to see.  Actually, I live alone in Dehradun, so I have to do everything myself.  Due to being alone, I don't even do weekly off, instead adjusting all of them together and go home on vacation.  So the landlords are also confused as to why I am taking such a holiday this time.  However, I kept telling them that I am adjusting the remaining holidays.















The difficulty here is what will happen in the event of a positive coming.  Although I am perfectly healthy, but there is human nature, it remains apprehensive.  By the way, I am thinking that I will not give any information to anyone in this regard.  I will say that a few days "work from home" has been ordered from the office.  Then I wonder whether it would be appropriate to do so.  Food was also lying in the same turmoil.  Meanwhile, a call was also received from home.  Had to tell at home what the situation was.  Also told that I will do the test tomorrow.  Let's see what happens.  My wife assured me that everything would be fine, be relaxed.  This was very encouraging.

Well!  After the meal, I was lying in a relaxed mood that I got a call from the office.  This message was talked about.  After this, I started watching videos on YouTube and did not know when I was sleepy.  At seven o'clock, I got up to sleep and then started cooking.  I had already eaten by half past eight.  Now I was completely free, thought why not talk to the house for a while.  Due to the holidays, the phone is also waiting at home.  There must have been talk for about quarter to five hours.  Topic was the same day.

It is half past eleven at night.  Have filled water for drinking and bathing.  Now I will watch the video on YouTube for a few hours, then let's see when sleep comes.  However, I have no problem sleeping, but due to confusion there can be a slight delay in sleeping.  Tomorrow is an important day, you may get corona test report by evening.  Well!  There is nothing in your hand.  we will see whatever happens.  good night!!!

Tuesday, 25 May 2021

16-04-2021 (Boring day)

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बोरियतभरा दिन

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दिनेश कुकरेती

ज का पूरा दिन आराम करते हुए बीता। थोडा़-बहुत साफ-सफाई का कार्य किया, लेकिन मैं इसे नाकाफी मानता हूं। अध्ययन का भी मन नहीं हुआ। हालांकि, कुछ देर मैंने नेमिचंद्र शास्त्री की पुस्तक "भारतीय ज्योतिष" के कुछ अध्याय जरूर पढे़ और उन्हें समझने की कोशिश भी की। लेकिन, मेरे जैसे पुस्तकों में रुचि लेने वाले इन्सान के लिए यह भी नाकाफी है। असल में जबर्दस्ती की छुट्टी मुझे रास आती ही नहीं है। लाकडाउन के चलते वैसे ही हर ओर तनावभरा माहौल है, उस पर ये छुट्टी। कामकाजी व्यक्ति के लिए यह किसी सजा से कम नहीं है।















हमेशा की तरह सुबह स्नान-ध्यान के बाद मैंने हल्का-फुल्का नाश्ता किया और फिर भोजन बनाने में जुट गया। इस बीच घर से पत्नी का फोन आ गया। तकरीबन पौन घंटे घर-परिवार की बातें होती रहीं। इससे मन भी कुछ हल्का हो गया। भोजन करने के बाद मन किया कि कुछ आवश्यक सामान खरीद लिया जाए, सो दुकान की राह पकड़ ली। दुकान मोहल्ले में घर के पास ही है। दुकान से लौटने के बाद पहले सोचा आराम कर लिया जाए, फिर विचार आया कि क्यों न पानी भर लूं। रात न जाने किस वक्त आता है।

दरअसल मेरे मोहल्ले में पानी पूर्वाह्न साढे़ ग्यारह बजे के बाद आता है। रात को भी उसका टाइम लगभग ग्यारह बजे का ही है और फिर रात डेढ़ से दो बजे के बीच। मेरे वाले मकान पर और भी किरायेदार हैं, इसलिए कभी-कभी रात बारह बजे तक मेरा नंबर ही नहीं आता। ठीक बारह बजे पानी बंद हो जाता है, फिर करो इंतजार डेढ़ बजने का। इसलिए बेहतर यही रहता है कि पूर्वाह्न में ही भर लिया जाए। मकान मालिक मुझे रोज याद दिला देते हैं। बहरहाल, पानी भरने के बाद मैं निश्चिंत हो गया।

दोपहर दो बजे से शाम सात बजे तक मैंने कुछ देर यू-ट्यूब चैनल देखे, कुछ देर फेसबुक पर मित्र-परिचितों की पोस्ट पढी़ और कुछ देर ज्योतिष की किताब। फिर जुट गया शाम का भोजन बनाने में। साढे़ आठ बजे तक मैं रात का भोजन भी कर चुका था। रात को मैं आयुर्वेदिक चाय जरूर पीता हूं, बल्कि अब तो यह मेरी आदत का हिस्सा बन चुका है। नौ बजे के आसपास मैंने फिर घर फोन किया। आधा-पौन घंटे बात हुई। अब बर्तन धोने के बाद से यू-ट्यूब चैनल देख रहा हूं। साथ-साथ डायरी भी लिख रहा हूं।















यू-ट्यूब देखना भी मेरे रुटीन का हिस्सा है। अगर न देखूं तो ऐसा लगता है, जैसे कुछ अधूरा रह गया हो। अभी रात के एक बजे हैं। लगभग पौने दो बजे तक देखूंगा ही। इसके बाद लिया जाएगा नींद का आनंद। आफिस तो कल भी जाना नहीं है, लेकिन सोच रहा हूं कुछ नया पढूंगा। कोशिश यह भी रहेगी कि कुछ नया लिखा जाए। बहुत दिनों से कुछ ऐसा नहीं लिख पाया, जिससे मन को संतोष पहुंचे। चलिए! कल मिलते हैं। खुदा हाफि़ज!!!

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Boring day 

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Dinesh Kukreti

Today was spent resting the whole day.  It did a little bit of cleanliness, but I consider it inadequate.  Did not even feel like studying.  However, for some time I did read some chapters of Nemichandra Shastri's book "Indian Astrology" and tried to understand them.  But, it is also not enough for a person like me to take an interest in books.  Actually, I do not like to leave forcibly.  Due to the lockdown, there is a tense atmosphere everywhere, this holiday on it.  For a working person this is nothing short of a punishment.

As usual, after a morning bath and meditation, I had a light breakfast and then started preparing food.  Meanwhile, wife's phone call came from home.  There were talk of household and family for about thirty-five hours.  This also made the mind a little lighter.  After having food, felt that some essential goods should be bought, so took the path of the shop.  The shop is near the house in the locality.  After returning from the shop first thought to take rest, then thought why not fill it with water.  Don't know what time the night comes.

Actually, water in my locality comes after 11:30 AM.  Even at night its time is only around eleven o'clock and then between one and a half to two o'clock at night.  There are more tenants in my house, so sometimes my number does not come till twelve o'clock at night.  The water stops at exactly twelve o'clock, then wait for a quarter and a half.  Therefore, it is better to fill it in the morning itself.  Landlords remind me daily.  However, after filling the water, I got relaxed.

From two in the afternoon to seven in the evening, I watched YouTube channels for a while, read posts of friends and acquaintances on Facebook and a book of astrology for a while.  Then got ready to cook the evening meal.  By half past eight, I had also had dinner.  I definitely drink Ayurvedic tea at night, but now it has become a part of my habit.  I called home again around nine o'clock.  There was talk for half-a-quarter of an hour.  Now watching the You-Tube channel since washing the dishes.  I am also writing a diary along with it.

Watching YouTube is also a part of my routine.  If I do not see, it seems as if something is left incomplete.  It is one o'clock at night.  I will see till about quarter to two.  After this, the pleasure of sleep will be taken.  I do not have to go to the office tomorrow, but I am thinking I will study something new.  Efforts will also be made to write something new.  For a long time, I could not write something that would bring satisfaction to the mind.  Let go!  See you tomorrow  God Hafiz !!!

Sunday, 23 May 2021

15-04-2021 (Now imprisoned in the house for three days)

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अब तीन दिन घर में कैद

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दिनेश कुकरेती

ज पूरा दिन आराम करते हुए बीता। अब भी मैं आराम ही कर रहा हूं। होटल में नाश्ता करने के बाद सुबह आठ बजे हम हरिद्वार से देहरादून के लिए चले। बामुश्किल एक घंटा लगा होगा देहरादून पहुंचने में। छायाकार साथी राजेश बड़थ्वाल ने मुझे आफिस के बाहर छोड़ दिया। मेरी बाइक आफिस की पार्किंग में ही खडी़ थी, इसलिए उसे लेने मुझे आफिस आना पडा़। एक बात बताना तो मैं भूल ही गया, वो ये कि मुझे अब तीन दिन तक आफिस नहीं जाना।













दरअसल, सुबह जब नींद खुली तो छायाकार साथी राजेश बड़थ्वाल ने बताया कि वाट्सएप में आफिस से मैसेज आया है। कहा गया है कि हम तीन दिन आइसोलेट रहें। मैंने अपने फोन में देखा तो ऐसा कोई मैसेज नहीं था। हो सकता है, इसके पीछे कोई वजह रही हो। बहरहाल! फरमान तो सुना दिया ही गया था। गुस्सा भी आया, पर मानने के सिवा कोई विकल्प नहीं था। इससे पहले दो दिन पहले मुख्यालय से भी मुझसे किसी विषय पर स्टोरी मांगी गई थी। लेकिन, भागादौडी़ के चलते मैं कर नहीं पाया। सोचा, 15 अप्रैल को सीधे आफिस पहुंचकर कर दूंगा, लेकिन अब ऐसा संभव नहीं था।

अब मैं सोच में पड़ गया कि क्या किया जाए। फिर मैंने स्वयं को टेंशन फ्री किया और जुट गया मोबाइल पर ही स्टोरी लिखने में। हालांकि, चौदह-पंद्रह सौ शब्द मोबाइल पर कंपोज करना आसान नहीं होता, लेकिन मैं भला कहां हार मानने वाला था। मेरी परेशानी  को समझते हुए आफिस से लैपटाप देने की बात भी कही गई, लेकिन मैंने लेने से इन्कार कर दिया। आखिरकार दिन के ढाई बजे तक मैंने स्टोरी कम्पलीट कर ली। ये स्टोरी नागा संन्यासियों पर केंद्रित थी, जिसे अखबार की मैग्जीन में आल एडिशन छपना था।

इसके बाद मैंने आफिस मेल कर दी, ताकि वहां से इसे दिल्ली मुख्यालय को भेजा जा सके। स्टोरी निपटाने के बाद मेरे पास आराम करने के सिवा कोई विकल्प नहीं था। खाने की इच्छा हुई नहीं, इसलिए खाना भी नहीं बनाया। सात बजे तक मैं सोया रहा और फिर रात का भोजन बनाने में जुट गया। साढे़ आठ बजे भोजन करने के बाद कुछ देर मैंने घर पर बात की, फिर यू-ट्यूब पर वीडियो देखने लगा। दस बजे के आसपास पानी आ गया, सो मैंनै भी जल्दी-जल्दी पानी भरा और फिर लाइट बंद करके लेट गया।

हालांकि, नींद कहां आनी थी। जबरन छुट्टी बोझ सी लग रही थी। दरअसल, लाकडाउन में कहीं आना-जाना भी नहीं हो सकता, न किसी से मेल-मुलाकात करना ही संभव है। सोच रहा हूं कल कुछ घर के काम ही निपटा लूंगा। मसलन, कपडे़ धो लूंगा, रूम की साफ-सफाई कर लूंगा। किताबों को करीने से लगा लूंगा। थोडा़-बहुत राशन-पानी ले आऊंगा वगैरह-वगैरह।

वैसे सच कहूं, ये सब खुद को समझाने वाली बातें हैं। टेंशन तो इस बात का है कि आफिस से कहीं ये फरमान न जाए कि हफ्तेभर घर में रहो। कोरोना का दौर है, लगातार घर में रहने पर आस-पडो़स वाले भी शक करने लगते हैं। खैर! कल की कल देखी जाएगी। इसी उधेड़बुन में रात के एक बजे चुके हैं, क्यों न अब नींद का आनंद लिया जाए। अच्छा! शुभरात्रि।

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Now imprisoned in the house for three days

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Dinesh Kukreti

Today spent the whole day resting.  Even now I am resting.  After breakfast at the hotel, we left Haridwar for Dehradun at eight in the morning.  It must have taken hardly an hour to reach Dehradun.  Cinematographer fellow Rajesh Baratwal left me outside the office.  My bike was parked in the office parking lot, so I had to come to the office to pick it up.  I forgot to tell you one thing, that I do not go to office for three days now.

In fact, when I woke up in the morning, cinematographer fellow Rajesh Baratwal told that the message has come from the office in WhatsApp.  It has been said that we should remain isolated for three days.  When I looked in my phone, there was no such message.  Maybe, there has been a reason behind this.  However!  The decree was already heard.  He got angry too, but there was no option but to accept.  Two days before this, I was also asked for a story on some subject from the headquarters.  But, I could not do it due to Bhagadoudi.  Thought I would do it directly on April 15, but now it was not possible.

Now I started thinking what to do.  Then I tensioned myself and got ready to write the story on mobile.  Although it is not easy to compose fourteen-fifteen hundred words on mobile, but where was I going to give up?  Realizing my problem, I was asked to give a laptop from the office, but I refused to take it.  Finally by half past two in the day, I finished the story.  This story was focused on Naga ascetics, who were to appear in the newspaper magazine All Editions.

After this I mailed the office, so that from there it could be sent to Delhi Headquarters.  After settling the story I had no option but to rest.  There was no desire to eat, therefore did not even cook.  I slept till seven o'clock and then started making dinner.  After eating at half past eight, I talked at home for a while, then started watching videos on YouTube.  Water came up around ten o'clock, so I too filled up the water quickly and then switched off the light and lay down.

However, where was sleep to come.  Forced leave seemed like a burden.  Actually, there cannot be any movement in the lockdown, nor is it possible to meet or meet anyone.  Thinking I will do some household work tomorrow.  For example, I will wash clothes, I will clean the room.  I will put the books neatly.  I will bring a lot of ration-water, etc.

Well, to tell the truth, these are all things to explain themselves.  Tension is such that this decree should not go anywhere from the office to stay at home for a week.  It is a time of corona, when living in the house continuously, neighbors also start to doubt it.  Well!  Tomorrow will be seen tomorrow.  It has been one o'clock in the night, why not enjoy sleep now.  good!  good night.

Saturday, 22 May 2021

14-04-2021 (Aries Sankranti : Main bath of Haridwar Kumbh)

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मेष संक्रांति : हरिद्वार कुंभ का मुख्य स्नान 
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दिनेश कुकरेती

मेष संक्रांति यानी हरिद्वार कुंभ के मुख्य स्नान का दिन। इसके अलावा यह दूसरे शाही स्नान का दिन भी था। जाहिर है इसका आकर्षण भी सबसे ज्यादा होना ही था। हालांकि, हमें आज हरकी पैडी़ पहुंचने की जल्दी नहीं थी, क्योंकि शाही स्नान सुबह नौ बजे से शुरू होना था। अच्छी बात यह थी कि सुबह आठ बजे तक आम श्रद्धालुओं को हरकी पैडी़ पर स्नान की अनुमति थी। हम भी आज पहले किसी अखाडे़ की छावनी में नहीं गए, बल्कि होटल से सीधे हरकी पैडी़ की ओर निकल पडे़। चंडी चौक फ्लाईओवर पार करने के बाद हमने स्कूटी को ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के कुंभ कैंप के पास खडा़ किया और फिर पैदल ही निकल पडे़। जब हम हरकी पैडी़ पंहुचे, तब सुबह के आठ बज रहे थे।













हरकी पैडी़ और मालवीय द्वीप पर काफी भीड़ थी। श्रद्धालु लगातार स्नान को पहुंच रहे थे, वहीं पुलिस कंट्रोल रूम से लगातार मुनादी हो रही थी कि श्रद्धालु जल्द से जल्द घाट को खाली कर दें। जब लोगों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो पुलिस स्वयं ही घाट खाली कराने में जुट गई। ठीक पौने नौ बजे घाट पूरी तरह खाली हो चुका था। सिवाय मीडिया कर्मियों, फोर्स व स्वयं सेवियों के वहां कोई नजर नहीं आ रहा था। जैसे ही घडी़ ने नौ बजाए, मालवीय द्वीप पर दायीं तरफ का पुल कदमों की गड़गडा़हट से गूंजने लगा। मैंने उधर नजर दौडा़ई तो निरंजनी अखाडे़ के साधु-संत व नागा संन्यासियों का हुजूम चला आ रहा था। पलभर में पूरी हरकी पैडी़ आवधूती आभा में नहा उठी।

 












स्नान का क्रम 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या पर हुए पहले शाही स्नान वाला ही था। सबसे पहले निरंजनी अखाडा़ और साथ में आनंद अखाडा़, इसके बाद जूना अखाडा़ और साथ में अग्नि, आह्वान व किन्नर अखाडा़, फिर महानिर्वाणी अखाडा़ व साथ में अटल अखाडा़ स्नान के लिए पहुंचे। दूसरे चरण में तीनों बैरागी अणियां (निर्वाणी, निर्मोही व दिगंबर), उनके 18 अखाडे़ और 1200 खालसे अपने-अपने अध्यक्षों की अगुआई में स्नान के लिए पहुंचे। फिर बारी थी बडा़ अखाडा़ उदासीन और नया अखाडा़ उदासीन की। सबसे आखिर में निर्मल अखाडे़ के संत-महंतों ने शाही डुबकी लगाई। हालांकि, हम बडा़ अखाडा़ उदासीन के स्नान के बाद ही हरकी पैडी़ से लौट आए थे।

 आफिस पहुंचकर चाय पीने के बाद सबसे पहले मैंने खबरें निपटाईं। इस बीच छायाकार साथी राजेश बड़थ्वाल एक अन्य साथी राजू पुशोला के साथ होटल चले गए। दरअसल, पहले हमने आज ही वापस देहरादून लौटने का मन बनाया था, इसलिए सुबह ही होटल छोड़कर सामान रिसेप्शन में रखवा दिया था। लेकिन, शाम को ऐसा संभव नहीं हो पाया। लिहाजा, दोबारा रूम लिया गया। रात नौ बजे मैं बड़थ्वाल के साथ होटल में पहुंचा। खाना अन्य दिनों की तरह आफिस के पास वाले होटल से पैक करा लिया था।

 












इस समय रात के साढे़ ग्यारह बजे हैं। सुबह रिपोर्टिंग के लिए कहीं जाना नहीं है, इसलिए जल्दी उठने की भी चिंता नहीं है। आराम से देहरादून के लिए रवाना होंगे। प्रोग्राम है कि होटल से नाश्ता करके निकलेंगे। नाश्ते के पैसे हमने एडवांस कटवा रखे हैं, लेकिन और दिन इसका मौका ही नहीं मिल पा रहा था। खास बात यह कि आप दो सदस्य हों या तीन, दो सौ रुपये में पेट भरकर मनपसंद नाश्ता कर सकते हैं। यह इस होटल की मुझे सबसे बडी़ खूबी लगी। खैर! बाकी बातें कल होंगी, फिलहाल तो सो लिया जाए। शुभरात्रि!!!

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Aries Sankranti : Main bath of Haridwar Kumbh

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Dinesh Kukreti

Aries Sankranti means the main bathing day of Haridwar Kumbh.  Apart from this, it was also the day of the second royal bath.  Apparently, it also had to be the most attractive.  However, we were in no hurry to reach Harki Padi today, as the royal bath was to begin at nine o'clock in the morning.  The good thing was that till eight o'clock in the morning, the common devotees were allowed to bathe on their paddies.  We also did not go to any cantonment camp earlier today, but had to go straight from the hotel towards every paddy.  After crossing the Chandi Chowk flyover, we parked Scooty near the Kumbh Camp of Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati of Jyotirmath and then got out on foot.  When we reached every paddy, it was eight o'clock in the morning.


 Harki Padi and Malaviya were crowded on the island.  While the devotees were constantly reaching Bath, the police control room was constantly making money so that the devotees could evacuate the ghat as soon as possible.  When people did not pay attention to this, the police themselves started to evacuate the ghat.  At exactly quarter to nine, the ghat was completely empty.  Except there was no visible presence of media personnel, force and volunteers.  As the clock struck nine, the bridge on the right hand side of Malaviya Island echoed with a roar of steps.  When I looked there, the saints and Naga ascetics of Niranjani Akhade were flocking.  In a matter of time, the whole of his body was bathed in a periodic aura.

The order of bathing was the first royal bath on Somavati Amavasya on 12 April.  First Niranjani Akhara and together Anand Akhada, followed by Juna Akhada and together Agni, Awaan and Kinnar Akhada, then Mahanirvani Akhada and along with Atal Akhada reached for a bath.  In the second phase, the three Bairagi Ananias (Nirvani, Nirmohi and Digambara), their 18 Akharas and 1200 Khalsay reached for a bath under the leadership of their respective presidents.  Then it was the turn of the big arena indifferent and the new arena indifferent.  Lastly, the saints and Mahants of Nirmal Akhade performed the royal dip.  However, we returned from our paddies only after a bath of a large akhada apathetic.

 After reaching the office and drinking tea, I first dealt with the news.  Meanwhile cinematographer Rajesh Barthalwal went to the hotel along with another partner Raju Pushola.  Actually, earlier we had made up our mind to return to Dehradun today, so left the hotel in the morning and kept the goods in reception.  However, this was not possible in the evening.  Therefore, the room was taken again.  I reached the hotel with Barathwal at nine o'clock.  Like other days, the food was packed from the hotel near the office.













It is half past eleven at night.  There is no place to go for reporting in the morning, so don't worry about getting up early.  Will leave for Dehradun comfortably.  There is a program to leave the hotel for breakfast.  We have kept the advance money for breakfast, but could not get a chance for another day.  The special thing is that you can have two members or have three, two hundred rupees to fill your favorite breakfast.  I liked this hotel the most.  Well!  The rest of the talks will be done tomorrow, for the time being sleep.  good night!!!