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Friday, 28 January 2022

28-01-2022 (बूस्टर डोज और कोरोना)


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बूस्टर डोज और कोरोना

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दिनेश कुकरेती

ज कोरोना की प्रिकाशन (बूस्टर) डोज भी लगवा ही ली। वैसे इसकी जरूरत नहीं थी, लेकिन पहली बार किसी कार्य के लिए समाज ने प्रथम पांत में माना है, इसलिए भावनाओं का अनादर करना उचित नहीं समझा। दरअसल, जब मैंने कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगवाई थी, तब प्रशासन ने प्रेस से जुडे़ होने के कारण मेरा नाम भी अन्य साथियों के साथ कोरोना वारियर्स की सूची में डाल दिया था। इसी वजह से दूसरी डोज के लिए भी मुझे 84 दिन का इंतजार नहीं करना पडा़। दूसरी डोज के नौ माह बाद अब 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों, स्वास्थ्य कर्मियों व कोरोना वारियर्स को बूस्टर डोज लगाई लगाई जा रही है। सो, इसका लाभ मुझे भी मिल गया।

वैक्सीन के लिए मैंने कल रात ही दून मेडिकल कालेज में एक से तीन बजे का स्लाट बुक करा दिया था। सो, आज ठीक बारह बजे मैं आफिस पहुंच गया। वहां से अन्य साथियों के साथ वैक्सीनेशन के लिए जाना था, लेकिन पता चला कि वह तो सुबह ही टीका लगवा आए हैं। अब सिर्फ किरण भाई व हिमांशु रह गए थे, वो और मैं साथ ही गए। वैक्सीनेशन सेंटर में एक-दो लोग ही थे, इसलिए वहां हमें पांच मिनट से अधिक का समय नहीं लगा। इसके बाद हम सीधे आफिस लौट आए। भोजन के लिए मैंने खत्री के माध्यम से पहले ही कैंटीन में समीर को कह दिया था, इसलिए निश्चंतता थी। 

तकरीबन तीन बजे के आसपास हम भोजन करने के लिए कैंटीन में पहुंचे और फिर मीटिंग के बाद शाम पांच बजे चाय पीने। यह हमारा डेली रूटीन है। इतवार को कैंटीन बंद रहती है, इसलिए उस दिन हम आफिस के पास सड़क किनारे ढाबे में चाय पीते हैं। आजकल विधानसभा चुनाव के कारण दिनचर्या पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो रखी है। 14 फरवरी को मतदान संपन्न होने तक तो घर भी नहीं जाया जा सकता। उस पर पिछले दिनों कोरोना भी हो गया था, जिसका असर अभी भी है। हालांकि, मैंने आरटी-पीसीआर जांच नहीं करवाई, लेकिन जिन साथियों ने करवाई, वो पाजीटिव ही निकले। 

अकेले में पाजीटिव आना भी गंभीर समस्या है। जिम्मेदारों ने कोरोना को लेकर माहौल ही इस कदर बिगाड़ दिया है कि हम कोरोना मरीज के साथ अस्पृश्य जैसा बर्ताव करने लगते हैं। सोचिए! ऐसे में उसकी मनोवृत्ति पर क्या असर होगा। नकारात्मक वातावरण उसके स्वास्थ्य को नुकसान ही तो पहुंचाएगा। यही हुआ भी, कोरोना से ज्यादा कोरोना के खिलाफ बने माहौल से ज्यादा लोग मरे। इसके अलावा जिम्मेदारों की घनघोर लापरवाही भी मौत की बडी़ वजह बनी। अस्पतालों में जो कुछ घटा, वह किसी से छिपा थोडे़ है। इसलिए मैंने अपना इलाज अपने ही तरीके से किया। कुछ दिन जरूर दिक्कत हुई, लेकिन फिर सब सामान्य हो गया।

हां! इस दौरान यह जरूर हुआ कि मैं ठीक से हीलिंग का अभ्यास नहीं कर पाया। हालांकि, सच्चिदानंद वैलनेस फाउंडेशन के बैनर तले क्वांटम हीलर एवं होलिस्टिक कोच गणेश काला की ओर से चलाई जा रही हीलिंग की आनलाइन कार्यशाला में मैंने नियमित रूप से प्रतिभाग किया। वैसे तो यह कार्यशाला एक से 21 जनवरी तक थी, लेकिन कालाजी ने इसे आगे भी कुछ दिन तक जारी रखा। मुझे भरोसा है कि इससे शिविरार्थियों को जरूर लाभ मिला होगा। भई! मुझे तो मिला। साथ ही मैं इस विधा को सीखने के लिए प्रेरित भी हुआ। 

अब तो हीलिंग के अभ्यास से ही मेरे दिन की शुरुआत होती है। इसके लिए मैं सुबह पांच बजे हर हाल में जाग जाता हूं। तन-मन के स्वास्थ्य के लिए इतना तो करना ही पड़ता है। आप भी अगर हीलिंग सीखना चाहते हैं और जीवन में सकारात्मकता लाना चाहते हैं तो होलिस्टिक कोच गणेश काला से फोन, वाट्सएप व टेलीग्राम पर सीधे संपर्क कर सकते हैं। उनका फोन, वाट्सएप वा टेलीग्राम नंबर 918057286132 है।

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Booster dose and corona

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Dinesh Kukreti

Today the publication (booster) dose of Corona has also been installed.  Although it was not needed, but for the first time for any work, the society has accepted it in the first line, so it was not considered appropriate to disrespect the feelings.  Actually, when I had administered the first dose of the corona vaccine, then the administration had put my name in the list of corona warriors along with other colleagues due to being associated with the press.  That's why I didn't have to wait for 84 days for the second dose as well.  Nine months after the second dose, now a booster dose is being applied to the elderly, health workers and corona warriors above 60 years of age.  So, I also got the benefit of this.

For the vaccine, I had booked a slot from one to three o'clock last night at Doon Medical College.  So, today at exactly twelve o'clock I reached the office.  From there he had to go for vaccination along with other colleagues, but it was found that he had come to get the vaccine done in the morning itself.  Now only Kiran Bhai and Himanshu were left, he and I went together.  There were only one or two people in the vaccination center, so it didn't take us more than five minutes there.  After that we went straight back to the office.  I had already told Sameer in the canteen through Khatri for food, so there was restlessness.

Around three o'clock we reached the canteen to have a meal and then after the meeting at five o'clock to have tea.  This is our daily routine.  The canteen is closed on Sundays, so that day we have tea in the roadside dhaba near the office.  Nowadays the routine has been completely disturbed due to the assembly elections.  Can't even go home till the polling is over on February 14.  Corona had also happened on him in the past, which still has its effect.  Although, I did not get the RT-PCR test done, but the colleagues who got it done, they turned out to be positive.

Coming positive alone is also a serious problem.  The responsibilities have spoiled the atmosphere regarding Corona in such a way that we start treating corona patients like untouchables.  Think!  So what will be the effect on his attitude?  Negative environment will only harm his health.  The same thing happened, more people died due to the atmosphere created against Corona than Corona.  Apart from this, the gross negligence of the responsible also became a major cause of death.  Whatever happened in the hospitals is a bit hidden from anyone.  So I treated myself in my own way.  It was a problem for a few days, but then everything went back to normal.

Yes!  During this it definitely happened that I was not able to practice healing properly.  However, I regularly attended online healing workshops conducted by Ganesh Kala, a quantum healer and holistic coach under the banner of Satchidananda Wellness Foundation.  Although this workshop was from January 1 to 21, but Kalaji continued it for a few days.  I am sure the campers must have benefited from this.  Hey!  I got it  At the same time, I was also inspired to learn this mode.

Now my day begins with the practice of healing.  For this, I always wake up at five in the morning.  So much has to be done for the health of body and mind.  If you also want to learn healing and bring positivity in life, then you can directly contact the holistic coach Ganesh Kalas by phone, whatsapp and telegram.  His phone, whatsapp or telegram number is 918057286132

Thursday, 27 January 2022

27-01-2022 (जीवन में बदलाव की ओर)



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जीवन में बदलाव की ओर

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दिनेश कुकरेती

सुबह नींद छह बजे के आसपास खुल गई थी, लेकिन मैंने बिस्तर साढे़ सात बजे छोडा़। पीने के लिए पानी गर्म करवाने के साथ ही मैंने केयर टेकर को चाय बनाने के लिए कह दिया। फिर उसने नाश्ते के बारे में पूछा तो मैंने और बड़थ्वालजी ने आलू-प्याज के पराठे और भुजिया बनाने की इच्छा जताई। दही हम कल ही ले आए थे। इस बीच स्नान-ध्यान कर हम सभी तैयार हो गए। साढे़ आठ बजे टेबल पर नाश्ता लग चुका था। सभी ने पेट भरकर नाश्ता किया और चार पराठे दोपहर के लिए टिफिन में पैक भी करा दिए। सवा नौ बजे के आसपास हमने आफिस के लिए प्रस्थान किया। पौन घंटा लगा होगा हमें देहरादून पहुंचने में। 

आफिस पहुंचने के बाद मैंने बाइक उठाई और चल पडा़ अपने ठिकाने की ओर। भूख थी नहीं, इसलिए दोपहर का भोजन बनाने के बजाय बिस्कुट वगैरह खाकर काम चला लिया। इसके बाद मैं रेकी हीलिंग का अभ्यास करने लगा। प्रवास में नेटवर्क न होने के कारण अभ्यास नहीं हो पाया था। दरअसल, रेकी हीलिंग की 21 दिन की आनलाइन कार्यशाला में हिस्सा लेने के बाद अब सुबह के वक्त खाली रहना बेहद अखरता है। सच्चिदानंद वैलनेस फाउंडेशन के बैनर तले यह कार्यशाला एक जनवरी से 21 जनवरी तक चली। इस दौरान होलिस्टिक कोच गणेश काला ने आसान भाषा में न केवल शरीर में छिपी सूक्ष्म परामानसिक शक्तियों से परिचित कराया, बल्कि इन्हें जागृत कर स्वयं को शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक समेत अनेक व्याधियों से मुक्त करने के तरीके भी समझाए। 
कार्यशाला में साधकों ने आभामंडल (Aura-Electro megnetic Field) की सफाई और कवच बनाने की प्रक्रिया भी जानी। सिर्फ़ अपनी बात करूं तो मैं छात्र जीवन से ही अध्यात्म के बेहद करीब रहा हूं। परामानसिक शक्तियों के बारे जानने की मेरी उत्सुकता हमेशा से रही है। इसके लिए मैंने कई पुस्तकों का अध्ययन भी किया और आज भी यह सिलसिला बरकरार है। हालांकि, इस बात का अफसोस जरूर है कि जीवन की आपाधापी में मैं व्यावहारिक रूप अध्यात्म के करीब नहीं जा पाया। कालाजी द्वारा शुरू की गई कार्यशाला ने मुझे इस दिशा में आगे बढ़ने को प्रेरित किया और अब मैं पूरे विश्वास के साथ आत्मजागरण की दिशा में आगे बढ़ रहा हूं। मैं छात्र जीवन से ही कुंडली जागरण के लिए उत्सुक रहता था, लेकिन मौका अब जाकर मिला। खैर! इससे क्या फर्क पड़ता है। जग जागे, तब भोर।
इतना तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि यदि हम सकारात्मक रहें तो जीवन में उल्लास के लिए बनावट-दिखावट की कोई जरूरत नहीं। रेकी हीलिंग ऐसा ही संधान है, जो हमें बेहद सरलता एवं सहजता से पूर्णता की प्राप्ति करा सकता है। आप भी यदि रेकी हीलिंग सीखकर जीवन में उल्लास घोलना चाहते हैं तो सच्चिदानंद वैलनेस फाउंडेशन के द्वार आपके लिए हमेशा खुले हैं। आप होलिस्टिक कोच गणेश काला से इस नंबर (+918057286132) पर सीधे संपर्क कर सकते हैं। इसी नंबर पर कालाजी वाट्सएप और टेलीग्राम पर भी उपलब्ध हैं। 
इसके अलावा फाउंडेशन की ओर से इन दिनों शाम आठ से नौ बजे तक  एक फरवरी से शाम आठ से नौ बजे तक Change your Frequency : Create your Destiny नाम से रेकी हीलिंग पर आनलाइन कार्यशाला आयोजित की जा रही है। आप नीचे दिए लिंक पर जाकर या फिर कालाजी के फेसबुक पेज (Genesh Kala : Holistic Coach) से जुड़कर कार्यशाला का हिस्सा बन सकते हैं। भविष्य में भी ऐसी जानकारियां मैं ब्लाग के माध्यम से निरंतर शेयर करता रहूंगा।
Change your Frequency : Creat your Destiny
From 1 Feb 2022
8:00 PM - 9 :00 PM (Daily)
Google Meet joining info : https://meet.google.com/ndi-ooqp-ymh
Join this meeting now

खैर! रेकी हीलिंग पर आगे भी बात जारी रहेगी। यह तो ऐसा विस्तृत ज्ञान है, जिसे किसी अध्याय विशेष में नहीं समेटा जा सकता। अब आता हूं आज की दिनचर्या पर। ढाई बजे के आसपास मैं आफिस पहुंचा। सतीजी और किरण भाई भोजन करने की तैयार कर रहे थे। उन्होंने मुझसे भी आग्रह किया। मैंने इन्कार किया तो उन्होंने जबर्दस्ती एक परांठा मक्खन के साथ मुझे थमा दिया। अब तो खाना ही था। इसके बाद उन्होंने भुजिया भी मेरी कटोरी में डाल दी। उसे भी खाना पडा़। कुछ ही देर में मूंगफली भी आ गई। यानी पेट फुल। मीटिंग के बाद हमने कैंटीन में एक-एक कप चाय पी और फिर काम पर जुट गए।
शाम साढे़ छह बजे के आसपास लाइब्रेरी से खत्री का फोन आया कि कल कोविड वैक्सीन की बूस्टर डोज की डेट है, आप भी स्लाट बुक करवा लीजिए। फिर उसी ने हम चार-पांच लोगों का दून मेडिकल कालेज के वैक्सीन सेंटर में दोपहर एक से तीन बजे के बीच का स्लाट बुक करा दिया। यह बूस्टर डोज 60 वर्ष से अधिक आयु वालों के साथ ही फ्रंटलाइन वर्कर को लगाई जा रही है। संयोग से हम भी फ्रंटलाइन वर्कर में शामिल हैं। हो सकता है बाद में सभी को लगाई जाए। वैसे सच कहूं तो इसे लगाने-न लगाने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। कोरोना से नुकसान उन्हीं को हो रहा है, जो बेवजह दहशत में आ जा रहे हैं। 
इसके लिए वो तमाम एजेंसियां जिम्मेदार हैं, जिन्होंने कोरोना को लेकर इस तरह का भयावह माहौल पैदा किया। अन्यथा खांसी-जुकाम किसे नहीं होता। अगर आप सकारात्मक हैं तो इम्यूनिटी के लिए कुछ अतिरिक्त खाने की जरूरत ही नहीं है। बहरहाल! रात काफी हो चुकी है और नींद से आंखें भी बोझिल हुई जा रही हैं। इसलिए क्यों न अब बिस्तर की शरण ले ली जाए। आप सभी की शुभ रात्रि!!
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Towards life change
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Dinesh Kukreti

I woke up around 6 in the morning, but I left the bed at 7:30.  Along with getting the water hot for drinking, I asked the caretaker to make tea.  Then he asked about breakfast, so Barthwalji and I expressed a desire to make potato-onion parathas and bhujia.  We had brought curd yesterday only.  Meanwhile, after taking bath and meditating, we all got ready.  Breakfast was already on the table at half past eight.  Everyone had a full breakfast and got four parathas packed in tiffin for the afternoon.  Around 9.15 we left for the office.  It would have taken us half an hour to reach Dehradun.

After reaching the office, I picked up the bike and started towards my hideout.  There was no hunger, so instead of making lunch, he worked by eating biscuits etc.  After that I started practicing Reiki healing.  Due to lack of network in migration, the exercise could not be done.  In fact, after participating in a 21-day online Reiki Healing workshop, it is extremely difficult to be empty in the morning.  Under the banner of Satchidananda Wellness Foundation, this workshop ran from January 1 to January 21.  During this, Holistic Coach Ganesh Kala not only introduced the subtle parapsychic powers hidden in the body in easy language, but also explained the ways to awaken them and free oneself from many ailments including physical, mental and emotional.

In the workshop, the seekers also learned the process of cleaning the Aura-Electro Magnetic Field and making armor.  Talking only about myself, I have been very close to spirituality since student life.  I have always been curious to know about parapsychic powers.  For this I also studied many books and this trend continues even today.  However, it is a matter of regret that in the hustle and bustle of life, I could not practically get close to spirituality.  The workshop started by Kalaji inspired me to move forward in this direction and now I am moving towards self-awareness with full confidence.  I used to be eager for Kundli Jagran since student life, but got the opportunity now.  So!  What difference does it make.  Wake up, then it's morning.

So much so that I can say with certainty that if we are positive, then there is no need for appearances to be happy in life.  Reiki Healing is one such method, which can help us to attain perfection with utmost ease and ease.  If you also want to add joy to life by learning Reiki healing, then the doors of Satchidananda Wellness Foundation are always open for you.  You can directly contact Holistic Coach Ganesh Kala on this number (+918057286132) .  Kalaji is also available on WhatsApp and Telegram on the same number.

Apart from this, these days from eight to nine in the evening, from February 1 to eight to nine in the evening. An online workshop is being organized on Reiki Healing named Change your Frequency : Create your Destiny.  You can be a part of the workshop by visiting the link given below or by joining Kalaji's Facebook page (Genesh Kala: Holistic Coach).  In future also, I will continue to share such information through the blog.
Change your Frequency : Create your Destiny
From 1 Feb 2022
8:00 PM - 9:00 PM (Daily)
Google Meet joining info : https://meet.google.com/ndi-ooqp-ymh
Join this meeting now

So!  The talk on Reiki healing will continue even further.  This is such a detailed knowledge, which cannot be summed up in any particular chapter.  Now coming to today's routine.  I reached the office around 2.30 pm.  Satiji and Kiran Bhai were preparing to eat food.  He urged me too.  I refused so he forcibly handed me a paratha with butter.  Now it was just food.  After this he also put Bhujia in my bowl.  He also had to eat.  In no time peanuts also arrived.  That is, the stomach is full.  After the meeting, we had a cup of tea in the canteen and then got to work.

At around 6.30 pm, Khatri got a call from the library that tomorrow is the date of booster dose of Kovid vaccine, you should also book your slot.  Then he booked a slot of four or five of us at the Vaccine Center of Doon Medical College between one and three o'clock in the afternoon.  This booster dose is being administered to those above 60 years of age as well as frontline workers.  Incidentally, we are also among the frontline workers.  Maybe later everyone can be planted.  Well, to be honest, applying it or not is not going to make any difference.  Those who are getting panic unnecessarily are being harmed by Corona.

For this, all those agencies are responsible, which created such a frightening environment regarding Corona.  Otherwise, who does not get cough and cold?  If you are positive then there is no need to eat anything extra for immunity.  However!  The night is long enough and the eyes are getting heavy due to sleep.  So why not take refuge in the bed now.  Good night to you all!!

Wednesday, 26 January 2022

26-01-2022 (जंगल में गणतंत्र का उल्लास)















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जंगल में गणतंत्र का उल्लास

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दिनेश कुकरेती

ज नींद सुबह ठीक पौने पांच बजे खुल गई थी, लेकिन वन क्षेत्र में नेटवर्क न होने के कारण रेकी हीलिंग की आनलाइन क्लास अटेंड नहीं कर पाया। हालांकि, आदतानुसार मैंने एक घंटे जागकर ध्यान का अभ्यास जरूर किया, लेकिन लेटे-लेटे। इसके बाद मैं सो गया और ठीक आठ बजे उठा। गणतंत्र दिवस पर मीडिया कर्मियों का अवकाश रहता है, इसलिए बेफिक्री थी। लेकिन, विधानसभा चुनाव होने के कारण इन दिनों खबरों के लिए मारामारी तो रहती ही है। आखिर डिजिटल डेस्क का पेट जो भरना है। इसलिए तय हुआ कि दो साथी डिजिटल डेस्क को सहयोग करने के लिए आफिस जाएंगे और दो जरूरी सामान के लिए बाजार। दो लोग विश्राम गृह में ही रुकेंगे।

चाय के साथ ब्रेड और भुजिया का नाश्ता करने के बाद नौ बजे के आसपास सतीजी व केदार आफिस के लिए निकल पडे़, जबकि सुमन और बड़थ्वालजी कुछ देर बाद बाजार के लिए। असल में हमने तय किया था कि दिन के भोजन में चावल, अरहर की दाल व पहाडी़ पालक की सब्जी बनवाएंगे। शाम के लिए चावल, मटन व मछली के पकौडे़ बनवाने का कार्यक्रम था। कल सुबह के नाश्ते के लिए भी कुछ न कुछ लाना ही था। अब मैं और किरण भाई ही विश्राम गृह में रह गए थे, इसलिए हम आंगन में पेड़-पौधों के बीच टहलने लगे। तकरीबन डेढ़ घंटे बाद सुमन व बड़थ्वालजी लौटे। हमने कार से सामान उतारकर विश्राम गृह के केयर टेकर से खाना बनाने के लिए कह दिया। स्वयं हम कुछ दूर तक जंगल में टहलने के लिए निकल पडे़।

ढाई बजे के आसपास भोजन तैयार हो गया। हम तीनों ने गर्मागर्म भोजन किया और फिर आराम करने लगे। आफिस गए साथी अभी लौटे नहीं थे, इसलिए उनके  हिस्से का भोजन फ्रिज में रखवा दिया। कुछ देर बाद केयर टेकर ने चाय के लिए पूछा तो हमने 'हां' कह दिया। पांच बजे के आसपास आफिस गए साथी भी आ गए और उनके भोजन करने के साथ ही शाम के भोजन की भी तैयारी होने लगी। इसके अलावा खबरों को लेकर माथापच्ची और अन्य विषयों पर चर्चा भी चलती रही। मछली के पकौडे़ तैयार हो चुके थे। शौकीन साथियों के लिए अंगूर की बेटी का इंतजाम भी था। उनके साथ हमने भी मछली के पकौडो़ं का जायका लिया और फिर पास ही फायर क्रू स्टेशन की ओर कैंप फायर के लिए निकल पडे़। वहां पहले से ही अलाव के चारों ओर घेरा बनाकर कुर्सियां रखी हुई थीं।
















ठंडियों के मौसम में इस तरह आग सेंकने का मजा ही कुछ और है। इस आनंद को सिर्फ महसूस किया जा सकता है। अभी पांच-सात मिनट ही हुए होंगे कि बारिश की झडी़ लग गई। हालांकि, अलाव के सामने बैठकर ये बारिश भी सुहानी लग रही थी। तकरीबन 15 मिनट बाद बारिश हल्की हुई तो हम भोजन के लिए वापस विश्राम गृह की ओर चल पडे़। इस बीच मटन-चावल भी तैयार हो गया था। हमने भोजन शुरू ही किया था कि कांग्रेस व भाजपा के प्रत्याशियों की दूसरी सूची भी जारी हो गई। अब चुनौती उनके बारे में जानकारी जुटाने की थी। मैं 'चुनौती' इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि यहां नेटवर्क ही नहीं है।

आंगन में हालांकि हल्का-फुल्का और कभी-कभार ठीक-ठाक नेटवर्क भी मिल जा रहा है, लेकिन जंगल का इलाका होने के कारण रात के वक्त देर तक बाहर रहना खतरनाक भी हो सकता था। कारण, गुलदार (लेपर्ड) कब सामने आ धमके, कहा नहीं जा सकता। हाथी के आने की आशंका भी बराबर बनी रहती है। उस पर मुश्किल यह कि भीतर बैठकर न तो खबरें भेजी जा सकती थीं, न प्रत्याशियों के बारे में जानकारी ही जुटाई जा सकती थी। इतना ही नहीं, स्टेशनों पर अपने रिपोर्टर साथियों से भी संपर्क नहीं साधा जा सकता था। इसलिए आंगन में जाए बगैर काम भी नहीं चलने वाला था। लिहाजा अकेले जाने के बजाय हम दो लोग आंगन में जा रहे थे। एक की ड्यूटी खबरें पता करने व भेजने की थी तो दूसरे की निगरानी करने की। यह जिम्मेदारी मैंने संभाली।















डर तो लग ही रहा था, लेकिन बरामदे के एक कोने में चुपचाप लेटे कुत्ते को देखकर राहत भी महसूस हो रही थी। कुत्ते की सूंघने की शक्ति बहुत तेज होती है और वह दूर से खतरे का अंदाज लगा लेता है। खैर! जैसे-तैसे जानकारी जुटाकर व खबरें भेजकर हमने राहत की सांस ली और इस समय बिस्तर में आ गए हैं। रात के एक बज चुके हैं और सुबह नौ बजे यहां से सीधे आफिस के लिए प्रस्थान करना है। सो, जल्दी उठना तो पडे़गा ही। हमने केयर टेकर को बता दिया है कि सुबह आलू-प्याज के पराठे,  भुजिया और दही खाएंगे। दही हम दिन में बाजार से ले आए थे। हम तीन लोग एक सूट में हैं और दो लोग दूसरे सूट में। बड़थ्वालजी ने बैठक में सोफे को ही बैड बना रखा है। पास ही इलेक्ट्रिक हीटर भी जल रहा है, इसलिए ठंड लगने का तो सवाल ही नहीं उठता। बहरहाला! अब सो लिया जाए। बाकी किस्सा कल सुनाऊंगा। तब तक के लिए नमस्कार!!











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Republic joy in the jungle

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Dinesh Kukreti

Today I woke up at 5.45 am, but due to lack of network in the forest area, I could not attend the online classes of Reiki Healing.  However, as a habit, I did practice meditation after waking up for an hour, but lying down.  After that I went to sleep and woke up at exactly eight o'clock.  Media personnel have a holiday on Republic Day, so there was carelessness.  But, due to the assembly elections being held, there is always a tussle for the news these days.  After all, the stomach of the digital desk is to be filled.  Therefore it was decided that two companions would go to the office to support the digital desk and market for two essential goods.  Two people will stay in the rest house itself.

After having breakfast of bread and bhujia with tea, around 9 o'clock Satiji and Kedar left for the office, while Suman and Barthwalji left for the market after sometime.  In fact, we had decided that we would make rice, tur dal and hill spinach vegetables for the day's meal.  There was a program to make pakodas of rice, mutton and fish for the evening.  Had to bring something for breakfast yesterday morning.  Now Kiran Bhai and I were left in the rest house, so we started walking among the trees and plants in the courtyard.  After about an hour and a half, Suman and Barthwalji returned.  We unloaded the luggage from the car and asked the care taker of the rest house to cook the food.  We ourselves went out for a walk in the forest for some distance.










The food was ready around 2.30 pm.  The three of us had a hot meal and then started taking rest.  The colleagues who had gone to the office had not returned yet, so their portion of the food was kept in the fridge.  After sometime the caretaker asked for tea and we said 'yes'.  Around five o'clock the colleagues who had gone to the office also came and along with having their food, preparations for the evening meal also started.  Apart from this, discussions on news and other topics also continued.  The fish dumplings were ready.  There was also an arrangement for the daughter of grapes for the fond companions.  With them we also tasted the fish dumplings and then headed out to the nearby fire crew station for the campfire.  There were already chairs placed around the bonfire.



















There is nothing more fun than baking like this in the winter season.  This joy can only be felt.  It must have been only five-seven minutes that the rain started.  However, sitting in front of the bonfire, this rain was also looking pleasant.  After about 15 minutes it rained lightly, so we headed back to the rest house for food.  Meanwhile mutton-rice was also ready.  We had started the meal when the second list of Congress and BJP candidates was also released.  Now the challenge was to gather information about them.  I am saying 'challenge' because there is no network here.

Although light and sometimes decent networks are available in the courtyard, being out late at night could also be dangerous due to the forest area.  The reason, when the leopard (leopard) came to the fore, cannot be said.  There is also the possibility of an elephant coming.  The difficulty on him was that neither news could be sent sitting inside nor information could be gathered about the candidates.  Not only this, even his reporter colleagues at the stations could not be contacted.  So without going to the courtyard, even the work was not going to work.  So instead of going alone, two of us were going to the courtyard.  The duty of one was to track and send the news and to monitor the other.  I took this responsibility.















There was fear, but seeing the dog lying quietly in a corner of the verandah, there was also a feeling of relief.  A dog has a very strong sense of smell and can sense danger from a distance.  So!  As soon as we gathered information and sent news, we breathed a sigh of relief and are now in bed.  It is one o'clock in the night and at nine o'clock in the morning we have to leave directly for the office.  So, you have to get up early.  We have told the caretaker that in the morning we will eat potato-onion parathas, bhujia and curd.  We had brought curd from the market during the day.  We are three people in one suit and two people in another.  Barthwalji has made the sofa a bed in the living room.  Electric heater is also burning nearby, so there is no question of getting cold.  However!  Now go to sleep.  I will tell the rest of the story tomorrow.  Goodbye until then!!


Tuesday, 25 January 2022

25-01-2022 (कड़वापानी वन विश्रामगृह)

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कड़वापानी वन विश्रामगृह

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दिनेश कुकरेती

मेशा की तरह इस बार भी हम गणतंत्र दिवस का उल्लास शहर से बाहर मनाना चाहते थे। कई दिन से इसके लिए प्लान भी कर रहे थे, फिर भी संशय की स्थिति बनी हुई थी। हालांकि, इस बार हमारा इरादा शहर से बहुत दूर जाने का नहीं था, इसलिए सर्वसम्मति बनी कि गणतंत्र दिवस कड़वापानी वन विश्रामगृह में मनाया जाएगा। यह क्षेत्र देहरादून वन प्रभाग की आसारोडी़ रेंज में मानक (माणक) सिद्ध मंदिर से लगभग एक किमी आगे सहसपुर ब्लाक में पड़ता है। विश्रामगृह की पटेलनगर से दूरी 15-16 किमी के आसपास होगी। तय हुआ कि 25 जनवरी की रात नौ-साढे़ नौ बजे के आसपास आफिस से ही कड़वापानी के लिए निकल पडे़ंगे।















इन दिनों उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा व मणिपुर के अलावा उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। 28 जनवरी को नामांकन का अंतिम दिन है और अभी तक राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। कब कर दें, यह कहना भी मुश्किल है। इसलिए काम का दबाव कुछ ज्यादा ही है। फिर भी उम्मीद थी कि नौ बजे तक निकलने का मौका मिल ही जाएगा। हालांकि, 24 जनवरी को इस पर कोई चर्चा नहीं हुई, लेकिन किरण भाई ने मुझसे कह दिया था कि कल आफिस आते समय तौलिया-साबुन व ब्रुश-पेस्ट अवश्य अपने साथ लेता आऊं।

आज दुपहर मैंने ऐसा ही किया और एक थैले में जरूरी सामान लेकर मैं आफिस की राह चल पडा़। आफिस पहुंचते ही किरण भाई से कन्फर्म हो गया कि हम रात को कड़वापानी के लिए निकल रहे हैं। किरण भाई, सुमन सेमवाल व बड़थ्वालजी साढे़ आठ बजे के आसपास आफिस से निकल पडे़। जिस रास्ते वह कड़वापानी पहुंचे, वह हममें से किसी को भी ठीक-ठीक मालूम नहीं था। उस पर रात का वक्त। इसलिए एक टीम का समय से यहां पहुंचना जरूरी था। मुझे, सतीजी व केदार को साढे़ नौ बजे के आसपास आफिस से चलना था, लेकिन एक खबर में ऐसे उलझे कि वहीं रात के ग्यारह बज गए। खैर! जैसे-तैसे सवा ग्यारह बजे के आसपास हम कड़वापानी के लिए प्रस्थान कर पाए।

गूगल मैप बता रहा था कि आधा घंटे में हम यहां पहुंच जाएंगे, लेकिन भुड्डी गांव के बाद हम रास्ता भटक गए। हमें माणक सिंह मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते पर चलना था, लेकिन हम सीधे आगे निकल गए। पर यह क्या, रास्ता तो अब आगे था ही नहीं। सो, कार बैक कर हम उसी रास्ते पर वापस चल पडे़। चलते-चलते बड़थ्वालजी से फोन पर बात की तो वह भी स्पष्ट नहीं बता पाए कि किधर आना है। अब हमने एक स्थान पर सड़क किनारे कार खडी़ की और सोचने लगे कि क्या किया जाए। इससे पहले हम बड़थ्वालजी से कह चुके थे कि वे हमें लेने आ जाएं। इसी बीच सुमन से बात हुई तो उसने सीधे माणक सिद्ध मंदिर की ओर आने को कहा।



इस बीच सामने से सुमन भी कार लेकर आता नजर आ गया। अब हम उसकी कार के पीछे-पीछे चलने लगे। लेकिन, माणक सिद्ध मंदिर के पास वो भी रास्ता भटककर गलत ट्रैक पर चल पडा़। हालांकि, पांच मिनट बाद ही उसे इसका आभास हो गया और उसने कार वापस मोड़ ली। वहां से लगभग 15 मिनट लगे होंगे हमें विश्रामगृह पहुंचने में। तब तक रात के सवा बारह बज चुके थे। दसेक मिनट फ्रैश होने में भी लगे होंगे। इसके बाद हमने भोजन करना शुरू किया। यहां आकर पता चला कि ये लोग भी रास्ता भटक गए थे और साढे़ नौ बजे के बाद ही यहां पहुंचे। बहरहाल! हम भोजन कर चुके हैं और अब सोने की तैयारी है। आगे का प्लान क्या है, इस बारे में विस्तार से कल बताऊंगा। फिलहाल आप भी चैन की नींद लीजिए। शुभरात्रि!

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Kadwapani Forest Rest House

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Dinesh Kukreti

As always, this time also we wanted to celebrate Republic Day out of town with gaiety.  Been planning for this for many days, still there was a situation of doubt.  However, this time we did not intend to go too far from the city, so a consensus was reached that Republic Day would be celebrated at Kadapani Forest Rest House.  This area falls in Sahaspur block, about one km ahead of Manak (Manak) Siddha temple in Asarodi range of Dehradun Forest Division.  The distance of rest house from Patelnagar will be around 15-16 km.  It was decided that on the night of January 25, around 9.30 pm, they would leave the office for bitter water.

These days, apart from Uttar Pradesh, Punjab, Goa and Manipur, the process of nomination for the assembly elections is going on in Uttarakhand.  January 28 is the last day for nominations and political parties have not yet declared their candidates.  It's hard to say when to do it.  So the work pressure is a bit high.  Still, it was expected that by nine o'clock there would be a chance to leave.  Although there was no discussion on this on January 24, but Kiran Bhai had told me that I must bring towel-soap and brush-paste with me while coming to the office tomorrow.

This afternoon I did the same thing and with the necessary items in a bag, I started on the way to the office.  As soon as we reached the office, it was confirmed by Kiran Bhai that we are going out for bitter water at night.  Kiran Bhai, Suman Semwal and Barthwalji left the office around 8:30.  None of us knew exactly the way he reached Kadapani.  Night time on that.  So it was necessary for a team to reach here on time.  I, Satiji and Kedar had to leave the office around 9.30, but got entangled in a news that it was eleven o'clock in the night.  So!  Somehow, around 11.15, we were able to leave for Kadapani.

Google Map was telling that we will reach here in half an hour, but after Bhuddi village we lost our way.  We had to walk on the road leading to Manak Singh Temple, but we went straight ahead.  But what was this, the way was not ahead now.  So, taking the car back, we went back on the same path.  Talking to Badthwalji on the phone while walking, he too could not clearly tell where to come.  Now we parked the car on the side of the road at one place and started thinking what to do.  Earlier we had told Barthwalji that he should come to pick us up.  In the meantime, talking to Suman, he asked to come directly towards Manak Siddha temple.

Meanwhile, Suman was also seen coming with the car from the front.  Now we started following his car.  But, near the Manak Siddha temple, he too lost his way and walked on the wrong track.  However, after five minutes he realized this and turned the car back.  From there it would have taken about 15 minutes for us to reach the rest house.  By then it was twelve o'clock in the night.  It will also take ten minutes to get fresh.  After that we started having food.  Coming here, it came to know that these people had also lost their way and reached here only after 9.30.  However!  We have had our meal and now we are ready to sleep.  What is the plan ahead, I will tell you in detail tomorrow.  For now, you too can sleep peacefully.  Good night!

Saturday, 1 January 2022

01-01-2022 (नई सुबह की नई शुरुआत)


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नई सुबह की नई शुरुआत

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दिनेश कुकरेती

ज नये साल का पहला दिन है। मनोवैज्ञानिक रूप से ऐसे मौके जीवन में नई ऊर्जा का संचार करने वाले माने जाते हैं। लेकिन, मेरी मान्यता है कि हर सुबह जीवन में उल्लास और उमंग लेकर ही आती है, इसलिए हर सुबह का स्वागत नये साल की सुबह जैसा ही होना चाहिए। हालांकि, मेरा यह भी मानना है जन की राय यदि जीवन में उल्लास घोलने वाली हो तो उस पर किसी को भी मन की राय नहीं थोपनी चाहिए। सो, मैंनै भी नए साल का स्वागत नए संकल्प और नए कार्यों के साथ ही किया। इसमें सबसे पहला एवं अहम कार्य है 21 दिन का SELF HEALING ONLINE PROGRAMME ज्वाइन करना। यह शिविर HOLISTIC HEALER & GRANDMASTER मित्र गणेश काला ने SHRI SACHIDANAND WELLNESS FOUNDATIONS के बैनर तले शुरू किया है।

कालाजी और मेरी इस विषय पर कई दिनों से बात हो रही थी। लिहाजा तय किया गया कि इस नि:शुल्क शिविर की शुरुआत नये साल के पहले दिन से की जाए। इसका समय सुबह पांच से छह बजे तक रखा गया है। हीलिंग का अभ्यास करने के लिए यह सर्वोत्तम समय है। बतौर कोच कालाजी का यह पहला आनलाइन शिविर है और बतौर प्रशिक्षु मेरा भी पहला। पर, सच कहूं तो हीलिंग सीखने में आनंद आ रहा है। आने वाले दिनों में मैं ब्लाग के जरिये भी शिविर में सीखी गई जानकारियां आपसे साझा करूंगा। ताकि आप भी ब्रह्मांड की ऊर्जा से शारीरिक एवं मानसिक रूप से लाभान्वित हो सकें। आज ही उत्तरांचल प्रेस क्लब में मुझ समेत संपूर्ण नवनिर्वाचित कार्यकारिणी ने कार्यभार भी ग्रहण किया। इसके लिए दोपहर 12 बजे का समय निर्धारित किया गया था, हालांकि मैं साढे़ ग्यारह बजे ही क्लब पहुंच गया।

दोपहर 12:55 बजे कार्यभार ग्रहण करने के निमित्त कार्यक्रम शुरू हुआ, जो लगभग दो बजे तक चला। कार्यक्रम के दौरान ही हमने औपचारिक रूप से बैठक भी आयोजित कर दी, जिसमें नवनिर्वाचित और निवर्तमान सदस्यों ने भी सुझाव एवं विचार रखे। निवर्तमान कार्यकारिणी की ओर से नवनिर्वाचित पदाधिकारी व कार्यकारिणी सदस्यों को नये साल की डायरी व पेन भेंट किए गए। इस मौके पर निवर्तमान कार्यकारिणी की ओर से सहभोज की व्यवस्था भी की गई थी। सो, सहभोज में सभी ने चावल, तोर की दाल और हरी सब्जी का आनंद उठाया। मेरे लिए तो ऐसे मौके आनंद के होते ही हैं। खैर! पौने तीन बजे के आसपास मैं आफिस पहुंच गया।

आफिस पहुंचने के बाद मैं कुछ देर लाइब्रेरी में खिड़की के पास बैठकर धूप सेंकता हूं। आज भी मैंने ऐसे ही किया। इस बीच फोन पर कालाजी से भी हीलिंग के बारे में चर्चा हुई। मसलन, शिविर से ज्यादा से ज्यादा लोग कैसे जोडे़ जाएं, इसका प्रचार-प्रसार कैसे हो, लोगों हीलिंग के लाभ किस तकनीक से समझाए जाएं वगैरह-वगैरह। इसके साथ ही फोन, वाट्सएप व फेसबुक पर नए मित्र-परिचितों से शुभकामनाओं का आदान-प्रदान भी चलता रहा। बात चली है तो मैं अपने साहित्यकार मित्र मुकेश नौटियाल का जिक्र खासतौर पर करना चाहूंगा। मुकेश भाई ने शुभकामनाओं के साथ मुझे डिजिटल फार्मेट में एक पेंटिंग भी भेंट की। यह पेंटिंग उन्होंने स्वयं बनाई है। इसमें सुहानी सुबह का मनमोहक नजारा दिखाई दे रहा है, जिसका प्रकृति प्रफुल्लित होकर स्वागत कर रही है।













इस बीच सतीजी ने बताया कि कल रविवार को हम तीन-चार लोग रिस्पना पुल के पास मीनाक्षी वेडिंग प्वाइंट में गढ़भोज पर आमंत्रित हैं। यह भोज अखिल गढ़वाल सभा की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी के शपथ ग्रहण के मौके पर आयोजित किया गया है। ऐसे संस्कृति से जुडे़ कार्यक्रमों का हिस्सा बनना मुझे हमेशा ही अच्छा लगता है, इसलिए मैंने गढ़भोज में जाने को हामी भर ली और फिर जुट गया खबरों की उधेड़बुन में। रात साढे़ दस बजे के आसपास में कमरे में पहुंचा। दिन में कुछ ज्यादा ही भोजन कर लिया था, इसलिए खाना नहीं बनाया। बस! चाय-बिस्कुट से ही काम चला लिया। वैसे भी खाने की जबरदस्ती कभी नहीं करनी चाहिए, इससे सेहत को नुकसान ही होता है। इस समय मैं डायरी पूरी करने के बाद सोने की तैयारी कर रहा हूं। सुबह हीलिंग सीखने के लिए पांच बजे से पहले जागना है। इसलिए सोना भी जल्दी पडे़गा। ...तो ठीक है फिर, कल मिलते हैं। तब तक के लिए नमस्कार!!

इसे भी देखें

https://www.facebook.com/100004242762562/posts/2317282245089845/ 

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New morning new beginning

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Dinesh Kukreti

Today is the first day of the new year.  Psychologically, such occasions are considered to infuse new energy in life.  But, I believe that every morning brings joy and enthusiasm in life, so every morning should be welcomed like the morning of the new year.  However, I also believe that if the opinion of the public is going to add joy to life, then no one should impose the opinion of the mind on it.  So, I also welcomed the new year with new resolutions and new tasks.  The first and most important task in this is to join SELF HEALING ONLINE PROGRAMME for 21 days.  This camp is started by HOLISTIC HEALER & GRANDMASTER friend Ganesh Kala under the banner of SHRI SACHIDANAND WELLNESS FOUNDATIONS.

Kalaji and I were talking on this subject for several days.  So it was decided that this free camp should be started from the first day of the new year.  Its timing has been kept from five to six in the morning.  This is the best time to practice healing.  This is Kalaji's first online camp as a coach and my first as a trainee.  But to be honest, learning healing is a pleasure.  In the coming days, I will share with you the information learned in the camp through a blog.  So that you too can benefit physically and mentally from the energy of the universe.  Today, the entire newly elected executive committee including me has also taken charge in Uttaranchal Press Club.  For this the time was fixed at 12 noon, although I reached the club only at 11:30.













The program started at 12:55 pm for taking charge, which lasted till about two o'clock.  During the program itself, we also formally organized a meeting, in which the newly elected and outgoing members also gave their suggestions and ideas.  New Year's diaries and pens were presented to the newly elected office bearers and executive members on behalf of the outgoing executive.  On this occasion, arrangements were also made for the outgoing executive committee.  So, everyone enjoyed rice, toor dal and green vegetables in the dinner.  For me, such occasions are always of joy.  So!  I reached the office around three o'clock.

After reaching the office, I sit in the library by the window and soak in the sun.  I did the same thing today.  Meanwhile, there was a discussion on the phone with Kalaji about healing.  For example, how to connect more and more people to the camp, how it should be promoted, what techniques should be explained to people about the benefits of healing, etc.  Along with this, exchange of greetings with new friends and acquaintances also continued on phone, WhatsApp and Facebook.  If the matter has gone on, I would like to especially mention my literary friend Mukesh Nautiyal.  Mukesh Bhai also presented me a painting in digital format along with best wishes.  He himself made this painting.  In this, a beautiful view of a pleasant morning is visible, which is being welcomed by nature cheerfully.

Meanwhile, Satiji told that tomorrow on Sunday, three or four people are invited for Garhbhoj at Meenakshi Wedding Point near Rispana bridge.  This banquet has been organized on the occasion of swearing-in of the newly elected executive of Akhil Garhwal Sabha.  I always like to be a part of such cultural programs, so I agreed to go to Garhbhoj and then got involved in the buzz of news.  Reached the room around 10.30 pm.  Had eaten too much food during the day, so did not prepare food.  Bus!  Worked only with tea and biscuits.  Anyway, food should never be forced, it only harms health.  Right now I am preparing to sleep after completing the diary.  One has to wake up before five o'clock in the morning to learn healing.  That's why gold will also fall soon.  ...Okay then, see you tomorrow.  Goodbye until then!!

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