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Wednesday, 22 December 2021

22-12-2021 (नामांकन का दिन)

























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नामांकन का दिन
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दिनेश कुकरेती
दिसंबर का दूसरा पखवाडा़ शुरू होते ही उत्तरांचल प्रेस क्लब की राजनीति गर्माने लगती है। इस बार भी ऐसा ही नजारा है। नई कार्यकारिणी के लिए चुनाव का कार्यक्रम घोषित हो चुका है। मतदान की तिथि 29 दिसंबर तय हुई है, जबकि आज नामांकन दाखिल करने का दिन है। रात को आफिस से घर लौटते समय सतीजी ने मुझसे आज क्लब पहुंचने के लिए कहा था, ताकि मैं उत्तराखंड पत्रकार यूनियन के पैनल से चुनाव लड़ने वाले साथियों का प्रस्तावक बन सकूं। हालांकि, सच कहूं तो मैं आज कतई क्लब जाने के पक्ष में नहीं था। खासकर, चुनाव से तो मैं पूरी तरह दूर ही रहना चाहता था। बस! सतीजी की बात रखने के लिए मैं क्लब चला गया।

सुबह 11 बजे के आसपास मैं क्लब पहुंचा। तब साथी लोग नामांकन के लिए फार्म भरने में जुटे हुए थे। कुछ साथियों ने प्रस्तावक बनने का आग्रह किया तो मैं सहर्ष तैयार हो गया। इस बीच अध्यक्ष पद के दावेदार जितेंद्र अंथवाल ने मुझसे भी नामांकन करने को कहा तो मैं इन्कार करते हुए चुपचाप किनारे खिसक गया। लेकिन, इतना आभास मुझे जरूर होने लगा था कि मैं फंस गया हूं, क्योंकि अंथवालजी बार-बार कह रहे थे कि अगर मैंने नामांकन नहीं किया तो वे भी नहीं करेंगे। फिर भी मैं सभी से नजरें चुरा रहा था। इसी बीच थलेडी़जी ने मुझे बुलवा लिया और नामांकन दाखिल करने को कहा। मेंने इन्कार किया तो बोले कि मेरा नाम रात ही पैनल में डाल दिया गया था, इसलिए मुझे लड़ना ही होगा।

मैंने उन्हें टालने की काफी कोशिश की, लेकिन वो भला कहां सुनने वाले थे। इसके अलावा बाकी साथी भी मुझ पर नामांकन कराने को दबाव बनाने लगे। अब तो एकमात्र विकल्प यही था कि चुपचाप संयुक्त मंत्री के पद पर नामांकन दाखिल कर दूं। सो, मैंने फार्म लिया और औपचारिकता पूरी करने के बाद बिना किसी तर्क-वितर्क के उसे जमा करा दिया। अंथवालजी ने मेरा नामांकन दाखिल होने के बाद ही अपना नामांकन भरा। संयोग से मेरे विरोध में किसी ने भी नामांकन नहीं भरा और मेरी जीत निर्विरोध तय हो गई। इस तरहा न चाहते हुए भी मैं प्रेस क्लब की नई कार्यकारिणी का हिस्सा बन चुका था।

दोपहर के दो बज चुके थे और भूख से पेट में कुलबुलाहट होने लगी थी। खाने में पुलाव बना हुआ था, सो मैंने पहले पेट पूजा करना ही बेहतर समझा। मैंने किचन में जाकर जगदीश भाई से भोजन लगाने के लिए कहा तो उन्होंने मुझे किचन में ही बुला लिया। बड़थ्वालजी, हिमांशु और मनमोहन भाई ने भी किचन में साथ ही भोजन किया। इसके उपरांत कुछ देर साथियों के बीच गुजारने के बाद मैं आफिस लौट आया। सभी शुभचिंतक और साथी मेरे चुनाव में उतरने से खुश हैं। पता नहीं उन्हें क्यों लगता है कि मैं क्लब में बदलाव का वाहक बनूंगा।

खैर! भले ही अपन के विरोध में कोई न हो, लेकिन महामंत्री, कोषाध्यक्ष व संप्रेक्षक के अलावा कार्यकारिणी सदस्य पदों के लिए मैदान में मौजूद साथियों के पक्ष में तो प्रचार करना ही होगा। इसी बिंदु पर रात को आफिस से घर लौटने तक साथियों से चर्चा भी होती रही। फिलहाल रात काफी हो चुकी है। भोजन में मैंने दलिया ही लिया। अब आधा-पौन घंटे यू-ट्यूब पर मनपसंद क्लिप देखूंगा और फिर निद्रा देवी के शरणागत हो जाऊंगा। कल फिर प्रेस क्लब जाना है। अब ओखली में सिर दे ही दिया है तो फिर मूसल से डर किस बात का। इसलिए, कल मिलते हैं नए अंदाज और नए मिजाज के साथ।

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Enrollment day

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Dinesh Kukreti

As soon as the second fortnight of December starts, the politics of Uttaranchal Press Club starts heating up.  This time also it is the same scene.  The election schedule for the new executive has been announced.  The date for voting has been fixed as December 29, while today is the day for filing nominations.  While returning home from office at night, Satiji had asked me to reach the club today so that I could become a proponent of the comrades contesting from the panel of Uttarakhand Journalists Union.  Although, to be honest, I was not in favor of going to the club today.  Especially, I wanted to stay away from elections altogether.  Bus!  I went to the club to talk about Satiji.

I reached the club around 11 am.  Then fellow people were busy filling the form for enrollment.  When some colleagues requested to become a proposer, I happily agreed.  Meanwhile, the candidate for the post of President Jitendra Anthwal asked me to do the nomination too, I refused and slipped silently to the side.  But, I was beginning to feel that I was trapped, because Anthwalji was repeatedly saying that if I didn't enroll, he wouldn't either.  Still I was stealing eyes from everyone.  Meanwhile, Thalediji called me and asked me to file my nomination.  I refused and said that my name was put on the panel at night, so I will have to fight.











I tried a lot to avoid him, but where was he going to listen?  Apart from this, other friends also started pressurizing me to enroll.  Now the only option was to quietly file nomination for the post of Joint Minister.  So, I took the form and after completing the formalities submitted it without any argument.  Anthwalji filed his nomination only after my nomination was filed.  Incidentally, no one filed nomination against me and my victory was decided unopposed.  I had become a part of the new executive of the Press Club, despite not wanting to do so.

It was two o'clock in the afternoon and there was a fidgeting in the stomach due to hunger.  Pulao was prepared in the food, so I thought it better to worship the stomach first.  When I went to the kitchen and asked Jagdish Bhai to prepare food, he called me in the kitchen itself.  Barthwalji, Himanshu and Manmohan Bhai also had food together in the kitchen.  After this, after spending some time among my friends, I returned to the office.  All the well wishers and friends are happy to contest my election.  Don't know why they think I will be the change agent in the club.

So!  Even if no one is against himself, but apart from the General Secretary, Treasurer and Observer, one will have to campaign in favor of the colleagues present in the field for the posts of executive member.  At this point, there was a discussion with the colleagues till he returned home from the office at night.  By now the night is long enough.  I took only porridge in the meal.  Now I will watch my favorite clip on YouTube for half an hour and then I will surrender to Nidra Devi.  Tomorrow I have to go to the press club again.  Now you have already given your head in the mortar, then what is there to be afraid of with a pestle.  So, see you tomorrow with new style and new mood.

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