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इन्सान को कुत्ता बनने की शुभकामनाएं
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दिनेश कुकरेती
कुछ दिन पहले मैं रात 11 बजे के आसपास आफिस से कमरे में लौट रहा था। जैसे ही मैं अपने मुहल्ले की लेन में दाख़िल हुआ, 50 मीटर की दूरी पर कुत्ते भोंकते नज़र आए। गौर से देखा तो एक व्यक्ति सड़क किनारे अपने कुत्ते के गले में पड़े पट्टे की रस्सी पकड़े खड़ा था। पास ही उसका कुत्ता अपने मल-मूत्र से सड़क को पवित्र कर रहा था। इसीलिए शायद वह कुत्ते को टहलाने के बहाने इतनी रात को सड़क पर निकला था। घर खराब होने का डर रहता है ना। यहां कौन है पूछने वाला। कुत्ते वालों का तो वैसे भी रुतबा होता है और फिर आस-पड़ोस वाले भी तो यही करते हैं।
खैर! कुत्ते का व्यवहार बता रहा था कि वह खतरनाक नस्ल का है। जरा छूट गया तो दो-एक की टांगें चट कर जाएगा। यह कुत्ता टहलाने वाले के हाव-भाव से तो लग ही रहा था, कुत्ता भी निवृत्त होने के साथ लगातार हर आने-जाने वाले पर भोंक रहा था। नतीजा, सड़क पर आवारागर्दी कर रहे स्ट्रीट डॉग भी उस पर जमकर बरस रहे थे, लेकिन दूर-दूर से। मैंने महसूस किया कि कुत्ते वाले उस व्यक्ति का आचरण भी कुछ अलग ही तरह का है। सर्दी के इस मौसम में भी वह नेकर पहने हुए है। ऊपर जरूर मोटी स्वेट शर्ट है, लेकिन हाव-भाव से ऐसे प्रदर्शित कर रहा है, मानो ठंड का उस पर कोई असर ही नहीं होता। हो भी सकता है कि न हो रहा हो। चाल भी उसकी अकड़ वाली है, हालांकि कुत्ता उससे भी ज्यादा अकड़ वाला प्रतीत होता है। ऐसे में अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा है कि दोनों में कौन किसका मालिक है। वैसे रुतबा तो कुत्ते का ही है मालिक वाला।
इस दृश्य को देखकर मुझे एक और वाकया याद हो आया है। चलिए! आपको भी सुनाता हूं- मेरे एक परिचित पत्रकार हैं। एक शाम किसी खबर के सिलसिले में उन्होंने एक महिला अधिकारी को फ़ोन लगाया। अधिकारी ने फ़ोन उठाया तो उनके इर्द-गिर्द कुत्ते के जोर-जोर से भोंकने की आवाज सुनाई दे रही थी। इससे मेरे परिचित स्वयं को असहज महसूस करने लगे और बोले, 'मैडम! कुत्ता जोर-जोर से भोंक रहा है ना, इसलिए साफ नहीं सुनाई दे रहा।' परिचित का इतना कहना था कि मैडम आगबबूला हो गई और लगभग चिल्लाने के अंदाज में बोलीं, 'तमीज से बात कीजिए...।' यह सुन बेचारे परिचित के सामने तो 'उगले बने न निगले' वाली स्थिति खड़ी हो गई। वह समझ नहीं पा रहे थे कि मैडम को अचानक यह क्या हो गया, जबकि उन्होंने तो कुछ भी नहीं कहा।
फिर भी खबर के लिए तो बात करनी ही थी, सो बेहद सतर्क होकर बोले, 'मैडम कोई गलती हो गई क्या?' परिचित की इस बात से मैडम का पारा और चढ़ गया। बोलीं, 'गलती कह रहे हो, आपने मेरे बेबी को कुत्ता कैसे बोल दिया। नाराज़ कर दिया उसे। कुत्ता है क्या वह?' आप समझ सकते हैं कि मैडम की यह बात सुनकर परिचित का क्या हाल हुआ होगा। वह तो परिचित धीर-गंभीर स्वभाव वाले हैं, इसलिए चुपचाप खून का घूंट पीकर यह सब सहन कर गए। उनकी जगह मैं रहा होता तो परिणाम की चिंता किए बगैर न जाने क्या कह देता। हालांकि, अब लगता है कि परिचित ने ठीक ही किया। तर्क-वितर्क तभी ठीक लगते हैं, जब सामने वाले की फ़ितरत भी इन्सानी हो।
बात चली ही है तो लगे हाथ एक वाकया और सुना दूं। दरअसल, पिछले दिनों मुझे किसी जरूरी काम से एक सज्जन के घर जाना पड़ा। उनके घर पर भी एक कुत्ता है विदेशी नस्ल का। कोई भी अनजान गेट के अंदर घुसने की हिमाकत नहीं कर सकता, उसकी अनुमति के बिना। हालांकि, मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई, क्योंकि मुझे तो उन सज्जन ने ही बुलाया था और रिसीव करने गेट पर भी स्वयं ही खड़े थे। बावजूद इसके स्वभाव के अनुसार कुत्ता भोंकने लगा। ऐसे में डर तो लगता ही है। सज्जन भी मेरे हावभाव देख समझ गए कि मैं डर रहा हूं, सो कुत्ते को पुचकारते हुए बोले, 'ना-ना बेबी, देखो आपको मम्मा बुला रही हैं।' तभी भीतर से सज्जन की पत्नी की आवाज सुनाई दी, 'बेबी मम्मा इधर है।' यह सुन कुत्ता उसी ओर दौड़ा।
सच कहूं, यह सब देख-सुन अपन का तो दिमाग भन्ना गया। यह विडंबना नहीं तो और क्या है। इन्सान की कोई औकात नहीं और कुत्ते से आप-आप। अब तो मुझे यकीन होने लगा है कि इन्सान कुत्ता और कुत्ता इन्सान बनने की ओर अग्रसर है। मैं रोज अपने मकान मालिक के परिवार को बड़े प्रेम से कुत्तों का मल-मूत्र साफ करते और आस-पड़ोस में कागज के टुकड़े बिखरे होने पर भी लोगों को खरी-खोटी सुनाते देखता हूं। तब लगता है कि इन्सान की इन्सान के प्रति संवेदनाएं किस तरह मरती जा रही हैं। अगर यही नियति है तो मेरी और से भी इन्सान को कुत्ता बनने की ढेरों शुभकामनाएं।
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Best wishes for a human being to become a dog
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Dinesh Kukreti
A few days ago, I was returning to my room from office around 11 pm. As soon as I entered the lane of my locality, dogs were seen barking at a distance of 50 meters. If I looked closely, I saw that a person was standing on the roadside holding the rope of the leash around his dog's neck. Nearby his dog was purifying the road with its feces and urine. That's probably why he went out on the road so late at night on the pretext of walking the dog. There is a fear of damage to the house. Who is here to ask? People with dogs have a status anyway and the neighbors also do the same.
well! The behavior of the dog indicated that it was a dangerous breed. If you miss a bit, you will break someone's legs. It was evident from the behavior of the dog walker that even after retiring, the dog was continuously barking at every passerby. As a result, the street dogs roaming on the road were also attacking him fiercely, but from a distance. I realized that the behavior of the person with the dog was also different. Even in this winter season he is wearing neckerchief. He is definitely wearing a thick sweat shirt on top, but through his body language he is showing as if the cold has no effect on him. It may or may not be happening. His gait is also swaggering, although the dog appears to be even more swaggering. In such a situation, it is becoming difficult to guess who is the owner of whom. Well, the status of the dog is that of its owner.
Seeing this scene, I remember another incident. Let go! Let me tell you also - I have an acquaintance who is a journalist. One evening he called a lady officer regarding some news. When the officer picked up the phone, the sound of dogs barking loudly could be heard all around him. Due to this my acquaintance started feeling uncomfortable and said, 'Madam! The dog is barking loudly, so it cannot be heard clearly. The acquaintance said so much that madam became furious and said almost in a shouting manner, 'Talk politely...' Hearing this, the poor acquaintance faced a situation of 'spitting out or swallowing'. He was not able to understand what happened to madam suddenly, even though she did not say anything.
Still, he had to talk for the sake of news, so he said very cautiously, 'Madam, has there been any mistake?' Madam's temper rose further due to this acquaintance. She said, 'You are making a mistake, how did you call my baby a dog? Made him angry. Is that a dog?' You can understand what would have been the condition of the acquaintance after hearing these words from madam. He is known to have a patient and serious nature, hence he tolerated all this silently by drinking a sip of blood. If I had been in his place, I don't know what I would have said without worrying about the consequences. However, now it seems that the acquaintance did the right thing. Arguments seem appropriate only when the other person's nature is also human.
Since the discussion is going on, let me tell you one more incident. Actually, recently I had to go to a gentleman's house for some important work. He also has a dog of a foreign breed at home. No stranger can dare to enter the gate without his permission. However, I did not face any problem, because the gentleman himself had called me and he himself was standing at the gate to receive me. Despite this, the dog started barking as per its nature. In such a situation one definitely feels scared. Seeing my expressions, the gentleman also understood that I was scared, so while caressing the dog he said, 'No-no baby, look, mom is calling you.' Just then the voice of the gentleman's wife was heard from inside, 'Baby mummy is here.' Hearing this the dog ran in that direction.
To tell the truth, after seeing and hearing all this, my mind was blown. If this is not irony then what is it? A human being has no status and a dog has nothing to do with you. Now I have started believing that man is moving towards becoming dog and dog is moving towards becoming human. Every day I see my landlord's family lovingly cleaning the dog's urine and feces and scolding people even when there are pieces of paper scattered in the neighborhood. Then it seems how man's feelings towards man are dying. If this is the destiny, then I wish the human being all the best for becoming a dog.