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जल्दी उठो तो पढ़ने का वक्त मिल जाता है
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दिनेश कुकरेती
आज आंखें जल्दी खुल गईं, रात को देर से सोने के बाद भी। इसका एक नुकसान यह हुआ कि मेरी खिड़की के ठीक सामने वाले घर की बालकनी खाली नजर आई। क्योंकि, उसे भी बालकनी में देर से आने की आदत है और मुझे भी देर से उठने की। खैर! ये तो टाइमिंग का खेल है। कल थोडा़ देर से उठूंगा तो यकीनन नजर आ ही जाएगी। हालांकि, मैं देर से उठूं या जल्दी, रुटीन में कोई खास अंतर नहीं आता। इतना जरूर है कि जल्दी उठने पर थोडा़ वक्त पढ़ने के लिए मिल जाता है।
सो, थोडी़ देर पढ़ने के बाद स्नान-ध्यान का कार्यक्रम चला और फिर एक घंटे योग-प्राणायाम का। यह मेरी दिनचर्या का महत्वपूर्ण हिस्सा है और सच कहूं तो योग ही मुझे स्वस्थ रखता है। अब नाश्ते की बारी है। नाश्ता मेरा काफी हल्का होता है। दो-तीन रोटी का। कभी भुने हुए या कच्चे चनों से भी काम चल जाता है। इस बीच एक महिला मित्र का मैसेज आ गया। उसकी शिकायत है कि मैं कभी उसे मैसेज नहीं करता। उसकी खैर-खबर नहीं लेता। अब उसे कौन समझाए कि इसके लिए मैं नहीं, बल्कि जीवन के झमेले जिम्मेदार हैं। कहते हैं न, और भी गम हैं तेरे गम के सिवा दुनिया में। बहरहाल! थोडा़ हल्की-फुल्की मजाक के बाद वह इस शर्त पर मान गई कि मैं रोज मैसेज किया करूंगा।
दो बजे के आसपास मैं आफिस के लिए निकल जाता हूं, आज भी निकल गया। आपका सवाल हो सकता कि ये भला कौन-सा टाइम हुआ आफिस जाने का। क्या किया जाए मीडिया की नौकरी ही ऐसी है। हां! वर्तमान में कोरोना काल के चलते झमेले जरूर बढ़ गए। जाहिर है तनाव भी बढे़गा ही। छंटनी की तलवार जो लटकी हुई है। कब किसके नाम का फरमान जारी हो जाए, कहा नही जा सकता। रात को घर निकलने के बाद ही थोडा़ सुकून मिलता है कि चलो आज का दिन सकुशल बीत गया।
अब रूम में लौटनै की तैयारी है, सब्जी वगैरह के साथ। सवा ग्यारह के आसपास मैं रूम में पहुंचा। इसके बाद एक घंटा खाना बनाने में बीत गया और आधा घंटा खाने में। जाहिर है दो बजे से पहले तो सोने का मतलब ही नहीं बनता। आधा-पौन घंटा किताब पढ़ने की भी आदत है। न पढूं तो अपराधबोध सा होने लगता है। एक बात और। रात भले कितनी ही देर क्यों न हो जाए, मैं खाना बनाने में आलस नहीं करता। भई, मीडिया में मैं अपनी खुशी से आया हूं, किसी का जोर-दबाव थोडे़ था। चलिए! आज इतना ही। कल से नए-नए किस्से पढ़ने के लिए तैयार रहिए। सबसे पहले तो मैसेज वाली का किस्सा ही सुनाऊंगा।
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Get up early you get time to read
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Dinesh Kukreti
Today the eyes opened quickly, even after sleeping late at night. One disadvantage of this is that the balcony of the house just opposite my window looked empty. Because, he too has a habit of coming late to the balcony and I also have to get up late. Well! This is a game of timing. If I wake up a little late tomorrow, I will definitely see it. However, whether I wake up late or early, there is no significant difference in routine. It is so sure that after getting up early one gets some time to read.
So, after reading for a while, there was a bath-meditation program and then for an hour of yoga-pranayama. This is an important part of my routine and to be honest, yoga keeps me healthy. Now it's breakfast. My breakfast is very light. Of two to three rotis. Sometimes roasted or raw grams also work. Meanwhile a message from a female friend arrived. He complains that I never message him. Does not take his news well Now who should explain to him that it is not me but the ruins of life that are responsible for this? It is said that there is more sorrow in the world than your sorrow. However! After some light jokes, she agreed on the condition that I would message everyday.
Around two o'clock I leave for office, still left today. Your question may be that what is the time to go to office. What to do is the job of media. Yes! In the present day, due to the Corona period, the messes definitely increased. Obviously, tension will also increase. Trimmed sword that hangs. When the order of whose name is issued, it cannot be said. It is only after leaving home at night that you get a little relaxed that today has passed safely.
Now there is a preparation of lottanai in the room, along with vegetable etc. I reached the room around quarter past eleven. After this, one hour was spent cooking and half an hour was spent in cooking. Obviously before 2 o'clock, sleep does not make sense. There is also a habit of reading a half-a-hour book. If I do not read, then I feel a bit guilty. One more thing. No matter how late the night is, I do not feel lazy in cooking. Brother, I have come to the media with my pleasure, there was some pressure on someone. Let go! Today only this much. Be ready to read new stories from tomorrow. First of all, I will tell the story of the message.
मेरे ब्लाक में आपका स्वागत है। अच्छा लगे तो फालो कीजिएगा।
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