Sunday, 28 February 2021

24-02-2021 (Doon returned after six days)

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छह दिन बाद दून लौटा

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दिनेश कुकरेती

ह दिन की छुट्टी बिताने के बाद आज मैं देहरादून पहुंच गया। सुबह साढे़ नौ बजे मैं घर से चल दिया था और दस बजे मुझे टैक्सी भी मिल गई। हरिद्वार तक तो मैं लगभग सोते हुए आया, लेकिन फिर देहरादून तक नींद नहीं आई। हाईवे पर अभी भी काम चल रहा है, लेकिन सड़क चौडी़ होने से जाम की समस्या से निजात जरूर मिल गई। समय की भी काफी बचत हो रही है। जिस दिन हाईवे पूरी तरह तैयार हो जाएगा और रेल अंडर पास व सभी फ्लाईओवर खुल जाएंगे, उस दिन से देहरादून से हरिद्वार के बीच की दूरी महज 45 मिनट की रह जाएगी। मुझे इससे काफी फायदा होने वाला है, क्योंकि हरिद्वार से नजीबाबाद के बीच भी सड़क फोर और सिक्स लेन की बन रही है। इससे देहरादून से कोटद्वार के बीच का फासला भी काफी घट जाएगा।

आज भी दोपहर एक बजे मैं रिस्पना पुल पर पहुंच गया था। वहां से रूम तक पहुंचने में लगभग 45 मिनट लगे। मैं घर से रोटी लेकर चला था, लेकिन खाने की इच्छा नहीं हुई। सो, चार केले खाए और चल पडा़ आफिस की ओर। इससे रात को आफिस से लौटने के बाद रोटी बनाने से भी निजात मिल गई। आफिस पहुंचा तो एक वरिष्ठ साथी उस वक्त भोजन कर रहे थे। उनके जबरदस्ती करने पर मुझे एक रोटी और थोडा़ सा चावल लेने पडे़। फिर नींबू की चाय पी और जुट गया काम में। वैसे भी घर से आने के तुरंत बाद ठीक से काम में मन कहां लग पाता है, फिर भी मेरी कोशिश यही रहती है कि काम से जी न चुराया जाए। खैर! ड्यूटी तो ड्यूटी है, उसे निभाना ही पड़ता है और सच कहूं तो निभाना भी चाहिए। मेरा तो यही नजरिया है।

हां! इतना जरूर हुआ कि आज आफिस का काम समय से निपट गया, सो मैं भी साढे़ दस बजे रूम में पहुंच गया। भोजन बनाने की चिंता नहीं थी। रोटियां पास में थी ही, बस! चाय बनानी थी। अचार भी मैं घर से लेकर आया था और घी पहले से ही मेरे पास था। बाकी सब्जी बनाने का विकल्प था ही। लेकिन, मैंने घी के साथ खाना ही बेहतर समझा। जायका बदलने के लिए फिलहाल आंवले का मुरब्बा भी मेरे पास है। लेकिन, इससे पहले पानी भरना जरूरी था, क्योंकि बर्तनों में एक हफ्ता पुराना पानी था, जो कोटद्वार जाने से पहले भरा गया था। बहरहाल! सारे काम हो चुके हैं। अब क्यों न कुछ देर यू-ट्यूब पर कुछ अच्छे प्रोग्राम देख लिए जाएं। यह वैसे भी मेरा रुटीन वर्क है। ...तो आप भी आराम कीजिए, शुभ रात्रि!

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Doon returned after six days

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Dinesh Kukreti

Today, after spending six days, I reached Dehradun.  At half past nine in the morning, I left the house and at ten o'clock I got a taxi.  I almost came to sleep till Haridwar, but then I could not sleep till Dehradun.  Work is still going on on the highway, but due to the widening of the road, the problem of jam was definitely overcome.  There is also considerable saving of time.  The day on which the highway will be fully ready and the rail under pass and all flyovers will open, from that day the distance between Dehradun to Haridwar will be just 45 minutes.  I am going to benefit greatly from this, because the road between Haridwar to Najibabad is also being made of four and six lanes.  This will also significantly reduce the distance between Dehradun to Kotdwar.

Even today at one o'clock in the afternoon I reached the Respna Bridge.  From there it took about 45 minutes to reach the room.  I walked away from home with bread, but did not want to eat.  So, eat four bananas and walk towards the office.  This also helped in making bread after returning from office at night.  At the office, a senior colleague was eating at that time.  After forcing them, I had to get a roti and a little rice.  Then drank lemon tea and got ready for work.  Anyway, soon after coming home from where the mind is able to work properly, still my effort is not to steal life from work. Well!  Duty is duty, it has to be fulfilled and to be honest, it must be done.  This is my view.

Yes!  It happened so much that today the office work was settled on time, so I too reached the room at half past ten.  There was no worry about making food.  The loaves were nearby, that's all!  Tea was to be made.  I also brought pickle from home and ghee was already with me.  The rest was an option to make vegetables.  But, I thought it better to eat with ghee.  I also have gooseberry jam to change the flavor.  But, it was necessary to fill the water before that, because the pots contained a week old water, which was filled before going to Kotdwar.  However!  All the work is done.  Now why not watch some good programs on YouTube for a while.  This is my routine work anyway.  ... then you too relax, good night!

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