बोरियतभरा दिन
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दिनेश कुकरेती
आज का पूरा दिन आराम करते हुए बीता। थोडा़-बहुत साफ-सफाई का कार्य किया, लेकिन मैं इसे नाकाफी मानता हूं। अध्ययन का भी मन नहीं हुआ। हालांकि, कुछ देर मैंने नेमिचंद्र शास्त्री की पुस्तक "भारतीय ज्योतिष" के कुछ अध्याय जरूर पढे़ और उन्हें समझने की कोशिश भी की। लेकिन, मेरे जैसे पुस्तकों में रुचि लेने वाले इन्सान के लिए यह भी नाकाफी है। असल में जबर्दस्ती की छुट्टी मुझे रास आती ही नहीं है। लाकडाउन के चलते वैसे ही हर ओर तनावभरा माहौल है, उस पर ये छुट्टी। कामकाजी व्यक्ति के लिए यह किसी सजा से कम नहीं है।
हमेशा की तरह सुबह स्नान-ध्यान के बाद मैंने हल्का-फुल्का नाश्ता किया और फिर भोजन बनाने में जुट गया। इस बीच घर से पत्नी का फोन आ गया। तकरीबन पौन घंटे घर-परिवार की बातें होती रहीं। इससे मन भी कुछ हल्का हो गया। भोजन करने के बाद मन किया कि कुछ आवश्यक सामान खरीद लिया जाए, सो दुकान की राह पकड़ ली। दुकान मोहल्ले में घर के पास ही है। दुकान से लौटने के बाद पहले सोचा आराम कर लिया जाए, फिर विचार आया कि क्यों न पानी भर लूं। रात न जाने किस वक्त आता है।
दरअसल मेरे मोहल्ले में पानी पूर्वाह्न साढे़ ग्यारह बजे के बाद आता है। रात को भी उसका टाइम लगभग ग्यारह बजे का ही है और फिर रात डेढ़ से दो बजे के बीच। मेरे वाले मकान पर और भी किरायेदार हैं, इसलिए कभी-कभी रात बारह बजे तक मेरा नंबर ही नहीं आता। ठीक बारह बजे पानी बंद हो जाता है, फिर करो इंतजार डेढ़ बजने का। इसलिए बेहतर यही रहता है कि पूर्वाह्न में ही भर लिया जाए। मकान मालिक मुझे रोज याद दिला देते हैं। बहरहाल, पानी भरने के बाद मैं निश्चिंत हो गया।
दोपहर दो बजे से शाम सात बजे तक मैंने कुछ देर यू-ट्यूब चैनल देखे, कुछ देर फेसबुक पर मित्र-परिचितों की पोस्ट पढी़ और कुछ देर ज्योतिष की किताब। फिर जुट गया शाम का भोजन बनाने में। साढे़ आठ बजे तक मैं रात का भोजन भी कर चुका था। रात को मैं आयुर्वेदिक चाय जरूर पीता हूं, बल्कि अब तो यह मेरी आदत का हिस्सा बन चुका है। नौ बजे के आसपास मैंने फिर घर फोन किया। आधा-पौन घंटे बात हुई। अब बर्तन धोने के बाद से यू-ट्यूब चैनल देख रहा हूं। साथ-साथ डायरी भी लिख रहा हूं।
यू-ट्यूब देखना भी मेरे रुटीन का हिस्सा है। अगर न देखूं तो ऐसा लगता है, जैसे कुछ अधूरा रह गया हो। अभी रात के एक बजे हैं। लगभग पौने दो बजे तक देखूंगा ही। इसके बाद लिया जाएगा नींद का आनंद। आफिस तो कल भी जाना नहीं है, लेकिन सोच रहा हूं कुछ नया पढूंगा। कोशिश यह भी रहेगी कि कुछ नया लिखा जाए। बहुत दिनों से कुछ ऐसा नहीं लिख पाया, जिससे मन को संतोष पहुंचे। चलिए! कल मिलते हैं। खुदा हाफि़ज!!!
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Boring day
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Dinesh Kukreti
Today was spent resting the whole day. It did a little bit of cleanliness, but I consider it inadequate. Did not even feel like studying. However, for some time I did read some chapters of Nemichandra Shastri's book "Indian Astrology" and tried to understand them. But, it is also not enough for a person like me to take an interest in books. Actually, I do not like to leave forcibly. Due to the lockdown, there is a tense atmosphere everywhere, this holiday on it. For a working person this is nothing short of a punishment.
As usual, after a morning bath and meditation, I had a light breakfast and then started preparing food. Meanwhile, wife's phone call came from home. There were talk of household and family for about thirty-five hours. This also made the mind a little lighter. After having food, felt that some essential goods should be bought, so took the path of the shop. The shop is near the house in the locality. After returning from the shop first thought to take rest, then thought why not fill it with water. Don't know what time the night comes.
Actually, water in my locality comes after 11:30 AM. Even at night its time is only around eleven o'clock and then between one and a half to two o'clock at night. There are more tenants in my house, so sometimes my number does not come till twelve o'clock at night. The water stops at exactly twelve o'clock, then wait for a quarter and a half. Therefore, it is better to fill it in the morning itself. Landlords remind me daily. However, after filling the water, I got relaxed.
From two in the afternoon to seven in the evening, I watched YouTube channels for a while, read posts of friends and acquaintances on Facebook and a book of astrology for a while. Then got ready to cook the evening meal. By half past eight, I had also had dinner. I definitely drink Ayurvedic tea at night, but now it has become a part of my habit. I called home again around nine o'clock. There was talk for half-a-quarter of an hour. Now watching the You-Tube channel since washing the dishes. I am also writing a diary along with it.
Watching YouTube is also a part of my routine. If I do not see, it seems as if something is left incomplete. It is one o'clock at night. I will see till about quarter to two. After this, the pleasure of sleep will be taken. I do not have to go to the office tomorrow, but I am thinking I will study something new. Efforts will also be made to write something new. For a long time, I could not write something that would bring satisfaction to the mind. Let go! See you tomorrow God Hafiz !!!
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