google.com, pub-1212002365839162, DIRECT, f08c47fec0942fa0
जीवन में बदलाव की ओर
----------------------------
दिनेश कुकरेती
सुबह नींद छह बजे के आसपास खुल गई थी, लेकिन मैंने बिस्तर साढे़ सात बजे छोडा़। पीने के लिए पानी गर्म करवाने के साथ ही मैंने केयर टेकर को चाय बनाने के लिए कह दिया। फिर उसने नाश्ते के बारे में पूछा तो मैंने और बड़थ्वालजी ने आलू-प्याज के पराठे और भुजिया बनाने की इच्छा जताई। दही हम कल ही ले आए थे। इस बीच स्नान-ध्यान कर हम सभी तैयार हो गए। साढे़ आठ बजे टेबल पर नाश्ता लग चुका था। सभी ने पेट भरकर नाश्ता किया और चार पराठे दोपहर के लिए टिफिन में पैक भी करा दिए। सवा नौ बजे के आसपास हमने आफिस के लिए प्रस्थान किया। पौन घंटा लगा होगा हमें देहरादून पहुंचने में।आफिस पहुंचने के बाद मैंने बाइक उठाई और चल पडा़ अपने ठिकाने की ओर। भूख थी नहीं, इसलिए दोपहर का भोजन बनाने के बजाय बिस्कुट वगैरह खाकर काम चला लिया। इसके बाद मैं रेकी हीलिंग का अभ्यास करने लगा। प्रवास में नेटवर्क न होने के कारण अभ्यास नहीं हो पाया था। दरअसल, रेकी हीलिंग की 21 दिन की आनलाइन कार्यशाला में हिस्सा लेने के बाद अब सुबह के वक्त खाली रहना बेहद अखरता है। सच्चिदानंद वैलनेस फाउंडेशन के बैनर तले यह कार्यशाला एक जनवरी से 21 जनवरी तक चली। इस दौरान होलिस्टिक कोच गणेश काला ने आसान भाषा में न केवल शरीर में छिपी सूक्ष्म परामानसिक शक्तियों से परिचित कराया, बल्कि इन्हें जागृत कर स्वयं को शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक समेत अनेक व्याधियों से मुक्त करने के तरीके भी समझाए।
कार्यशाला में साधकों ने आभामंडल (Aura-Electro megnetic Field) की सफाई और कवच बनाने की प्रक्रिया भी जानी। सिर्फ़ अपनी बात करूं तो मैं छात्र जीवन से ही अध्यात्म के बेहद करीब रहा हूं। परामानसिक शक्तियों के बारे जानने की मेरी उत्सुकता हमेशा से रही है। इसके लिए मैंने कई पुस्तकों का अध्ययन भी किया और आज भी यह सिलसिला बरकरार है। हालांकि, इस बात का अफसोस जरूर है कि जीवन की आपाधापी में मैं व्यावहारिक रूप अध्यात्म के करीब नहीं जा पाया। कालाजी द्वारा शुरू की गई कार्यशाला ने मुझे इस दिशा में आगे बढ़ने को प्रेरित किया और अब मैं पूरे विश्वास के साथ आत्मजागरण की दिशा में आगे बढ़ रहा हूं। मैं छात्र जीवन से ही कुंडली जागरण के लिए उत्सुक रहता था, लेकिन मौका अब जाकर मिला। खैर! इससे क्या फर्क पड़ता है। जग जागे, तब भोर।
इतना तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि यदि हम सकारात्मक रहें तो जीवन में उल्लास के लिए बनावट-दिखावट की कोई जरूरत नहीं। रेकी हीलिंग ऐसा ही संधान है, जो हमें बेहद सरलता एवं सहजता से पूर्णता की प्राप्ति करा सकता है। आप भी यदि रेकी हीलिंग सीखकर जीवन में उल्लास घोलना चाहते हैं तो सच्चिदानंद वैलनेस फाउंडेशन के द्वार आपके लिए हमेशा खुले हैं। आप होलिस्टिक कोच गणेश काला से इस नंबर (+918057286132) पर सीधे संपर्क कर सकते हैं। इसी नंबर पर कालाजी वाट्सएप और टेलीग्राम पर भी उपलब्ध हैं।
इसके अलावा फाउंडेशन की ओर से इन दिनों शाम आठ से नौ बजे तक एक फरवरी से शाम आठ से नौ बजे तक Change your Frequency : Create your Destiny नाम से रेकी हीलिंग पर आनलाइन कार्यशाला आयोजित की जा रही है। आप नीचे दिए लिंक पर जाकर या फिर कालाजी के फेसबुक पेज (Genesh Kala : Holistic Coach) से जुड़कर कार्यशाला का हिस्सा बन सकते हैं। भविष्य में भी ऐसी जानकारियां मैं ब्लाग के माध्यम से निरंतर शेयर करता रहूंगा।
Change your Frequency : Creat your Destiny
From 1 Feb 2022
8:00 PM - 9 :00 PM (Daily)
Google Meet joining info : https://meet.google.com/ndi-ooqp-ymh
Join this meeting now
खैर! रेकी हीलिंग पर आगे भी बात जारी रहेगी। यह तो ऐसा विस्तृत ज्ञान है, जिसे किसी अध्याय विशेष में नहीं समेटा जा सकता। अब आता हूं आज की दिनचर्या पर। ढाई बजे के आसपास मैं आफिस पहुंचा। सतीजी और किरण भाई भोजन करने की तैयार कर रहे थे। उन्होंने मुझसे भी आग्रह किया। मैंने इन्कार किया तो उन्होंने जबर्दस्ती एक परांठा मक्खन के साथ मुझे थमा दिया। अब तो खाना ही था। इसके बाद उन्होंने भुजिया भी मेरी कटोरी में डाल दी। उसे भी खाना पडा़। कुछ ही देर में मूंगफली भी आ गई। यानी पेट फुल। मीटिंग के बाद हमने कैंटीन में एक-एक कप चाय पी और फिर काम पर जुट गए।
शाम साढे़ छह बजे के आसपास लाइब्रेरी से खत्री का फोन आया कि कल कोविड वैक्सीन की बूस्टर डोज की डेट है, आप भी स्लाट बुक करवा लीजिए। फिर उसी ने हम चार-पांच लोगों का दून मेडिकल कालेज के वैक्सीन सेंटर में दोपहर एक से तीन बजे के बीच का स्लाट बुक करा दिया। यह बूस्टर डोज 60 वर्ष से अधिक आयु वालों के साथ ही फ्रंटलाइन वर्कर को लगाई जा रही है। संयोग से हम भी फ्रंटलाइन वर्कर में शामिल हैं। हो सकता है बाद में सभी को लगाई जाए। वैसे सच कहूं तो इसे लगाने-न लगाने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। कोरोना से नुकसान उन्हीं को हो रहा है, जो बेवजह दहशत में आ जा रहे हैं।
इसके लिए वो तमाम एजेंसियां जिम्मेदार हैं, जिन्होंने कोरोना को लेकर इस तरह का भयावह माहौल पैदा किया। अन्यथा खांसी-जुकाम किसे नहीं होता। अगर आप सकारात्मक हैं तो इम्यूनिटी के लिए कुछ अतिरिक्त खाने की जरूरत ही नहीं है। बहरहाल! रात काफी हो चुकी है और नींद से आंखें भी बोझिल हुई जा रही हैं। इसलिए क्यों न अब बिस्तर की शरण ले ली जाए। आप सभी की शुभ रात्रि!!
--------------------------------------------------------------
-------------------------
Dinesh Kukreti
I woke up around 6 in the morning, but I left the bed at 7:30. Along with getting the water hot for drinking, I asked the caretaker to make tea. Then he asked about breakfast, so Barthwalji and I expressed a desire to make potato-onion parathas and bhujia. We had brought curd yesterday only. Meanwhile, after taking bath and meditating, we all got ready. Breakfast was already on the table at half past eight. Everyone had a full breakfast and got four parathas packed in tiffin for the afternoon. Around 9.15 we left for the office. It would have taken us half an hour to reach Dehradun.
After reaching the office, I picked up the bike and started towards my hideout. There was no hunger, so instead of making lunch, he worked by eating biscuits etc. After that I started practicing Reiki healing. Due to lack of network in migration, the exercise could not be done. In fact, after participating in a 21-day online Reiki Healing workshop, it is extremely difficult to be empty in the morning. Under the banner of Satchidananda Wellness Foundation, this workshop ran from January 1 to January 21. During this, Holistic Coach Ganesh Kala not only introduced the subtle parapsychic powers hidden in the body in easy language, but also explained the ways to awaken them and free oneself from many ailments including physical, mental and emotional.
In the workshop, the seekers also learned the process of cleaning the Aura-Electro Magnetic Field and making armor. Talking only about myself, I have been very close to spirituality since student life. I have always been curious to know about parapsychic powers. For this I also studied many books and this trend continues even today. However, it is a matter of regret that in the hustle and bustle of life, I could not practically get close to spirituality. The workshop started by Kalaji inspired me to move forward in this direction and now I am moving towards self-awareness with full confidence. I used to be eager for Kundli Jagran since student life, but got the opportunity now. So! What difference does it make. Wake up, then it's morning.
So much so that I can say with certainty that if we are positive, then there is no need for appearances to be happy in life. Reiki Healing is one such method, which can help us to attain perfection with utmost ease and ease. If you also want to add joy to life by learning Reiki healing, then the doors of Satchidananda Wellness Foundation are always open for you. You can directly contact Holistic Coach Ganesh Kala on this number (+918057286132) . Kalaji is also available on WhatsApp and Telegram on the same number.
Apart from this, these days from eight to nine in the evening, from February 1 to eight to nine in the evening. An online workshop is being organized on Reiki Healing named Change your Frequency : Create your Destiny. You can be a part of the workshop by visiting the link given below or by joining Kalaji's Facebook page (Genesh Kala: Holistic Coach). In future also, I will continue to share such information through the blog.
Change your Frequency : Create your Destiny
From 1 Feb 2022
8:00 PM - 9:00 PM (Daily)
Google Meet joining info : https://meet.google.com/ndi-ooqp-ymh
Join this meeting now
So! The talk on Reiki healing will continue even further. This is such a detailed knowledge, which cannot be summed up in any particular chapter. Now coming to today's routine. I reached the office around 2.30 pm. Satiji and Kiran Bhai were preparing to eat food. He urged me too. I refused so he forcibly handed me a paratha with butter. Now it was just food. After this he also put Bhujia in my bowl. He also had to eat. In no time peanuts also arrived. That is, the stomach is full. After the meeting, we had a cup of tea in the canteen and then got to work.
At around 6.30 pm, Khatri got a call from the library that tomorrow is the date of booster dose of Kovid vaccine, you should also book your slot. Then he booked a slot of four or five of us at the Vaccine Center of Doon Medical College between one and three o'clock in the afternoon. This booster dose is being administered to those above 60 years of age as well as frontline workers. Incidentally, we are also among the frontline workers. Maybe later everyone can be planted. Well, to be honest, applying it or not is not going to make any difference. Those who are getting panic unnecessarily are being harmed by Corona.
For this, all those agencies are responsible, which created such a frightening environment regarding Corona. Otherwise, who does not get cough and cold? If you are positive then there is no need to eat anything extra for immunity. However! The night is long enough and the eyes are getting heavy due to sleep. So why not take refuge in the bed now. Good night to you all!!
No comments:
Post a Comment
Thanks for feedback.