कड़वापानी वन विश्रामगृह
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दिनेश कुकरेती
हमेशा की तरह इस बार भी हम गणतंत्र दिवस का उल्लास शहर से बाहर मनाना चाहते थे। कई दिन से इसके लिए प्लान भी कर रहे थे, फिर भी संशय की स्थिति बनी हुई थी। हालांकि, इस बार हमारा इरादा शहर से बहुत दूर जाने का नहीं था, इसलिए सर्वसम्मति बनी कि गणतंत्र दिवस कड़वापानी वन विश्रामगृह में मनाया जाएगा। यह क्षेत्र देहरादून वन प्रभाग की आसारोडी़ रेंज में मानक (माणक) सिद्ध मंदिर से लगभग एक किमी आगे सहसपुर ब्लाक में पड़ता है। विश्रामगृह की पटेलनगर से दूरी 15-16 किमी के आसपास होगी। तय हुआ कि 25 जनवरी की रात नौ-साढे़ नौ बजे के आसपास आफिस से ही कड़वापानी के लिए निकल पडे़ंगे।
इन दिनों उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा व मणिपुर के अलावा उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। 28 जनवरी को नामांकन का अंतिम दिन है और अभी तक राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। कब कर दें, यह कहना भी मुश्किल है। इसलिए काम का दबाव कुछ ज्यादा ही है। फिर भी उम्मीद थी कि नौ बजे तक निकलने का मौका मिल ही जाएगा। हालांकि, 24 जनवरी को इस पर कोई चर्चा नहीं हुई, लेकिन किरण भाई ने मुझसे कह दिया था कि कल आफिस आते समय तौलिया-साबुन व ब्रुश-पेस्ट अवश्य अपने साथ लेता आऊं।
आज दुपहर मैंने ऐसा ही किया और एक थैले में जरूरी सामान लेकर मैं आफिस की राह चल पडा़। आफिस पहुंचते ही किरण भाई से कन्फर्म हो गया कि हम रात को कड़वापानी के लिए निकल रहे हैं। किरण भाई, सुमन सेमवाल व बड़थ्वालजी साढे़ आठ बजे के आसपास आफिस से निकल पडे़। जिस रास्ते वह कड़वापानी पहुंचे, वह हममें से किसी को भी ठीक-ठीक मालूम नहीं था। उस पर रात का वक्त। इसलिए एक टीम का समय से यहां पहुंचना जरूरी था। मुझे, सतीजी व केदार को साढे़ नौ बजे के आसपास आफिस से चलना था, लेकिन एक खबर में ऐसे उलझे कि वहीं रात के ग्यारह बज गए। खैर! जैसे-तैसे सवा ग्यारह बजे के आसपास हम कड़वापानी के लिए प्रस्थान कर पाए।
गूगल मैप बता रहा था कि आधा घंटे में हम यहां पहुंच जाएंगे, लेकिन भुड्डी गांव के बाद हम रास्ता भटक गए। हमें माणक सिंह मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते पर चलना था, लेकिन हम सीधे आगे निकल गए। पर यह क्या, रास्ता तो अब आगे था ही नहीं। सो, कार बैक कर हम उसी रास्ते पर वापस चल पडे़। चलते-चलते बड़थ्वालजी से फोन पर बात की तो वह भी स्पष्ट नहीं बता पाए कि किधर आना है। अब हमने एक स्थान पर सड़क किनारे कार खडी़ की और सोचने लगे कि क्या किया जाए। इससे पहले हम बड़थ्वालजी से कह चुके थे कि वे हमें लेने आ जाएं। इसी बीच सुमन से बात हुई तो उसने सीधे माणक सिद्ध मंदिर की ओर आने को कहा।
इस बीच सामने से सुमन भी कार लेकर आता नजर आ गया। अब हम उसकी कार के पीछे-पीछे चलने लगे। लेकिन, माणक सिद्ध मंदिर के पास वो भी रास्ता भटककर गलत ट्रैक पर चल पडा़। हालांकि, पांच मिनट बाद ही उसे इसका आभास हो गया और उसने कार वापस मोड़ ली। वहां से लगभग 15 मिनट लगे होंगे हमें विश्रामगृह पहुंचने में। तब तक रात के सवा बारह बज चुके थे। दसेक मिनट फ्रैश होने में भी लगे होंगे। इसके बाद हमने भोजन करना शुरू किया। यहां आकर पता चला कि ये लोग भी रास्ता भटक गए थे और साढे़ नौ बजे के बाद ही यहां पहुंचे। बहरहाल! हम भोजन कर चुके हैं और अब सोने की तैयारी है। आगे का प्लान क्या है, इस बारे में विस्तार से कल बताऊंगा। फिलहाल आप भी चैन की नींद लीजिए। शुभरात्रि!
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Kadwapani Forest Rest House
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Dinesh Kukreti
As always, this time also we wanted to celebrate Republic Day out of town with gaiety. Been planning for this for many days, still there was a situation of doubt. However, this time we did not intend to go too far from the city, so a consensus was reached that Republic Day would be celebrated at Kadapani Forest Rest House. This area falls in Sahaspur block, about one km ahead of Manak (Manak) Siddha temple in Asarodi range of Dehradun Forest Division. The distance of rest house from Patelnagar will be around 15-16 km. It was decided that on the night of January 25, around 9.30 pm, they would leave the office for bitter water.
These days, apart from Uttar Pradesh, Punjab, Goa and Manipur, the process of nomination for the assembly elections is going on in Uttarakhand. January 28 is the last day for nominations and political parties have not yet declared their candidates. It's hard to say when to do it. So the work pressure is a bit high. Still, it was expected that by nine o'clock there would be a chance to leave. Although there was no discussion on this on January 24, but Kiran Bhai had told me that I must bring towel-soap and brush-paste with me while coming to the office tomorrow.
This afternoon I did the same thing and with the necessary items in a bag, I started on the way to the office. As soon as we reached the office, it was confirmed by Kiran Bhai that we are going out for bitter water at night. Kiran Bhai, Suman Semwal and Barthwalji left the office around 8:30. None of us knew exactly the way he reached Kadapani. Night time on that. So it was necessary for a team to reach here on time. I, Satiji and Kedar had to leave the office around 9.30, but got entangled in a news that it was eleven o'clock in the night. So! Somehow, around 11.15, we were able to leave for Kadapani.
Google Map was telling that we will reach here in half an hour, but after Bhuddi village we lost our way. We had to walk on the road leading to Manak Singh Temple, but we went straight ahead. But what was this, the way was not ahead now. So, taking the car back, we went back on the same path. Talking to Badthwalji on the phone while walking, he too could not clearly tell where to come. Now we parked the car on the side of the road at one place and started thinking what to do. Earlier we had told Barthwalji that he should come to pick us up. In the meantime, talking to Suman, he asked to come directly towards Manak Siddha temple.
Meanwhile, Suman was also seen coming with the car from the front. Now we started following his car. But, near the Manak Siddha temple, he too lost his way and walked on the wrong track. However, after five minutes he realized this and turned the car back. From there it would have taken about 15 minutes for us to reach the rest house. By then it was twelve o'clock in the night. It will also take ten minutes to get fresh. After that we started having food. Coming here, it came to know that these people had also lost their way and reached here only after 9.30. However! We have had our meal and now we are ready to sleep. What is the plan ahead, I will tell you in detail tomorrow. For now, you too can sleep peacefully. Good night!
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