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दिनेश कुकरेती
हफ्ते में कम से कम तीन दिन तो मैं पडो़स की दुकान पर जरूर जाता हूं। अकारण नहीं, कुछ न कुछ खरीदने के लिए। दुकानें तो आसपास और भी हैं, लेकिन मुझे सिर्फ इसी दुकान पर जाना पसंद है। यह दुकान भी वैसी ही है, जैसी मोहल्ले की अन्य दुकानें होती हैं। मतलब सुई से लेकर सब्बल तक आप यहां से खरीद सकते हैं। फिर ऐसा क्या खास है इस दुकान में, जिसके पीछे मैं यहां खिंचा चला जाता हूं? इस सवाल का जवाब पाने के लिए तो आपको मेरे साथ दुकान पर चलना होगा।
बिल्कुल सामान्य साज-सज्जा, यहां-वहां रखा सामान, काउंटर पर भी तीन से ज्यादा लोग खडे़ नहीं सकते। सफाई तो सालभर में भी हो जाए तो गनीमत। भाई लोग धूल तक नहीं झाड़ते। फिर भी बिक्री खूब होती है। अब थोडा़ दुकान के अंदर झांक लें। काउंटर से लगभग दो फीट के फासले पर प्लास्टिक की दो पुरानी कुर्सियां रखी हैं। इनमें से एक कुर्सी पर वह बैठती और दूसरी पैर पसारने के काम आती है। कभी एक और कभी दोनों ही।
चलिए आपकी सहूलियत के लिए मैं उसे पूनम नाम दे देता हूं, क्योंकि मुझे उसका नाम मालूम नहीं है।
शादी-शुदा है। उम्र 30 के आसपास होगी। दो बच्चे भी हैं छोटे-छोटे, पर देखकर लगता नहीं है। औसत कद-काठी होने पर भी है काफी आकर्षक। चेहरे पर अमूमन मुस्कान तैरती रहती है। खासकर तब, जब वह ग्राहक से मुखातिब होती है। सबसे ज्यादा आकर्षण तो उसके खुद के प्रति लापरवाहपने में है।
दुकान में ज्यादातर वक्त पूनम ही बैठती है। अक्सर पति की मौजूदगी में भी, हाथ बंटाने के लिए। शायद ही कोई दिन होगा, जब काउंटर पर पूनम नजर न आती हो।
मैं तो जब भी दुकान पर जाता हूं, पूनम से ही सामना होता है। हालांकि, मैं जाता ही ऐसे समय पर हूं, जब उसके दुकान में होने की लगभग गारंटी रहती है। बडा़ सुकून मिलता है चोरी-चोरी उसे निहारकर। उससे बात कर। सामान लेते हुए उसके हाथ का स्पर्श कर। कंधे से उसके दुपट्टे के फिसलने पर।
सामान खरीदकर मैं कभी पूनम से यह भी नहीं पूछता कि फलां आइटम कितने का है। बस! चुपचाप उसके हाथ पैसे पकडा़ देता हूं।
कई बार तो जल्दबाजी में वह हिसाब तक गड़बडा़ देती है। जाहिर है चपत तो मुझे ही लगनी है। लेकिन, इसका पता हमेशा मुझे कमरे में लौटकर ही लगता है। फिर भी मैंने कभी उससे इसका तकाजा नहीं किया। सोचता हूं आगे से ध्यान रखूंगा, पर उसका चेहरा सामने आते ही कुछ याद नहीं रहता। पता नहीं कब तक चलेगा यह सिलसिला, फिलहाल कुछ कह पाना संभव नहीं है। दिल का मामला है, दिल ही जाने...।
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Poonam Shop
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Dinesh Kukreti
At least three days a week, I definitely go to the neighborhood shop. Not without reason, to buy something. There are more shops around, but I only like visiting this shop. This shop is the same as other shops in the locality. That means you can buy from needles to sabal here. Then what is so special in this shop, behind which I am drawn here? To get an answer to this question, you have to walk with me to the shop.
Absolutely common decor, items kept here and there, no more than three people can stand on the counter. If cleaning is done throughout the year, then it is a privilege. Brothers do not even dust. Still sales are good. Now look inside a little shop. Two old plastic chairs are placed at a distance of about two feet from the counter. In one of these chairs she sits and the other is used to spread her legs. Sometimes both one and sometimes both.
Let me name her Poonam for your convenience, because I do not know her name.
Is married. Age will be around 30. Even two children are small, but do not look at them. It is quite attractive even if it is of average height. Usually a smile floats on his face. Especially when she is facing a customer. The most attraction is in his carelessness towards himself.
Poonam sits in the shop most of the time. Often in the presence of a husband, to arm. There is hardly a day when Poonam is not seen on the counter. Whenever I go to the shop, I am confronted by Poonam.
However, I am at a time when she is almost guaranteed to be in the shop. It is very comforting to steal it. Talk to him. Taking her luggage, touch her hand. On slipping her dupatta from the shoulder.
I never ask Poonam how much such an item is, after buying the item. Bus! I silently hold his hands.
At times, she messes up in haste. Apparently I have to start the slap. But, I always find out by returning to the room. Even then, I never avoided it. I think I will take care from the front, but I do not remember anything as soon as his face comes out. Do not know how long this series will last, at the moment it is not possible to say anything. It is a matter of the heart, know only the heart….
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