Thursday, 6 August 2020

06-08-2020 (अपनी बात)

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अपनी बात 

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दिनेश कुकरेती 

खास लोगों की दिनचर्या से तो अमूमन हम सभी परिचित होते हैं, पर क्या कभी आपने सोचा है कि आम लोगों की दिनचर्या में भी उतना ही रोमांच है, जितना कि खास लोगों की दिनचर्या में। यह जरूर है कि खास लोगों के ग्लैमर के आगे आम आदमी को कोई अहमियत नहीं मिल पाती। उसके पास न तो खास लोगों जैसे साधन-संसाधन होते हैं, न भारी-भरकम प्रचार तंत्र और परिक्रमा करने वाले लोग ही। वह खास लोगों जैसा दिखावा भी नहीं कर सकता। कहने का मतलब वह सिर्फ और सिर्फ हकीकत में जीता है। 

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आम आदमी की इसी हकीकत से आपको रू-ब-रू कराने के लिए मैंने डायरी लिखने का निर्णय लिया। मैं बेहद साधारण इन्सान हूं। कोई दिखावा नहीं। कोई बनावट नहीं। कोई छलावा नहीं। हां! इतना जरूर है इस साधारण-सी जिंदगी को मैं असाधारण ढंग से जीता हूं। उसका भरपूर लुत्फ लेता हूं। खास लोगों से कहीं ज्यादा। इसलिए जो अनुभव जैसा है, उसे वैसा ही आपके सामने परोस रहा हूं। साथ ही भरोसा दिलाता हूं कि आपको मेरे ये अनुभव खूब पसंद आएंगे। 

एक बात और...। अपने डेली रुटीन से परिचित कराने से पहले मैं आपकी मुलाकात उन खास लोगों से करा रहा हूं, जिनके संपर्क में आने के बाद मुझे इस डायरी को लिखने की प्रेरणा मिली। हालांकि इन लोगों से मेरा कोई रिश्ता नहीं है, कोई वास्ता नहीं है, फिर भी न जाने क्यों लगाव-सा हो गया है इनसे। क्यों हुआ, कैसे हुआ? इसका मेरे पास कोई जवाब नहीं है। 

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आप भी निश्चित रूप से ऐसे अनुभवों से गुजरे होंगे, इनका आनंद भी लिया होगा, लेकिन ऐसा कब और क्यों हुआ, आप भी इसका जवाब नहीं दे पाएंगे। यानी आप और मैं एक ही नाव में सवार हैं। ...तो चलिए! इस नाव को दरिया में उतार कर जिंदगी के सुहाने सफर का आनंद लें। 

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मितरों! अगर आपको मेरा ब्लाग अच्छा लगे तो इसे फालो और सब्‍सक्राइव अवश्य कीजिएगा। साथ ही कमेंट बाक्स में जाकर अपनी राय भी जरूर दीजिए, ताकि आगे मैं इसे और भी बेहतर बना सकूं। समाज में पढ़ने-लिखने की संस्कृति विकसित करने के लिए मेरी ये एक छोटी-सी कोशिश है। इसमें सहभागी अवश्य बनें। धन्यवाद!!

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Self talk

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Dinesh kukreti 

We are usually familiar with the routine of particular people, but have you ever thought that there is as much thrill in the routine of ordinary people as in the routine of particular people. It is definitely that the common man does not get any importance in front of the glamor of special people. It has neither the resources nor resources like special people, nor the huge publicity system and the people who go round. He cannot even pretend like special people.To say that he just and only really lives. 

I decided to write a diary to make you aware of this reality of the common man. I am a very simple person. No pretense. No texture No cheating. Yes! It is so sure that I live this simple life in an extraordinary way. Enjoy it very well More than special people. Therefore, I am serving the same experience as you. Also, assure you that you will like my experience very much. 

One more thing.... Before introducing my daily routine, I am introducing you to the special people, after getting in contact with whom I was inspired to write this diary. Although I have no relationship with these people, there is no connection, yet I do not know why they have become attached to them. Why did it happen? I have no answer to this. You too must have gone through such experiences, enjoyed them too, but when and why this happened, you too will not be able to answer it. That means you and I are in the same boat. ... then let's go! Enjoy life by taking this boat in the river.

4 comments:

  1. मेरे ब्लाक में आपका स्वागत है। अच्छा लगे तो फालो कीजिएगा।

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  2. बहुत बहुत बधाई सर
    मुझे भी नियमित अच्छा पढ़ने और सीखने को मिलेगा ।

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  3. गूगल पर My daily routine (dinesh kukreti) टाइप करने पर ब्‍लॉग दिख जाएगा।

    ReplyDelete

Thanks for feedback.

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