Thursday, 21 April 2022

21-04-2022 (अमीन की खटिया) (Part-3)


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किस्सागोई (आठ) 

अमीन की खटिया (भाग-तीन)

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दिनेश कुकरेती

मीन जी यह सुते ही आग बबूला हो उठे। उस प्रौढ़ महिला पर नहीं, उन्हें खटिया समेत नदी में छोड़ने वालों पर। उनकी गालियां और चिल्लाने की आवाज सुनकर आस-पास के घरों से भी लोग बाहर निकल आए। हालांकि, अभी माजरा किसी की समझ में नहीं आ रहा था। लेकिन, जब उस प्रौढ़ महिला ने कुरेदा तो अमीन जी लाउडस्पीकर की तरह फट बडे़। आठ-दस ट्रेडिशनल गालियां सुनाते हुए बोले, "रात ये खटुला समेत जु छोडि़ ऐ होलू मि तैं बीच नदी मा, जु बाघ खै जांदु त"(रात न जाने कौन मुझे चारपाई समेत बीच नदी में छोड़ आया, जो बाघ खा जाता तो)? उनकी यह बात सुनकर वहां हंसी के गुल्ले फूट पडे़। हम भी जोर-जोर हंसना चाहते थे, लेकिन मौके की नजाकत इसकी इजाजत नहीं दे रही थी। 

उधर, प्रौढ़ महिला मुस्कराते हुए बोली, "भैजी! कन बिहोश छा तुम सियां, जु कै तैं खटुला उठांद बि नि चितै। दारु पिईं रै होलि जरूर। ये बुढा़पा मा कन खज्येणा छा तुम (भाई! कैसे बेहोश सो रखे थे तुम, जो तुम्हें यह भी पता नहीं चला कि कोई खाट को उठा रहा है। दारु पी रखी रही होगी जरूर। इस बुढा़पे में कैसे बर्बाद हो रहे हो तुम)। यह सुन अमीन जी को काटो तो खून नहीं, सो चुपचाप बिस्तर समेत खाट कंधे पर रखी और बड़बडा़ते हुए चल पडे़ अपने ठौर की ओर। उनके जाते ही वातावरण में फिर ठहाके गूंजने लगे, शराबियों का एक नया किस्सा जो अस्तित्व में आ गया था। महीने-दो महीने के मनोरंजन का जुगाड़ तो था ही ये किस्सा।

नदी के किनारे तक का चक्कर लगाकर अमीन जी के पीछे-पीछे हम भी यह संकल्प लेते हुए घर वापस लौट आए थे कि इस बारे में कभी किसी के सामने मुंह नहीं खोलेंगे। उधर, घंटे-दो घंटे बाद ही पूरे मोहल्ले में अमीन जी के चर्चे आम हो गए। यहां तक कि नदी के पार रहने लोगों की जुबान पर भी अमीन जी ही चढे़ हुए थे। जिसे देखो, बस एक ही बात कह रहा था कि अमीन जी को रात कोई खटिया समेत कोई नदी में छोड़ आया। वह कौन रहा होगा, कुछ मालूम नहीं। ज्यादातर लोग तो यही कह रहे थे कि जिसने भी किया, ठीक ही किया। कोई तो गुरु टकराया बेवडे़ का। यह सुनकर हमारे भी कालर खडे़ हो रहे थे, पर फिर...।

वर्षों बाद आज जब उन कडि़यों को पिरो रहा हूं तो तन-मन में गुदगुदी-सी हो रही है। जोर-जोर से हंसने का मन कर रहा है, लेकिन ऐसा संभव नहीं। आस-पडो़स के लोग इकट्ठा हो जाएंगे। उन्हें लगेगा कि एकाकीपन ने मेरा दिमाग खराब कर दिया है। सचमुच कितना दुस्साहसिक कदम उठा बैठे थे तब हम। पर, नहीं उठाया होता तो क्या आज मैं आपको इतना शानदार किस्सा सुना रहा होता। निश्चित रूप से नहीं। यकीन जानिए, अतीत के यही किस्से तो हमारी धरोहर हैं और इसी बेशकीमती धरोहर को मैं शब्दों में पिरोकर आपकी नजर कर रहा हूं।

(समाप्त)

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Anecdote (8)

Amin's Cot (Part Three)

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Dinesh Kukreti

Amin ji got furious on hearing this.  Not on that mature lady, but on those who left her in the river with the cot.  Hearing their abuses and shouting, people also came out from the nearby houses.  However, no one could understand the matter right now.  But, when that mature lady scraped it, Amin ji exploded like a loudspeaker.  While uttering eight to ten traditional abuses, he said, "Raat ye khatula sath ju chhodi ae holu mi tain beach river ma, ju baag khai jandu ta" (Night don't know who left me in the middle river with a cot, if the tiger would have eaten)  ?  Hearing this, there were bursts of laughter.  We also wanted to laugh out loud, but the beauty of the occasion did not allow it.

On the other hand, the adult woman smiled and said, "Bhaiji!  You didn't even know that someone is lifting the cot. You must have been drinking alcohol. How are you getting wasted in this old age? If you bite Amin ji, then there is no blood, so quietly put the cot along with the bed on the shoulder.  And murmured, they walked towards their place. As soon as they left, laughter started reverberating in the atmosphere, a new story of alcoholics which had come into existence.

After circling up to the bank of the river, following Amin ji, we also returned home taking a pledge that we would never open our mouths in front of anyone about this.  On the other hand, after an hour or two, discussions of Amin ji became common in the entire locality.  Even Amin ji was on the tongue of the people living across the river.  Whoever you see, was saying only one thing that someone left Amin ji along with a cot in the river at night.  Who he must have been, I don't know.  Most of the people were saying that whoever did it, did it right.  Somebody collided with the guru of Bevde.  Hearing this, our calls were also getting raised, but then….

After years, when I am threading those links today, I am getting tickled in my body and mind.  Feeling like laughing out loud, but it is not possible.  Neighbors will gather.  They will feel that the loneliness has spoiled my mind.  We were really taking such an audacious step then.  But, had I not picked up, would I have been telling you such a wonderful story today.  Definitely not.  Know for sure, these tales of the past are our heritage and I am looking at you by putting this priceless heritage in words.

(The end)

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