Sunday, 14 November 2021

14-11-2021 (बाल दिवस पर बिटिया का जन्मदिन)

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बाल दिवस पर बिटिया का जन्मदिन

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दिनेश कुकरेती

क बार फिर बाइक ने धोखा दे दिया, ऐसे में खुशी के बीच तनाव होना स्वाभाविक था। खुशी इस बात की आज बाल दिवस पर छोटी बिटिया साक्षी का जन्मदिन भी है। हालांकि, संयोग ऐसा है कि मुझे बच्चों के जन्मदिन पर उनके साथ रहने का मौका ही नहीं मिल पाता, पर खुशी तो खुशी है, उसका एहसास अकेले में भी किया जा सकता है। बिटिया और रजनी से मेरी बात सुबह हो चुकी थी। रजनी ने बताया कि जन्मदिन का केक शाम को मेरे ससुराल रतनपुर में कटना है। वहीं बिटिया के दोस्त और मेरी छोटी साली भी परिवार सहित आ जाएगी। दरअसल, मेरे घर में तो न सहयोग का माहौल है, न समन्वय का भाव ही। इसलिए बच्चों को भी नानी-नाना का घर ही जमता है। वहां बच्चे बेफिक्र और खुश रहते हैं।

रजनी ने यह भी बताया कि शाम को भोजन करने के बाद शिब्बू उन्हें अपनी कार में घर छोड़ देगा। पार्टी का सामान वह खुद लेकर जाएगी। इसके लिए शाम को वह पहले बाजार हो आएगी। केक का आर्डर बिटिया ने दे दिया है। मैंने कहा, यह ठीक रहेगा। इसके बाद मैंने भोजन किया और अपराह्न पौने तीन बजे के आसपास आफिस के लिए निकल पडा़। इरादा था कि सीधे पेट्रोल पंप पहुंचकर पहले बाइक में तेला डलवाऊंगा और इसके बाद ही आफिस जाऊंगा। यही मैंने किया भी। लेकिन, वहां अजीब ढंग की मुश्किल खडी़ हो गई। बाइक की टंकी का ढक्कन खुल ही नहीं रहा था, लिहाजा मुझे बिना तेल भराए ही वापस लौटना पडा़। इसके बाद मैंने रिसेप्शन में संजय को अपनी समस्या बताई। उसने जैसे-तैसे टंकी से ढक्कन तो खोल दिया, लेकिन वह फ्री हो गया था। शायद ढक्कन के लाक की स्प्रिंग टूट गई थी, जिससे वह दोबारा टंकी में फिट नहीं हो पा रहा था।

मैंने जैसे-तैसे ढक्कन को टंकी पर एडजस्ट किया और फिर उस पर प्लास्टिक का रिबन लपेट लिया। इसके बाद मैंने अपने मैकेनिक को फोन किया तो उसने बताया कि रविवार होने के कारण आज लाक नहीं मिल पाएगा। हालांकि, मैं बाइक उसके पास छोड़ सकता हूं। लेकिन, रविवार को गैराज बंद रहता है, इसलिए मंगलवार को ही कुछ हो पाएगा। इस बीच सतीजी ने बताया कि मैं सोमवार को स्वयं ही आटो पार्ट्स की दुकान पर जाकर लाक लगवा आऊं। प्रेस क्लब चौराह (लैंसडौन चौक) के पास आटो पार्ट्स की दुकान है। मुझे भी यह सुझाव उचित लगा। फिर टंकी के ढक्कन को मैंने अच्छी तरह प्लास्टिक की पन्नी से लपेट लिया, ताकि पेट्रोल न उडे़। अब मैंने तय कर लिया कि रात को कमरे में पैदल चला जाऊंगा और सुबह पैदल ही जल्दी आफिस पहुंचकर लाक को ठीक करवा दूंगा।

इसके बाद में अपने कार्य में व्यस्त हो गया। रात सवा दस बजे के आसपास सतीजी ने बड़थ्वालजी को मुझे छोड़ने के लिए कहा। मैंने इन्कार करते हुए कहा कि मैं पैदल ही चला जाऊंगा। मुझे इसमें कोई दिक्कत नहीं है, ऐसी परेशानियां तो आती रहती हैं। लेकिन, मेरे काफी मना करने पर भी वे नहीं माने, सो मुझे बड़थ्वालजी के साथ स्कूटी पर लदना पडा़। हालांकि, इंजीनियरिंग एन्क्लेव के प्रवेश द्वार के पास से मैंने बड़थ्वालजी को वापस भेज दिया और वहां से पैदल ही कमरे तक पहुंचा। मैं उन्हें और अधिक परेशान नहीं करना चाहता था। 

कमरे में लौटने के बाद हमेशा की तरह रुटीन प्रक्रिया शुरू हो जाती है। पहले पानी भरो, कोई कपडा़ या बर्तन धोने के लिए है तो उसे धोओ, इसके बाद भोजन तैयार करो और भोजन करने के बाद फिर बर्तन धोओ। गेट पर ताला लगाने की जिम्मेदारी भी मेरी ही है।

उधर, शाम को कोटद्वार मेरे ससुराल में बिटिया का जन्मदिन मनाया जा रहा था, लेकिन बाइक की टंकी का लाक खराब होने के तनाव में यह ध्यान तक नहीं रख पाया। ऐसे खामखां के झमेले में खामखां जेब पर भी चपत लग जाती है। इस बार कितने की चपत लगती है, इसका भी अंदाजा नहीं। देखते हैं, कल तो आटो पार्ट्स की दुकान पर जाना ही है। फिलहाल तो भोजन करके मोबाइल पर देश-दुनिया से जुडी़ वीडियो क्लिप देख रहा हूं। इस दौरान पसंदीदा शायरों की प्रोग्रेसिव शायरी भी सुन लेता हूं। खासकर, जावेद अख्त़र की शायरी, नज्म़ आदि तो जरूर सुनता हूं। इसके बाद ही चैन की नींद आती है। खैर! आज इतना ही...।







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Daughter's birthday on children's day

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Dinesh Kukreti

Once again the bike cheated, so it was natural to have tension in the midst of happiness.  Happy that today is also the birthday of little daughter Sakshi on Children's Day.  However, the coincidence is such that I do not get a chance to be with the children on their birthdays, but happiness is happiness, it can be felt alone.  I had already spoken to the daughter and Rajni in the morning.  Rajni told that the birthday cake is to be cut in the evening at my in-laws' house, Ratanpur.  At the same time, the daughter's friend and my younger sister-in-law will also come along with the family.  In fact, there is neither an atmosphere of cooperation nor a sense of co-ordination in my house.  That is why the children also get attached to the maternal grandparents' house.  There the children are carefree and happy.










Rajni also tells that after having dinner in the evening, Shibbu will drop them home in his car.  She will take the party supplies herself.  For this, she will come to the market first in the evening.  The daughter has ordered the cake.  I said it would be fine.  After that I had my lunch and left for the office around 3.45 pm.  The intention was that after reaching the petrol pump directly, I would get oil in the bike and only then I would go to the office.  That's what I did too.  But, a strange kind of difficulty arose there.  The tank cover of the bike was not opening, so I had to return without filling the oil.  After this I told my problem to Sanjay at the reception.  He somehow opened the lid from the tank, but it was free.  Perhaps the spring of the lock of the lid was broken, due to which it was not able to fit in the tank again.










I adjusted the lid on the tank somehow and then wrapped a plastic ribbon on it.  After this, I called my mechanic and he told that due to Sunday being a Sunday, I will not be able to get the lock today.  However, I can leave the bike to him.  But, the garage is closed on Sundays, so anything will happen on Tuesday.  Meanwhile, Satiji told that I myself should go to the auto parts shop on Monday and get the lock installed.  There is an Auto Parts Shop near Press Club Chowk (Lansdowne Chowk).  I also found this suggestion appropriate.  Then I wrapped the lid of the tank with plastic foil, so that the petrol does not flow.  Now I have decided that I will walk in the room at night and reach the office early in the morning and get the lock fixed.

After that he got busy with his work.  Around 10.15 pm, Satiji asked Barthwalji to leave me.  I refused and said that I would go on foot.  I have no problem with this, such problems keep coming.  But, despite my refusal, they did not agree, so I had to load my scooty with Barthwalji.  However, near the entrance of the engineering enclave, I sent Barthwalji back and from there reached the room on foot.  I didn't want to bother them any more.  After returning to the room, the routine process starts as usual.  First fill water, if there is any cloth or utensils to be washed, then wash it, after that prepare the food and after having food wash the dishes again.  It is also my responsibility to lock the gate.

On the other hand, in the evening, the birthday of the daughter was being celebrated in my in-laws' house in Kotdwar, but could not even take care of it due to the tension of the lock of the bike tank.  In such a mess, even the pockets of Khamkhan get hit.  Don't even know how much it will cost this time.  Let's see, tomorrow I have to go to the auto parts shop.  At present, I am watching video clips related to the country and the world on my mobile after having food.  During this, I also listen to progressive poetry of favorite poets.  Especially, I definitely listen to Javed Akhtar's poetry, nazm etc.  Only then does one get restful sleep.  So!  That's all today...


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