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प्रेस क्लब क्रिकेट टूर्नामेंट
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दिनेश कुकरेती
आज मैंने दोपहर का भोजन नहीं बनाया। बीती रात आफिस से घर लौटते हुए सतीजी ने आज दोपहर 12 बजे पुलिस लाइन स्टेडियम चलने को कहा था, इसलिए हल्का-फुल्का नाश्ता करके दोपहर ठीक बारह बजे मैं आफिस पहुंच गया। बाइक पार्किंग में खडी़ कर जैसे में आफिस में अपने फ्लोर के प्रवेश द्वार पर पहुंचा, सतीजी वहीं खडे़ मेरी राह देख रहे थे। कहने लगे, 'मैं तो कब से इंतजार कर रहा था। फोन भी किया, तुमने उठाया ही नहीं।' मैंने कहा, 'रास्ते में था, इसलिए नहीं उठा पाया।' खैर! इसके बाद हम सतीजी की कार से सीधे पुलिस लाइन स्टेडियम के लिए रवाना हो गए।
तकरीबन बीस मिनट लगे हमें वहां पहुंचने में। अजय गौतम मेमोरियल क्रिकेट प्रतियोगिता के फाइनल मुकाबले की पहली पारी संपन्न हो चुकी थी और अब दूसरी टीम के ओपनर बैट्समैन क्रीज पर उतरने की तैयारी कर रहे थे। कार स्टेडियम के बगल वाले मैदान में खडी़ कर हम सीधे स्टेडियम में पहुंचे और कमेंटरी बाक्स के पास मित्र मंडली के साथ मैच देखने बैठ गए। तकरीबन दो घंटे यह पारी चली होगी और लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम ने आठ विकेट से फाइनल मुकाबला जीत लिया। विजेता-उपविजेता टीमों को पुरस्कृत करने के लिए सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी भी स्टेडियम में पहुंच चुके थे।
आधा घंटे में पुरस्कार वितरण की प्रक्रिया संपन्न हुई और इसके बाद सभी चल पडे़ भोजन के लिए। भोजन में चावल, मटन व पनीर बना हुआ था। हमने तो मटन-चावल का ही आनंद उठाया। इसके बाद हमने एक-दो डली गुड़ खाकर मुंह मीठा किया और पकड़ ली आफिस की राह।मटन काफी गला हुआ था और मसाले भी तीखे नहीं थे, इसलिए अन्य दिनों की अपेक्षा भोजन कुछ ज्यादा ही हो गया। सो, ऐसे में पेट भारी होना स्वाभाविक था। अन्य दिनों में शाम के वक्त कुछ-न-कुछ खाना हो जाता है, लेकिन आज बिल्कुल इच्छा नहीं थी।
सोच रहा था कि रात कमरे में दलिया बनाऊंगा, लेकिन अब लग रहा था कि दलिया की भी जरूरत नहीं पड़ने वाली। ऐसा ही हुआ भी। कमरे में पहुंचकर सबसे पहले मैंने रुटीन के कार्य निपटाए और फिर सोचा कि क्यों न दूध पीकर ही गुजर कर ली जाए। इच्छा न होने पर जबर्दस्ती भोजन करना समझदारी का काम भी नहीं है। सो, मैंने दूध गर्म किया और गुड़ की कटिंग के साथ उसका लुत्फ लेने लगा। सुबह के लिए काले चने भिगो लिए हैं और हाथ-मुंह धोकर अब आराम करने बैठा हुआ हुआ हूं।
मेरे लिए आराम का मतलब चित्त लेट जाना नहीं, बल्कि कोई पुस्तक पढ़ लेना या यू-ट्यूब पर कोई तर्कपूर्ण ज्ञानवर्द्धक वीडियो क्लिप देख लेना होता है। खासकर रवीश कुमार, अभिसार शर्मा, पुण्य प्रसून वाजपेयी, संदीप चौधरी, अजीत अंजुम, प्रज्ञा मिश्रा, साक्षी जोशी, आरफा खानम शेरवानी की न्यूज क्लिप, इंटरव्यू, चर्चा-परिचर्चा मैं जरूर देखता व सुनता हूं। इसके अलावा जौन एलिया, राहत इंदौरी, जा़वेद अख़्तर, वसीम बरेलवी, बशीर बद्र, अदम गोंडवी, दुष्यंत कुमार, साहिर लुधियानवी, फै़ज अहमद फै़ज, परवीन शाकिर, कुंवर जावेद, विष्णु सक्सेना आदि कवि, गीतकार व शायरों को सुनना व पढ़ना मुझे बेहद पसंद है।
इस समय मैं गीतकार विष्णु सक्सेना को सुन रहा है। सममुच श्रृंगार के अद्भुत गीतकार हैं। एक बार सुनने लगो तो गीतों में डूब जाने का मन करता है। इससे पहले मैंने शायरा राना तबस्सुम को सुना। क्या कमाल की शायरी करती हैं। इन कवि व शायरों को सुन-सुनकर तो मैंने भी कविता, गीत व गज़ल लिखना सीखा। मेरा मानना है समाज को लोकतांत्रिक दिशा और वैज्ञानिक दृष्टि देने वालों को पढ़ते व सुनते रहना चाहिए। इससे ज्ञान तो मिलता ही है, सोच का दायरा भी बढ़ता है। आज के दौर में तो यह बेहद जरूरी है।
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Press Club Cricket Tournament
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Dinesh Kukreti
I didn't cook lunch today. While returning home from office last night, Satiji had asked me to walk to Police Line Stadium at 12 noon, so after having a light breakfast, I reached the office at exactly 12 noon. Standing in the bike parking lot, as I reached the entrance of my floor in the office, Satiji was standing there watching my way. He said, 'How long have I been waiting? Called too, you didn't even pick up. I said, 'Was on the way, so couldn't lift it.' So! After this we left for the Police Line Stadium directly from Satiji's car.
It took us about twenty minutes to reach there. The first innings of the final match of the Ajay Gautam Memorial Cricket Competition was over and now the opener batsmen of the other team were preparing to enter the crease. Parked the car in the ground next to the stadium, we went straight to the stadium and sat down near the commentary box to watch the match with the group of friends. This innings would have lasted almost two hours and the team chasing the target won the final match by eight wickets. Sainik Welfare Minister Ganesh Joshi had also reached the stadium to reward the winning-runner-up teams.
The prize distribution process was over in half an hour and after that everyone went on to the food. Rice, mutton and paneer were made in the food. We only enjoyed mutton-rice. After this, we sweetened our mouth after eating a couple of nuggets of jaggery and took our way to the office. So, it was natural for the stomach to be heavy. On other days some food is done in the evening, but today there was no desire at all.
I was thinking that I would make porridge in the room at night, but now it seemed that even porridge would not be needed. The same thing happened. After reaching the room, I first dealt with the routine tasks and then thought that why not pass it by drinking milk. It is not a wise thing to eat forcibly when there is no desire. So, I heated the milk and started enjoying it with jaggery cuttings. I have soaked black gram for the morning and after washing my hands and face, now I am sitting to rest.
For me, rest doesn't mean lying down, but reading a book or watching a logically informative video clip on YouTube. Especially Ravish Kumar, Sandeep Chaudhary, Ajit Anjum, Pragya Mishra, Sakshi Joshi, Arfa Khanum Sherwani's news clips, interviews, discussions and discussions, I definitely watch and listen. Apart from this, listening and reading poets, lyricists and poets like Jaun Elia, Rahat Indori, Javed Akhtar, Wasim Barelvi, Bashir Badr, Adam Gondvi, Dushyant Kumar, Sahir Ludhianvi, Faiz Ahmed Faiz, Parveen Shakir, Kunwar Javed, Vishnu Saxena etc. like.
Currently I am listening to lyricist Vishnu Saxena. Sammukh Shringar is a wonderful lyricist. Once you start listening, you feel like getting immersed in the songs. Earlier I listened to Shayra Rana Tabassum. What a wonderful poetry. After listening to these poets and poets, I also learned to write poetry, songs and ghazals. I believe that the society should keep reading and listening to those who give democratic direction and scientific vision. This not only gives knowledge, but also increases the scope of thinking. In today's era it is very important.
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