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महादेवी पर परिचर्चा के बहाने
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दिनेश कुकरेती
सुबह स्नान करके जैसे ही मैं कमरे में आया फोन की घंटी घनघना उठी। मैकेनिक का फोन था। बोला, "बाइक ठीक हो गई है, लेने कब आओगे।" मैंने थोडी़ देर में आने को कहा और फिर योगासन करने बैठ गया। स्नान के बाद मैं एक से सवा घंटे योग-प्राणायाम अवश्य करता हूं, इसलिए आज भी इस क्रम को बाधित नहीं करना चाहता था। मैकेनिक के पास मैं साढे़ ग्यारह बजे के आसपास पहुंचा। आशंका थी कि खर्चा ठीक-ठाक ही हुआ होगा, लेकिन मामला 1200 रुपये में निपट गया। इससे राहत तो महसूस होनी ही थी।
बारह बजे के आसपास मैं बाइक लेकर घर पहुंचा। आज दूरदर्शन पर "साहित्यिकी" के अंतर्गत सुप्रसिद्ध छायावादी कवयित्री पर परिचर्चा का प्रसारण भी होना था। इस परिचर्चा को हमने नौ सितंबर का रिकार्ड किया था। लेकिन, प्रसारण के टाइम की जानकारी मुझे नहीं थी और दूरदर्शन की और से भी कुछ नहीं बताया गया था। हालांकि, साहित्यकार मित्र मुकेश नौटियाल ने परिचर्चा का यू-ट्यूब लिंक भेजने की बात कही थी। प्रसारण के बारे में मैंने घर में रजनी को भी बता रखा था, लेकिन कब होगा, इस बारे में नहीं बता पाया। मेरे पास तो खैर टीवी है ही नहीं।
ढाई बजे के आसपास मैं आफिस के लिए निकल पडा़। बाइक में तेल नहीं था, इसलिए पेट्रोल पंप भी जाना था। फिर मैंने पेट्रोल पंप बदलने की भी ठान रखी थी। कारगी रोड पर ही आफिस से आधा किमी के फासले पर नया पंप खुला है, वहीं जाने का मेरा इरादा था। नया पंप होने के कारण उसके पेट्रोल टैंक में भी नमी आने की गुंजाइश नहीं है। सो, आज से मैंने इसी पंप से पेट्रोल भरवाने की शुरुआत कर दी। तीन बजे मैं आफिस में था। आफिस पहुंचने के बाद लगभग चार बजे तक मैं लाइब्रेरी में बैठता हूं। थोडा़ आराम हो जाता है। इसी के बाद काम की शुरुआत होती है।
पांच बजे के आसपास मुझे मुकेश भाई ने परिचर्चा का यू-ट्यूब लिंक भेज दिया। मैंने यह लिंक रजनी को भेजा तो उसने पहले ही यू-ट्यूब पर परिचर्चा देख लेने की बात कही। मुकेश भाई ने टीवी से परिचर्चा के कुछ शाट भी ले लिए थे, वो भी उन्होंने मुझे भेज दिए। हालांकि, मैंने परिचर्चा आफिस से घर लौटने के बाद रात को ही देखी। इससे मुझे पता चला कि अभी मैं टीवी के लिए परफैक्ट नहीं हूं। काफी सुधार की गुंजाइश है। मेरी दिली ख्वाहिश है कि जितना बेहतर लिख पाता हूं, उतना ही बेहतर बोल भी सकूं। खैर! प्रयास जारी है, सफलता भी मिलेगी ही।
लेकिन...मेरी चिंता फिलहाल यह है कि पढ़ने के लिए बिल्कुल भी समय नहीं निकाल पा रहा हूं। नेमिचंद्र शास्त्री की पुस्तक "भारतीय ज्योतिष" को पढ़ना शुरू किया था, लेकिन शुरुआत में ही अटका हुआ हूं। कुणाल नारायण उनियाल का उपन्यास "तीसरी दुनिया के रहस्य" को भी पढ़ना शुरू किया हुआ है। यहां भी अभी आठ-दस पेज से आगे नहीं बढ़ सका। इसका मुझे हमेशा अफसोस रहता है कि पुस्तकों की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद जीवन के इस सबसे बडे़ शौक को पूरा नहीं कर पा रहा। वैसे इतना तो तय है कि एक बार नियमित रूप से पढ़ने का सिलसिलि शुरू हो गया तो फिर किसी भी सूरत में रुकने वाला नहीं है।
आजकल तो लिखने का क्रम भी ढीला पडा़ हुआ है। 26 अगस्त को कोटद्वार से लौटने के बाद से अब तक मैं महज छह पोस्ट ही लिख पाया। यह सातवीं पोस्ट है। जबकि, तय किया था कि रोजाना एक पोस्ट लिखूंगा। पता नहीं क्यों दिलो-दिमाग पर सुस्ती घर बना लेती है। कोशिश रहेगी कि आगे ऐसा न हो। पाठकों को भी तो नित नई पोस्ट का इंतजार रहता है। चलिए! फिलहाल तो रात काफी हो गई है, बल्कि यह कहना ज्यादा प्रासंगिक रहेगा कि आधी बीत गई है। नींद भी धीरे-धीरे अपना असर दिखा रही है। ...तो क्यों न अब नींद को गले लगा लिया जाए। खुदा हाफिज!!
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On the pretext of discussion on Mahadevi
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Dinesh Kukreti
As soon as I entered the room after taking bath in the morning, the phone rang. The mechanic was on the phone. Said, "The bike is fine, when will you come to get it." I asked to come after a while and then sat down to do yoga. After bathing, I do Yoga-Pranayama for one to one and a half hours, so I did not want to disturb this sequence even today. I reached the mechanic around 11:30. There was an apprehension that the expenditure would have been well, but the matter was settled in 1200 rupees. It was a relief to be felt.
Around twelve o'clock I reached home with my bike. Today, under "Sahityiki" on Doordarshan, a discussion on the famous Chhayavadi poetess was also to be telecast. We had recorded this discussion on September 9. But, I was not aware of the timing of the broadcast and nothing was told from Doordarshan either. However, literary friend Mukesh Nautiyal had said to send the YouTube link of the discussion. I had also told Rajni in the house about the broadcast, but could not tell when it would happen. I don't even have TV.
Around 2.30 am I left for the office. There was no oil in the bike, so had to go to the petrol pump. Then I was also determined to change the petrol pump. On Kargi road itself, a new pump is open at a distance of half a kilometer from the office, where I intended to go. Due to the new pump, there is no room for moisture in its petrol tank. So, from today I started filling petrol from this pump. I was in the office at three o'clock. After reaching the office, I sit in the library till about four o'clock. Gets some rest. After this the work begins.
Around five o'clock, Mukesh Bhai sent me the YouTube link of the discussion. When I sent this link to Rajni, she already told me to watch the discussion on YouTube. Mukesh Bhai had also taken some shots of the discussion from TV, he also sent them to me. However, I saw the discussion only at night after returning home from the office. From this I came to know that I am not perfect for TV right now. There is much scope for improvement. I wish that the better I can write, the better I can speak. So! Efforts are on, success will also come.
But...my concern at the moment is that I am not able to find any time to study at all. Started reading Nemichandra Shastri's book "Indian Astrology" but am stuck in the beginning itself. Kunal Narayan Uniyal's novel "Secrets of the Third World". Here too, it could not go beyond eight or ten pages. I always regret that in spite of sufficient availability of books, I am not able to fulfill this biggest hobby of life. By the way, it is certain that once the process of reading regularly starts, then it is not going to stop in any way.
Nowadays the order of writing is also loose. Since my return from Kotdwar on 26th August, I have been able to write only six posts. This is the seventh post. Whereas, it was decided that I would write a post daily. I don't know why lethargy builds a home in the heart and mind. Will try not to do this in future. Readers are also always waiting for new posts. Let go! For the time being it is enough night, but it would be more relevant to say that half has passed. Sleep is also slowly showing its effect. ...so why not embrace sleep now. Khuda Hafiz!!
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