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दिनेश कुकरेती
आज उठते ही अच्छी खबर मिली। मैं स्नान करने जा ही रहा था कि सती जी का फोन आ गया। बोले, आज से आफिस ज्वाइन कर लेना और जो पांच दिन घर पर रहा, उसके लिए एचआर में 'वर्क फ्राम होम' की मेल कर देना। मन को बडा़ सुकून मिला। ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो कैद से मुक्त हो गया हूं। स्नान और ध्यान-प्राणायाम करने के बाद आज मैंने दोपहर का भोजन अतिरिक्त उत्साह के साथ बनाया। ऐसा होना लाजिमी था, क्योंकि यह सारा घटनाक्रम आरटी-पीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद घट रहा था।
दोपहर का भोजन करने के बाद पांच-दस मिनट आराम किया और फिर फटाफट तैयार होकर निकल पडा़ आफिस के लिए। वहां पहुंचते ही सबसे पहले मैंने हरिद्वार टूर के बिल एचआर डिपार्टमेंट में जमा कराए। ताकि जल्द पेमेंट मिल जाए और होटल के बिल का भुकतान हो सके। बिल जमा कर मैं अपनी सीट पर बैठा ही था कि हरिद्वार से लखेडा़ जी का फोन आ गया। लखेडा़ जी ही वो सज्जन हैं, जिन्होंने होटल में हमारी उधारी की गारंटी दी हुई है। फोन भी उन्होंंने यही पूछने के लिए किया था कि हम उधारी कब चुकाएंगे।
मेरा फोन नंबर उन्होंने होटल के रिसेप्शन से ही लिया था। मेरे ही नाम से बिल भी कटा हुआ है। मैंने उन्हें आश्वस्त किया कि कल शाम को आफिस से पेमेंट मिलते ही गूगल पे कर दूंगा। लगे हाथ मैंने उनसे होटल के उस व्यक्ति का गूगल पे से लिंक किया नंबर भी ले लिया, जिसे पेमेंट भेजना है। लखेडा़ जी ने पेमेंट की स्लिप उन्हें वाट्सएप पर भेजने को कहा है। इसके बाद मैंने छायाकार साथी राजेश बड़थ्वाल को फोन कर लखेडा़ जी से बात करने को कहा। ताकि उनका हम पर भरोसा बना रहे।
एक बात बताना तो मैं भूल ही गया था, वह यह कि बीते एक महीने से हम चार-पांच सहयोगी रोजाना दोपहर के वक्त मट्ठा पीते हैं। आज भी पिया। इसके लिए हमने आफिस में ही व्यवस्था की हुई है। महीने के आखिर में सब अपने-अपने हिस्से का पेमेंट कर देते हैं। इस बीच हरिद्वार टूर और छुट्टियों के कारण मैं इससे वंचित रह गया था। खैर! आफिस की जिम्मेदारी निपटाकर मैं अपने पुराने समय पर रूम में पहुंचा। पुराना समय मतलब, वही रात के ग्यारह बजे। फिर पानी भरने के बाद हमेशा की तरह भोजन बनाया।
इस समय रात के लगभग डेढ़ बज रहे हैं। भोजन करने के बाद से अब तक मैं यू-ट्यूब पर कुछ मनपसंद धारावाहिक और अपने पसंद के पत्रकारों के चैनल देख रहा था। अब आंखें भारी होने लगी हैं। बीच-बीच में नींद के झोंके भी आ रहे हैं। इसलिए डायरी लिखने में भी काफी मुश्किल हुई। ...तो ठीक है, आप सभी मितरों से कल मुलाकात होती है। शुभ रात्रि!!!
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Freedom from captivity
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Dinesh Kukreti
Got good news as soon as I got up today. While I was going to take a bath, Sati ji's call came. Said, join the office from today and mail the 'work from home' in HR for the person who stayed at home for five days. The mind was very relaxed. It was as if I had been freed from captivity. Today after bathing and meditating, I made lunch with extra enthusiasm. This was bound to happen, as all this was happening after the RT-PCR report was negative.
After having lunch, rested for five to ten minutes and then immediately got ready and left for the office. On reaching there, I first submitted the bills of Haridwar Tour to HR Department. So that payment is received soon and the hotel bill can be paid. I was sitting in my seat after submitting the bill that Lakheda ji's call came from Haridwar. Lakheda ji is the gentleman who has guaranteed our borrowings in the hotel. He also had a phone call to ask when we will repay the loan.
He took my phone number from the reception of the hotel itself. The bill is also chopped off in my own name. I assured them that tomorrow evening, I will make Google payment as soon as I get the payment from the office. Lage hand, I also took from them the number linked to Google Pay of the hotel person to whom payment is to be sent. Lakheda has asked him to send the payment slip to WhatsApp. After this, I called cinematographer fellow Rajesh Barthalwal and asked him to talk to Lakheda ji. So that they can continue to trust us.
I forgot to tell you one thing, that for the past one month, we have four or five associates drinking whey every day in the afternoon. Still drank today For this, we have made arrangements in the office itself. At the end of the month, everyone pays their share. Meanwhile, I was deprived of it due to Haridwar tours and holidays. Well! I took the responsibility of office and reached the room at my old time. Old time means the same at eleven o'clock at night. Then after filling the water made the usual food.
It is almost one and a half at night. Since having food, till now I was watching some favorite serials and channels of journalists of my choice on YouTube. Now the eyes are getting heavier. There are also frequent puffs of sleep. Therefore, it was very difficult to write a diary as well. ... Well, see you all friends tomorrow. good night!!!
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