(भाग-एक)
दिनेश कुकरेती
बीते बरस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आसन वेटलैंड भ्रमण कार्यक्रम के बाद हमने तय कर लिया था कि अगले बरस भी ऐसे ही किसी स्थान के भ्रमण पर निकलेंगे। लेकिन, तब एक ही दिन में वापसी करने के बजाय रात्रि विश्राम वहीं किया जाएगा। इसलिए पिछले कई दिनों से हम ऐसे स्थान की तलाश में थे। विकासनगर में साथी चंदराम राजगुरु से इस संबंध में बात हुई तो उन्होंने कालसी व साहिया से आगे एक हरी-भरी पहाडी़ पर बसे खूबसूरत पर्यटन स्थल कोरवा आने का सुझाव दिया। बोले, 'कोरवा में पर्यटकों के लिए सुविधा संपन्न काटेज उपलब्ध हैं। इनमें से कुछ काटेज उनके दोस्त के हैं, जहां हमारे ठहरने और भोजन की व्यवस्था हो जाएगी। वह स्वयं भी हमारे साथ उपलब्ध रहेंगे।' 12 अगस्त को हम सभी ने कोरवा भ्रमण पर सहमति की मुहर लगा दी।
तय हुआ कि 14 अगस्त को रात आठ बजे के आसपास हम आफिस से ही वन विभाग के किसी नजदीकी गेस्ट हाउस में पहुंच जाएंगे। रात का भोजन वहीं होगा और अगले दिन अलसुब्ह कोरवा के लिए कूच कर देंगे। नजदीकी गेस्ट हाउस के नाम पर हमारे पास तीन विकल्प हैं, पहला कडु़वापानी, दूसरा आशारोडी़ और तीसरा झाझरा वन विश्राम गृह। आशारोडी़ विश्राम गृह पर हमारे बीच सर्वसम्मति नहीं बन पाई। जबकि, कडु़वापानी विश्राम गृह देहरादून वन प्रभाग की आशारोडी़ रेंज में पड़ता है और सघन वन क्षेत्र के बीच स्थित है। इसलिए वहां समय से पहुंचना बेहद जरूरी है। रात में हिंसक जानवर सक्रिय हो जाते हैं। साथ ही रास्ते में हाथी भी टकरा सकते हैं। फिर इन दिनों वहां तक जाने वाला रास्ता भी बरसात के कारण खराब है। सो, बेहतर यही है कि नंदा की चौकी से आगे झाझरा वन विश्राम गृह में ठहरा जाए। इस पर सभी एकमत थे।
भ्रमण पर हम सात लोगों सतीजी, गुलेरियाजी, केदारजी, किरण भाई, राजेश बड़थ्वाल, सुमन सेमवाल और मुझे निकलना है। रूपरेखा बनी कि किरण भाई, बड़थ्वालजी, सेमवालजी और मैं सेमवालजी की कार में साढे़ आठ बजे तक झाझरा पहुंच जाएंगे। जबकि, सतीजी, गुलेरियाजी व केदारजी आफिस का काम निपटाकर दस बजे तक गुलेरियाजी की कार से वहां पहुंचेंगे। तब तक हम वहां भोजन तैयार कर चुके होंगे। सारा सामान हम एक दिन पहले ही पैक कर देंगे, सिवाय चिकन, पनीर व दही के। हमें सिर्फ झाझरा में ही भोजन की व्यवस्था करनी है।
कोरवा की सारी व्यवस्थाएं साथी चंदराम राजगुरु कर रहे हैं। वहां से हम 16 अगस्त की सुबह देहरादून के लिए प्रस्थान करेंगे और दस बजे तक सीधे आफिस पहुंच जाएंगे। साथी चंदराम राजगुरु ने बताया है कि 15 तारीख को वे कालसी में हमसे मिलेंगे और वहां से हमारे साथ ही कोरवा पहुंचेंगे। दोपहर का भोजन कोरवा में ही होगा। जहां हमारे ठहरने की व्यवस्था है, वो काटेज कोरवा गांव से दो किमी के फासले पर एकांत में प्रकृति के सुरम्य वातावरण के बीच स्थित हैं।
कोरवा चकराता हाइवे पर स्थित है और चकराता वहां से महज दस किमी की दूरी पर है। हालांकि, पहाड़ में दस किमी की दूरी बहुत ज्यादा होती है। खैर! फिलहाल तो हम सभी कोरवा जाने के लिए उत्साहित हैं अखबार की दुनिया में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस, दो ही दिन ऐसे हैं, जब साथी लोग एक साथ में बैठकर सुकून से छुट्टी का आनंद ले सकते हैं। इसलिए हमने तय किया है कि हर साल इन दो दिनों को शहर से दूर किसी सुकून वाली जगह पर ही इंज्वाय करेंगे। जीवन में एकरसता तोड़ने के लिए ऐसा करना बेहद जरूरी है। ...तो चलिए फिर, जुट जाते हैं कोरवा भ्रमण की तैयारियों में।
--------------------------------------------------------------
(Part-1)
Preparation for Korwa tour
-------------------------------------
Dinesh Kukreti
On the occasion of Independence Day last year, after the Asan Wetland excursion program, we had decided that the next year also we would go on a tour of such a place. But, then instead of returning in the same day, the night rest will be done there. So for the past several days we were looking for such a place. Talking to fellow Chandram Rajguru in Vikasnagar in this regard, he suggested to come to Korwa, a beautiful tourist place situated on a green hill, ahead of Kalsi and Sahiya. Said, 'There are facilities-rich cottages for tourists' in Korwa. Some of these cottages belong to his friend, where our accommodation and food will be arranged. He himself will also be available with us. On 12th August, we all gave the stamp of consent on the Korwa tour.
It was decided that on August 14, around 8 pm, we would reach the nearest guest house of the Forest Department from the office itself. Dinner will be there and next day Alsubah will leave for Korwa. We have three options in the name of the nearest guest house, first Kaduvapani, second Asharodi and third Jhajhra forest rest house. A consensus could not be reached between us at Asharodi rest house. Whereas, Kaduwapani rest house falls in the Asharodi range of Dehradun Forest Division and is situated amidst dense forest area. So it is very important to reach there on time. The predatory animals become active at night. Also, elephants can collide on the way. Then these days the road leading to there is also bad due to rain. So, it is better to stay in Jhajhra forest rest house, ahead of Nanda's post. Everyone was unanimous on this.
Seven of us, Satiji, Guleriaji, Kedarji, Kiran Bhai, Rajesh Barthwal, Suman Semwal and I have to go on the tour. The plan was made that Kiran Bhai, Badthwalji, Semwalji and I would reach Jhajhra by 8.30 in Semwalji's car. Whereas, Satiji, Guleriaji and Kedarji will reach there by Guleriaji's car by ten o'clock after completing the office work. By then we will have prepared food there. We will pack everything a day in advance, except chicken, paneer and curd. We have to arrange food only in Jhajra.
All the arrangements for Korwa are being done by fellow Chandram Rajguru. From there we will leave for Dehradun on the morning of 16th August and will reach the office directly by 10 o'clock. Fellow Chandram Rajguru has told that on 15th he will meet us in Kalsi and from there he will reach Korwa with us. Lunch will be at Korwa itself. Where our accommodation is arranged, they are situated in secluded nature amidst picturesque surroundings of Katej Korwa village at a distance of two km.
Korwa is situated on Chakrata Highway and Chakrata is just 10 km away from there. However, a distance of ten km in the mountain is too much. So! At present, we are all excited to go to Korwa, in the world of newspapers, Independence Day and Republic Day are the only two days when fellow people can sit together and enjoy a relaxing holiday. That's why we have decided that every year we will enjoy these two days at a comfortable place away from the city. It is very important to do this to break the monotony in life. So let's get ready for the Korwa tour again.
No comments:
Post a Comment
Thanks for feedback.