Saturday, 12 June 2021

10-05-2021 (सच पता चला तो मन को मिली शांति)


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सच पता चला तो मन को मिली शांति
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दिनेश कुकरेती
रात का भ्रम आज सुबह तक भी मुझ पर तारी रहा। तब तक, जब तक कि पूर्वाहन ग्यारह बजे के आसपास पानी नहीं आ गया। इसके बाद तो मकान मालिक से पता चल ही जाना था कि कल मेरी बाल्टी रूम से बाहर कैसे आई और वह भी पानी से भरी हुई। दोपहर साढे़ बारह बजे तक मकान मालिक पानी भर चुके थे। इसके बाद उन्होंने मुझे भरने के लिए कह दिया। मैंने जैसे ही नल के नीचे बाल्टी लगाई, मकान मालकिन ने पूछ लिया, 'भैया! कल क्या पानी बंद हो गया था।'

मैंने कहा- 'नहीं।'
'तो फिर आपने बाल्टी बाहर क्यों छोड़ रखी थी'- मकान मालकिन बोली।
अब मेरे दिमाग में सारी गणित आ गई थी, इसलिए बोला- 'असल में मैं भूल गया था। नल बंद करने के बाद मैं सीधे रूम में चला गया था। बाल्टी भीतर ले जाने का ध्यान ही नहीं रहा। बाल्टी तो पूरी भर गई थी।'
'मैंने सोचा, पानी बंद हो गया होगा, इसलिए आप बाल्टी को बाहर ही छोड़ गए'- मकान मालकिन ने कहा। फिर थोडा़ रुककर बोली- 'पर, बाल्टी तो खाली थी, मैंने उसे भरा।'
'पता नहीं, मैंने तो भर रखी थी'- मैंने कहा।
खैर! इस वार्तालाप से यह तो स्पष्ट हो गया कि बाल्टी रूम से किसी ने नहीं निकाली, बल्कि मैं ही बाहर भूल गया था। इसके बाद मैंने निश्चिंत होकर भोजन किया और कुछ देर आराम करने के लिए लेट गया।

अपराह्न पौने तीन बजे के आसपास में आफिस पहुंचा। आफिस पहुंचकर मैं अपनी टेबल पर हैलमेट रखने बाद सीधे लाइब्रेरी चला जाता हूं। तकरीबन सवा चार बजे तक वहां रहता हूं। इस बीत खत्री और मैं दो-दो गिलास मट्ठा पीते हैं। फिर मैं मीटिंग में चला जाता हूं। मीटिंग हाल से लौटने के बाद मैं वापस लाइब्रेरी में जाकर एक पूरी बोतल पानी पीता हूं और फिर अपने काम पर जुट जाता हूं।

इसके अलावा रुटीन में कोई भी नयापन नहीं है। अब तो लंबे अर्से से किसी के फोन भी नहीं आ रहे। बस! घर में बात होती है रजनी के साथ। कुछ मित्र-परिचित सुबह रेडीमेड मैसेज भेजकर गुड मार्निंग जरूर बोल देते हैं। हां! एक मित्र हर सुबह अलग-अलग भावभंगिमाओं में 'राधा-कृष्ण' का स्टीकर भेजती है और वह भी सात बजे से पहले। उसका यह सुबह-सुबह याद करने का अंदाज सचमुच अच्छा लगता है।
बाकी तो घटनाक्रम रोज की तरह ही है। रात पौने ग्यारह बजे के आसपास रूम में पहुंचकर वही भोजन बनाना, फिर खाना, पीने व नहाने के लिए पानी भरना, एकाध कपडे़ धोना और फिर लाइट बंद करके वीडियो क्लिप देखने लग जाना। आज की डायरी लिखने पूर्व मैं वीडियो क्लिप ही देख रहा था। डायरी लिखने में बामुश्किल पंद्रह मिनट लगे। इस समय रात के दो बज चुके हैं। मैं भी अब सोता हूं। आप भी नींद का आनंद लीजिए। शुभरात्रि!!

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When I came to know the truth, I got peace of mind
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Dinesh Kukreti
The illusion of the night remained on me till this morning as well.  That, until the water came around eleven o'clock in the morning.  After this it was to be known from the landlord that how my bucket came out of the room yesterday and that too was filled with water.  By 12.30 pm the landlords had filled the water.  After that he asked me to fill it.  As soon as I put the bucket under the tap, the landlady asked, 'Brother!  Did the water stop yesterday?

























I said 'no.'
'Then why did you leave the bucket outside' - said the landlady.
Now all the maths had come in my mind, so I said- 'Actually I had forgotten.  After turning off the tap, I went straight to the room.  Didn't care to take the bucket inside.  The bucket was full'.
'I thought the water must have stopped, so you left the bucket outside,' said the landlady.  Then paused for a while and said- 'But, the bucket was empty, I filled it.'
'I don't know, I had filled it' - I said.

Well!  From this conversation it became clear that no one took the bucket out of the room, but I had forgotten outside.  After that I ate calmly and lay down to rest for some time.

Reached the office around 3.45 pm.  On reaching the office, I go straight to the library after putting the helmet on my table.  I stay there till about four and a half o'clock.  This past Khatri and I drink two glasses of whey each.  Then I go to the meeting.  After returning from the meeting hall, I go back to the library and drink a full bottle of water and then get back to my work.

Apart from this, there is nothing new in the routine.  Now for a long time no one's phone is coming.  Bus!  At home, there is talk with Rajni.  Some friends and acquaintances definitely say good morning by sending readymade messages in the morning.  Yes!  A friend sends a sticker of 'Radha-Krishna' in different expressions every morning and that too before 7 o'clock.  His way of remembering this early morning is really nice.

Rest of the events are as usual.  Reaching the room around 11.45 pm, cooking the same food, then filling water for eating, drinking and bathing, washing a few clothes and then turning off the lights and watching the video clip.  Before writing today's diary, I was watching the video clip only.  It took hardly fifteen minutes to write the diary.  It is now two o'clock in the night.  I sleep now too.  Enjoy your sleep too.  good night!!

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